कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और दुर्गम जंगलों के बावजूद, सुरक्षा बलों ने अदम्य साहस और टीम वर्क का प्रदर्शन करते हुए इस कैंप को सफलतापूर्वक स्थापित किया। इस कदम को न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से, बल्कि क्षेत्रीय विकास और विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन माना जा रहा है। इस कैंप के खुलने से बीजापुर, गंगालूर, मुतवेंडी, कांवड़गांव, पीडिया, डोडीतुमनार और गुटुमपल्ली को तर्रेम से जोड़ने वाला मार्ग अब अधिक सुरक्षित और सुलभ हो जाएगा।
माओवादी गतिविधियों पर भी नियंत्रण बढ़ेगा
ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पेयजल, राशन वितरण और मोबाइल नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिलेगा। सुरक्षा बलों की उपस्थिति से माओवादी गतिविधियों पर भी नियंत्रण बढ़ेगा।पिछले दो वर्षों में बीजापुर जिले में सुरक्षा नेटवर्क का व्यापक विस्तार हुआ है, जहां 38 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं। इन अभियानों के परिणामस्वरूप 599 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। 196 मुठभेड़ों में मारे गए हैं, और 953 को गिरफ्तार किया गया है।
मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक निर्णायक कदम
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि दक्षिण बस्तर में सुरक्षाबलों की बढ़ती उपस्थिति से नक्सलियों की पकड़ कमजोर हो रही है। ‘नियद नेल्ला नार’ योजना के तहत बीजापुर में सड़क, पुल-पुलिया, बिजली, पानी, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और मोबाइल टॉवर जैसी बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया गया है। प्रशासन का कहना है कि यह पहल नक्सल प्रभावित इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।