EOW की तरफ से दाखिल निखिल चंद्राकर के बयान में दो अलग-अलग फॉन्ट्स का इस्तेमाल मिला है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि, इस फॉर्मेट का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ की अदालतों में नहीं होता। इससे साफ है कि बयान कोर्ट में नहीं, किसी और जगह तैयार किया गया।
164 का बंद लिफाफा पहले ही मीडिया तक कैसे पहुंचा?
एक और बड़ा सवाल – जिस बयान को सील बंद लिफाफे में सिर्फ जज के सामने खोला जाना था, वो लीक होकर मीडिया हाउसों तक कैसे पहुंचा? भूपेश बघेल ने पूछा कि क्या इसे सार्वजनिक करना कानूनन सही है? और जब तक जवाब नहीं मिलते, तब तक कांग्रेस इसे मुद्दा बनाए रखेगी।
चार वकीलों ने मिलकर की शिकायत, कोर्ट ने मांगा जवाब
कोर्ट में चार वकीलों ने संयुक्त रूप से इस मामले की शिकायत की। इसके बाद रायपुर कोर्ट ने EOW और ACB के तीन वरिष्ठ अफसरों – निदेशक अमरेश मिश्रा, डीएसपी राहुल शर्मा और एएसपी चंद्रेश ठाकुर – को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सभी को 25 अक्टूबर को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश मिला है। भूपेश बघेल का आरोप- ACB को ना कोर्ट का डर है, ना कानून का
बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि, “अब जांच एजेंसियां खुद ही झूठे बयान और सबूत बना रही हैं? क्या अब सुपारी लेकर फंसाने का काम हो रहा है?” उनका दावा है कि बयान कोर्ट में नहीं, एजेंसी के दफ्तर में बनाया गया और अदालत के नाम पर पेश कर दिया गया।
ये सब दिल्ली से हो रहा है
बघेल ने आरोप लगाया कि ये पूरा खेल दिल्ली से संचालित हो रहा है। उनके मुताबिक, स्थानीय अधिकारी अब छत्तीसगढ़ के नेताओं या जनता की बात तक नहीं सुनते।
कोई रणनीति नहीं, पर मुद्दा उठाते रहेंगे – कांग्रेस
हालांकि कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन की अभी कोई आधिकारिक रणनीति नहीं बनाई है, लेकिन पार्टी ने साफ किया है कि जब तक इस मामले में कार्रवाई नहीं होती, तब तक वो इसे लगातार उठाती रहेगी। क्या है पूरा मामला
कोयला घोटाले मामले में सूर्यकांत तिवारी की जमानत पर रायपुर स्पेशल कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। EOW ने निखिल चंद्राकर का बयान कोर्ट में पेश किया, जिसे धारा 164 (अब BNS 183) के तहत रिकॉर्ड किया बताया गया। आरोप है कि यह बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज नहीं हुआ, बल्कि पहले से टाइप किया गया दस्तावेज पेन ड्राइव में डालकर कोर्ट को सौंपा गया।
जब बयान की कॉपी वकीलों को दी गई, तब उसमें तकनीकी गड़बड़ियां सामने आईं – जैसे दो फॉन्ट, गैर-न्यायिक भाषा, कोर्ट फॉर्मेट से मेल न खाना। हाईकोर्ट में भी ACB और EOW के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है।