कांकेर। भानुप्रतापपुर विधानसभा उप चुनाव का रण अब गरमाने जा रहा है। अभी तक स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में चल रहे प्रचार अभियान में अब बड़े स्टार प्रचारकों की एंट्री होने जा रही है। उप चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ही कांग्रेस के सबसे बड़े प्रचारक हैं। 17 नवम्बर को नामांकन के बाद मुख्यमंत्री पहली बार इस चुनाव में प्रचार के लिए उतरने वाले हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 30 नवंबर को कोडेकुर्सी, भानुप्रतापपुर, पुरी और टंहकापार में चुनावी सभाओं को संबोधित करने वाले हैं। अगले दिन यानी 1 दिसम्बर को मुख्यमंत्री दुर्गुकोंदल और चारामा में जनसभा के बाद रोड शो में भी शामिल होंगे। प्रचार के अंतिम दिन यानी 3 दिसम्बर को मुख्यमंत्री बघेल कोरर और लखनपुरी में सभा को संबोधित करने वाले हैं। यानि इस प्रचार अभियान में रोड शो सहित आठ चुनावी सभाओं को संबोधित करने वाले हैं।
दरअसल भानुप्रतापपुर में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की किस्मत दांव पर लगी है। रेप मामले को लेकर बीजेपी थोड़ी बैकफुट पर जरूर है, लेकिन प्रत्याशी के आकलन में बीजेपी भी कमतर नहीं है। उधर कांग्रेस ने काफी हद तक आरक्षण पर डैमेज कंट्रोल तो कर लिया है, लेकिन कंडीडेंट पर सर्वमान्य स्थिति नहीं बन पाना कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली है।
छत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उप चुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उप चुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही हाे चुके हैं। पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा। इस लिहाज से यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है।