छत्तीसगढ़ के प्रमुख चिकित्सा शिक्षण संस्थान सिम्स को शैक्षणिक सत्र 2025-26 में एमबीबीएस की 150 सीटों पर प्रवेश की मान्यता मिल गई

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के प्रमुख चिकित्सा शिक्षण संस्थान सिम्स को शैक्षणिक सत्र 2025-26 में एमबीबीएस की 150 सीटों पर प्रवेश की मान्यता मिल गई है। इस संबंध में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने सिम्स को लेटर जारी कर जानकारी दी है। आयोग ने मान्यता देने से पहले बीते जून महीने में सिम्स का निरीक्षण किया था।

इस दौरान NMC ने सिम्स में रोजाना औसतन 2000 मरीजों की ओपीडी, 85% भर्ती, संचालन की संख्या, कई विभागों की उपलब्धता, जांच-परीक्षण प्रयोगशालाएं, छात्रावास सुविधा, पुस्तकालय और शैक्षणिक गुणवत्ता जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया। आयोग की मानकों को पूरा करने के बाद नए सत्र में प्रवेश की अनुमति दी गई है।

दरअसल, सिम्स बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा उच्च चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा संस्थान है। यहां कैंसर, ट्यूमर, अस्थि रोग, नेत्र ट्रांसप्लांट, दंत रोग जैसी जटिल बीमारियों का कारगर इलाज किया गया है। मरीजों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को देखकर ही यहां पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के भी लोग इलाज कराने आते हैं।

अब जल्द शुरू होगी प्रवेश प्रक्रिया

वर्तमान में सिम्स में एमबीबीएस की 150 सीटें और एमडी/एमएस पाठ्यक्रम की कुल 68 सीटों पर शिक्षण कार्य चल रहा है। मान्यता मिलने के साथ ही नए सत्र में प्रवेश की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। सिम्स प्रबंधन ने प्रवेश के लिए काउंसिलिंग की तैयारी पूरी कर ली है। सिम्स को मान्यता मिलने से स्थानीय युवाओं को मेडिकल की पढ़ाई की सुविधा मिलेगी।

फैकल्टी की कमी को दूर करना जरूरी

आयोग ने जून माह में जब सिम्स का निरीक्षण किया था, तब अधिकारी व सदस्यों ने फैकल्टी और रेजिडेंट डॉक्टरों की संख्या में कमी बताई थी, जिसके लिए चिंता भी जाहिर की थी। हालांकि, प्रबंधन ने भरोसा दिलाया था कि फैकल्टी की कमी को पूरा कर लिया जाएगा।

इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा नियमित नियुक्तियों के साथ-साथ सिम्स प्रबंधन द्वारा संविदा आधार पर नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, अब तक यह कमी दूर नहीं की जा सकी है।

150 सीटों पर प्रवेश की मिली है अनुमति

डीन डॉ. रमणेश मूर्ति ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए NMC ने सिम्स को MBBS पाठ्यक्रम में 150 सीटों पर प्रवेश की अनुमति दी है। फैकल्टी और रेजिडेंट डॉक्टरों की संख्या कम है, लेकिन इस कमी को जल्द ही दूर किया जाएगा।

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