गरियाबंद. जिले में किडनी की बीमारी ने सुपेबेड़ा के एक और बाशिंदे की मौत हो गई। लंबे समय से अपना इलाज करा रहे 47 साल के पुरंदर आडिल ने बीती रात दो बजे के करीब अंतिम सांस ली। एक दशक के दौरान इस गांव में किडनी की इस रहस्यमय बीमारी से यह 78वीं मौत बताई जा रही है।
गांव के त्रिलोचन सोनवानी ने बताया, गांव के पुरंदर आडिल पिछले कई सालों से किडनी और लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे। उनका इलाज विशाखापट्टनम, गरियाबंद, रायपुर मेडिकल कॉलेज और रायपुर एम्स में हुआ था। बाद में तबीयत खराब हुई तो उन्हें रायपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। चार दिन पहले अस्पताल ने भी एम्स ले जाने की सलाह देकर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। परिजन उन्हें घर लाना चाहते थे। वहां से सरकारी एम्बुलेंस भी नही मिला। मजबूरी में एक निजी एम्बुलेंस से उन्हें घर लाना पड़ा। उसके लिए भी 6 हजार रुपए खर्च हो गए। शनिवार रात उनकी मौत हो गई। बीमारी की वजह से उनकी खेती प्रभावित हुई थी वहीं इलाज पर खर्च से उनकी आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गई थी।
गांव में अभी 30 और लोगों का इलाज जारी
ग्रामीणों के मुताबिक करीब 2 हजार की आबादी वाले सुपेबेड़ा गांव में अभी भी 30 लोग किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उनमें से दो लोगों की हालत बेहद गंभीर है। कई बच्चों में भी बीमारी के लक्षण दिखने लगे हैं। इस साल की शुरुआती तीन महीनों में ही कई मरीजों की मौत हुई है। ग्रामीणों ने इसे सामाजिक वजहाें से तूल नहीं दिया। ग्रामीणों को लगता है कि इस बीमारी की बात बाहर फैली तो कोई उनके यहां बेटे-बेटी का रिश्ता नहीं करेगा।