बिंद्रानवागढ़ विधानसभा : भाजपा के सामने गढ़ बचाने तो कांग्रेस के सामने गढ़ को भेदने की चुनौती

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पूरन मेश्राम की खास रिपोर्ट

बिंद्रानवागढ़ । बिंद्रानवागढ़ विधानसभा भाजपा का अभेद गढ़ के रूप में जाना जाता है यहां से भाजपा 2008,2013 और 2018 में विधान सभा चुनाव जीतकर हैट्रिक पुरा कर चुकी है वहीं राज्य निर्माण के बाद हुए चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस 2003 के बाद से जीत का स्वाद चख नहीं पाई है। बिंद्रानवागढ़ विधान सभा सीट को भाजपा का गढ़ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि 2018 के चुनाव में भाजपा के सभी गढ़ों को धराशाही कर कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव में जबर्दस्त प्रदर्शन किया पर कांग्रेस भाजपा के इस अभेद गढ़ को भेद नहीं सकी। इस बार विधान सभा चुनाव में भाजपा के सामने अपने गढ़ को बचाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस के सामने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चेहरे व सरकार की योजनाओं के सहारे इस गढ़ पर अपना परचम लहराने की चुनौती है। इस बार इस विधान सभा में जीत किसके हिस्से में आती हैं यह समय के गर्भ में छुपा हुआ है पर दोनों की प्रमुख पार्टी के सामने अपने-अपने कार्यकर्ताओ को एक सूत्र के रूप में बांधे रखने की चुनौती सबसे बढ़ी हैं, वहीं मौजूदा समय इस विधान सभा में भाजपा-कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी यहां अपना दमखम दिखा रही है अगर आप पार्टी यहां से एक दमदार उम्मीदवार मैदान में उतारती हैं तो भाजपा- कांग्रेस के गणित को बिगाड़ सकती हैं यह कहना भी अतिशोक्ति नहीं होगा।

बिंद्रानवागढ़ विधानसभा को समझें

बिंद्रानवागढ़ विधानसभा शुरू से ही कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहा है, अगर तीन मौकों को छोड़ दें, जिसमें 1962 व 1967 में इस विधानसभा से खाम सिंह कोमर्रा ने पहले झोपड़ी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया, फिर से खाम सिंह कोमर्रा ने जनता पार्टी से प्रतिनिधित्व किया. वहीं 1972 मे रानी पार्वती देवी ने निर्दलीय प्रतिनिधित्व किया। छत्तीसगढ़ बनने के बाद‎ 2003 में ओंकार शाह ने कांग्रेस की टिकट पर इस सीट से प्रतिनिधित्व किया. ‎2008 में डमरुधर पुजारी ने भाजपा का परचम लहराया. वहीं 2013 में गोवर्धन मांझी ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2018 में फिर डमरुधर पुजारी को भाजपा का टिकट दिया गया। भाजपा के डमरु धर पुजारी वर्तमान में इस बिंद्रानवागढ़ विधानसभा सीट से विधायक हैं।

बिंद्रानवागढ़ विधानसभा के मतदाताओं की संख्या

बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की बात करें, तो इस सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 218107 है, इस विधानसभा में पुरुष मतदाताओं के अपेक्षा महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। विधानसभा में जहां 110392 महिला मतदाताएं हैं तो वहीं 107712 पुरुष मतदाताएं हैं।यहां कुल 299 मतदान केंद्र हैं। अगर हम यहां के दो विधानसभा चुनाव में मतदान के प्रतिशत की बात करें, तो बिंद्रानवागढ़ विधानसभा में लगभग 83 प्रतिशत से भी अधिक लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर मतदान के प्रति अपनी जागरूकता का परिचय दिया है।

अमीर धरती बावजूद यहां पर विकास नहीं

बिंद्रानवागढ़ विधानसभा की धरती में हीरा है, बहुमूल्य खनिज संपदा है. बावजूद इसके आज भी यह इलाका कई समस्याओं से जूझ रहा है। लोग गरीबी में जीवन जीने मजबूर हैं,यहां बुनियादी सुविधाओं का आभाव है। सिंचाई संसाधनों की कमी के चलते किसान बारिश के भरोसे अपनी खेती करते हैं,वहीं सड़कों की स्थिति इस विधानसभा क्षेत्र में बेहद खराब है। अगर हम स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो यहां के लोगों को रायपुर, गरियाबंद और सीमावर्ती राज्य उड़ीसा पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं इस विधानसभा में शिक्षा पर गौर करे तो स्कूल तो खोला जरूर गया है पर शिक्षकों की कमी की समस्या से जूझते नज़र आ रहा है।

भाजपा-कांग्रेस से किस्मत अजमाने कइयों ने ठोका ताल

चुनाव नजदीक आते ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में दावेदारों ने अपनी अपनी दावेदारी ठोक दिया है। संभावित उम्मीदवारों की बात करें, तो भाजपा में विधायक डमरूधर पुजारी के आलावा पूर्व संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी, भागीरथी मांझी, हलमन धुर्वा के नाम लोग शामिल हैं। तो वही कांग्रेस में संजय नेताम, जनकराम ध्रुव, लोकेंद्र कोमर्रा, सहित कुछ और नाम भी सामने आ रहे हैं।