प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का सर्वे 31 जुलाई तक पूरा करने का आदेश दिया है। साथ ही यह हिदायत भी दी है कि ज्ञानवापी परिसर को नुकसान पहुंचाए बिना सर्वे करें।
इससे पहले मुस्लिम पक्ष ने जांच का विरोध किया। वकील एसएफए नकवी ने कहा- कानून प्री मेच्योर स्टेज पर ASI सर्वे की इजाजत नहीं देता। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने कहा- कोर्ट साक्ष्य बनाने की अनुमति नहीं दे सकता। इस बीच, कोर्ट ने ASI के अधिकारी को बुलाया है।
सवाल: कोर्ट ने पूछा जीपीएस, डेटिंग एक्सरसाइज क्या है?
जवाब: एएसजीआई बोले- जांच का तरीका है। डेटिंग से स्ट्रक्चर की आयु पता होगी। साइंटिफिक जांच होगी।
सवाल: कोर्ट ने एएसजीआई से पूछा- स्ट्रक्चर को नुकसान कैसे नहीं होगा?
जवाब: एएसजीआई ने कहा- तकनीकी का इस्तेमाल करेंगे। कुछ भी हटाएंगे नहीं।
सवाल: हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन से कोर्ट ने पूछा, क्या आप ASI की मदद से बता सकते हैं कि आप क्या करने जा रहे हैं?
जवाब: जैन ने कहा- जीपीआर और रडार से जांच करेंगे। कोई खुदाई नहीं होगी। कार्बन डेटिंग करेंगे।
सवाल: हिंदू पक्ष के वकील की दलील से चीफ जस्टिस असंतुष्ट दिखे -पूछा क्या ड्रिल नहीं करेंगे, क्या करेंगे बताइए?
जवाब: एएसजीआई ने कहा- जांच कर फोटो लेंगे, संपत्ति को क्षति नहीं होगी। फोटो डॉक्यूमेंट्स से जांच करेंगे।
हिंदू पक्ष की दलीलें…
- एएसजीआई ने कहा- 1993 तक विवादित ढांचा परिसर में गणेश, हनुमान, श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी। प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर पूजा रोकी। व्यास परिवार पूजा करता था। राम जन्मभूमि के कारण पूजा रोकी गई। अभी भी एक दिन पूजा होती है। मस्जिद हमेशा विवादित रही है।
- विष्णु शंकर जैन ने कहा- हमारे अधिकारों का लगातार हनन किया गया। मुकदमा दायर करने वाली महिलाएं अंदर मौजूद देवी (श्रृंगार गौरी) की भक्त थीं। अब उन्हें केवल चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मस्जिद के बाहर से प्रार्थना करने का मौका मिलता है।
- जैन ने कहा- औरंगजेब ने मंदिर का हिस्सा तोड़ा, पूजा होती रही। ईशान कोण में श्रृंगार गौरी की पूजा होती है। आदि विश्वेश्वर मंदिर है। विपक्षी क्या ये कह सकते हैं कि औरंगज़ेब ने मंदिर नहीं तोड़ा। कमीशन किसी भी स्टेज पर जारी हो सकता है।
- दीवार, खंभों पर मिले धार्मिक निशान का पता लगाया जाना जरूरी है कि क्या वे मंदिर का हिस्सा हैं। सरकार आदेशों का पालन करने के लिए फॉर्मल पार्टी है।
मुस्लिम पक्ष की दलीलें…
- ASI ने इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई?
- सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है।
- SC ने निचली अदालत को कहा था कि मुकदमा सुनने लायक है या नहीं? इस पर सर्वे कराने का फैसला दे दिया गया।
- ASI के पास मैकेनिज्म नहीं कि खुदाई से भवन ध्वस्त होने से रोक सके।
- बिना सबूत के वाद दायर कर दिया, कोर्ट पहले दूसरे पक्ष की आपत्ति पर वाद बिंदु तय करे।
- अगर वाद मंजूर होता है तो स्ट्रक्चर खुद ही तय हो जाएगा। सर्वे की जरूरत ही नहीं। वाद को साक्ष्य पर तय किया जाना चाहिए।
साइंटिफिक सर्वे के विरोध में मुस्लिम पक्ष ने दाखिल की याचिका, इसी पर चल रही सुनवाई
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट के ज्ञानवापी परिसर में हो रहे ASI सर्वे पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगाने के आदेश के बाद मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से रिट पिटीशन दाखिल की गई। इस याचिका पर चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर सुनवाई कर रहे हैं।
मुस्लिम पक्ष की याचिका में ASI सर्वे के आदेश को चुनौती
ASI सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने रिट पिटीशन दाखिल की है। जिला जज ने ज्ञानवापी विवादित परिसर का ASI सर्वे का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए 26 जुलाई शाम 5 बजे तक ASI सर्वे पर रोक लगा दी थी। मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने आर्टिकल 227 के तहत वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई के ASI सर्वे के आदेश को चुनौती दी है। वहीं, मंगलवार को सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था।
हिंदू पक्ष ने दाखिल की है कैविएट, कहा-बिना हमें सुने न दें कोई फैसला
मुस्लिम पक्ष की याचिका से पहले सोमवार को हिंदू पक्ष की वादी राखी सिंह ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। ये कैविएट उनके वकील सौरभ सिंह ने ऑनलाइन फाइल की थी। अपनी कैविएट में राखी ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि अगर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी वाराणसी कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश यानी ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे के आदेश को चुनौती देने के लिए उनके पास आती है, तो याचिकाकर्ता को सुने बिना फैसला न दिया जाए। वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने ये दलील रखी है कि ये सर्वे नहीं होना चाहिए।