
छठ पर्व को महापर्व कहा जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से हो चुकी है। शनिवार को श्रद्धालुओं ने साफ कपड़े पहनकर लौकी की सब्ज़ी और बिना लहसुन-प्याज का भोजन किया। जूटमिल क्षेत्र की रहने वाली मोनिका तिवारी ने बताया कि नहाय-खाय में चना दाल और लौकी की सब्जी बनाई गई, जिसमें सेंधा नमक का उपयोग किया गया।
भोजन मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया गया। इसके बाद रविवार को खरना व्रत होगा। इसमें छठ करने वाले श्रद्धालु पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को भगवान सूर्य की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना कर प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।
सोमवार को डूबते सूर्य को देंगे अर्घ्य
महापर्व छठ पूजा में सोमवार को व्रती श्रद्धालु शाम के समय अपने परिवार के साथ पूजा सामाग्री लेकर छठ घाट पहुंचेंगे। जहां डूबते सूर्य की पूजा कर दूध और जल से अर्घ्य देंगे और मंगलवार की सुबह फिर से उगते सूर्य की पूजा कर अर्घ्य देकर व्रत पूरा करेंगे।
इन छठ घाट में पहुंचते श्रद्धालु
शहर में मुख्य रूप से तीन छठ घाट है। जहां सबसे बड़ा छठ घाट जूटमिल क्षेत्र में केलो नदी के तट पर बना हुआ है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। वहीं एसईसीएल रोड और खर्राघाट में छठ घाट है। यहां भी लोगों की अच्छी खासी भीड़ रहती है और सभी छठ घाट में तैयारियां भी पूरी हो चुकी है।