इसके बाद सभी सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है। गांव में सांवरा गुरु पाठशाला इस परंपरा का मुख्य केंद्र है। यहां युवाओं को सांपों को सुरक्षित तरीके से पकड़ना और उनका संरक्षण करना सिखाया जाता है। अब तक कोई सर्पदंश की घटना नहीं हुई
स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से चली आ रही इस परंपरा के दौरान अब तक कोई सर्पदंश की घटना नहीं हुई है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति संरक्षण का भी उदाहरण है। हर साल होने वाला यह कार्यक्रम अब क्षेत्र की पहचान बन गया है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।