डॉ. सलीम राज ने कहा कि यदि मुस्लिम समाज मूर्ति पूजा में आस्था नहीं रखता है तो उन्हें गरबा जैसे धार्मिक आयोजनों से दूर रहना चाहिए।
रायपुर में गरबा आयोजनों की बात करें तो कच्च गुर्जर क्षत्रीय समाज भनपुरी नवरात्रि के पहले दिन से गरबा करवा रहा है। जिसमें गुजरात के सूरत से सिंगर पहुंचे हैं। आयोजकों ने बताया कि यहां पारंपरिक परिधान, पारंपरिक और भक्ति गीतों पर ही गरबा होता है। फिल्मी सॉन्ग पर पूरी तरह से पाबंदी है।
वहीं, गुढ़ियारी मारुति मंगलम भवन, अंबुजा मॉल से लेकर ओमाया बैंक्विट हॉल में हर शाम ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोग गरबा-डांडिया खेलते नजर आएंगे। रायपुर में आशीर्वाद भवन, अग्रसेन भवन समेत गुजराती समाज की तरफ से आयोजित गरबा में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। ज्यादातर जगहों पर पारंपरिक वेशभूषा में ही गरबा करने की इजाजत है।
मुस्लिम युवाओं के जाने पर रोक
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने नवरात्रि पर्व के अवसर पर मुस्लिम समाज के युवाओं से विशेष अपील की है। उन्होंने कहा कि नवरात्रि हिंदू समाज का पवित्र पर्व है, जिसमें माता जगदंबा की आराधना के साथ करोड़ों श्रद्धालु गरबा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
डॉ. राज ने कहा कि गरबा कोई साधारण नृत्य कार्यक्रम नहीं है। यह देवी दुर्गा की आराधना के लिए किया जाने वाला भक्तिपूर्ण लोकनृत्य है, जो जीवन के चक्र और देवी की असीम शक्ति का प्रतीक है। यदि मुस्लिम समाज मूर्ति पूजा में आस्था नहीं रखता है तो उन्हें गरबा जैसे धार्मिक आयोजनों से दूर रहना चाहिए।
अनुमति लेकर जा सकते हैं
सलीम राज ने कहा कि, यदि कोई मुस्लिम भाई-बहन वेशभूषा और परंपरा का सम्मान करते हुए समिति से अनुमति लेकर भाग लेना चाहते हैं, तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होगी। लेकिन गलत नीयत से गरबा स्थलों में प्रवेश कर उपद्रव करने का प्रयास हिंदू समाज की भावनाओं को आहत करता है, जिससे सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुंच सकती है।