रायपुर. देश के 78 वें स्वतंत्रता दिवस पर सभी छत्तीसगढ़वासियों को हार्दिक बधाई।
आज स्वतंत्रता दिवस की इस मंगल बेला में हम सभी स्वाधीनता का सुख साझा कर रहे हैं। हमको यह आजादी अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध हमारे पूर्वजों के कठिन संघर्ष और बलिदान के बूते मिल पायी है। यह आजादी हमें देन है शहीद गेंद सिंह, शहीद धुरवा राव, शहीद यादव राव, शहीद वेंकट राव, वीर गुंडाधुर, शहीद डेबरी धुर, शहीद आयतु माहरा, शहीद वीर नारायण सिंह जैसे हमारे अनेक ऐतिहासिक नायकों की, जिन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए जनमानस में स्वाधीनता की अलख जगायी।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे देश के स्वाधीनता सेनानियों के साथ ही छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने भारत माता की परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ने के लिए जो अनथक मेहनत की, उसके सुखद परिणाम स्वरूप आज हम स्वतंत्र वातावरण में साँस ले रहे हैं।
स्वाधीनता के साथ ही बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान निर्माण का काम संपन्न हुआ, जो आज प्रकाश स्तंभ की तरह देश के लोकतंत्र को निरंतर आगे बढ़ने की राह दिखा रहा है। बरसों पहले बाबा गुरु घासीदास जी ने समता मूलक समाज का आदर्श हम सबके सामने रखा था, जो बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान में फलीभूत हुआ। उनके संविधान में कबीर की वाणी का सार भी है, जो भारत के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ समानता प्रदान करती है।
आज के दिन हम उन पूर्वजों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिन्होंने आपातकाल के कठिन दौर में संविधान की मशाल को बुझने नहीं दिया। देश भर में हजारों लोकतंत्र सेनानियों ने इमरजेंसी का विरोध किया और इसके प्रतिरोध में जेल की सजा और अन्य यातनाएँ भुगतीं। अगले वर्ष 25 जून को इमरजेंसी के पचास बरस पूरे हो जाएंगे। इस वर्ष ‘‘आपातकाल स्मृति दिवस‘‘ के अवसर पर 25 जून के दिन हमें अपने प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों का आशीर्वाद मिला है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि अपने लोकतंत्र सेनानियों के प्रति कृतज्ञता-ज्ञापित करने हेतु पिछले पांच वर्षों से रुकी उनकी सम्मान निधि हमारी सरकार द्वारा पुनः प्रारंभ की गई है।
आज के दिन हम अपने उन जवानों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जो हमारे प्रदेश में लोकतंत्र विरोधी, नक्सलवादी आतंक से पूरे साहस और जज्बे के साथ मुकाबला कर रहे हैं। बीते आठ महीनों में हमारे जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए 146 नक्सलियों को मार गिराया है। इस दौरान हमने 32 नये सुरक्षा कैंप खोले हैं और आने वाले दिनों में 29 नये कैंप शुरू करने जा रहे हैं। आज कई वर्षों बाद क्षेत्र की जनता सुरक्षित महसूस कर रही है, जिसका कारण हमारे वीर जवानों की मेहनत व पराक्रम है।
नक्सलवादी घटनाओं से निपटने के लिए अनुसंधान और अभियोजन की कार्रवाई और भी प्रभावी रूप से हो सके, इसके लिए हमने राज्य अन्वेषण एजेंसी (एसआईए) का गठन किया है।
बस्तर की जनता नक्सलियों से त्रस्त हो चुकी है और विकास के मार्ग पर सरपट दौड़ने को तैयार है।
अन्दरूनी क्षेत्रों में नये कैंपों का विस्तार कर लोगों को आतंक से मुक्ति देने के साथ ही इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने का काम भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इसके लिए हमने ‘’नियद नेल्लानार’’ योजना शुरू की है। इस शब्द का अर्थ होता है -’’आपका अच्छा गांव’’। विशेष पिछड़ी जनजातियों के हितग्राहियों के लिए आरंभ की गई ‘’पीएम जनमन योजना’’ की तरह इस योजना से कैंपों के निकट पांच कि.मी. की परिधि के गांवों में 17 विभागों की 53 हितग्राही मूलक योजनाओं एवं 28 सामुदायिक सुविधाओं का लाभ लोगों को दिया जा रहा है। इन गांवों में पहली बार लोगों के आयुष्मान कार्ड बने हैं। वे शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सरकार की लोकहितकारी योजनाओं का लाभ अब उठा रहे हैं। उनके जीवन में सुशासन का नया सवेरा आया है।
हमें अपने जवानों के साथ अपने किसानों पर भी गर्व है। उनके श्रम से छत्तीसगढ़ महतारी का धान का कटोरा भरा-पूरा रहता है। प्रधानमंत्री मोदी जी की गारंटी के अनुरूप हमने अन्नदाताओं की सुख-समृद्धि को सर्वाेच्च प्राथमिकता में रखा है। पूर्व प्रधानमंत्री और हमारे प्रेरणा पुंज अटल जी के जन्मदिन ‘‘सुशासन दिवस’’ के अवसर पर हमने राज्य के 13 लाख किसानों के बैंक खाते में 3716 करोड़ रुपए का बकाया धान बोनस अंतरित किया। हमने अपने वायदों को पूरा करते हुए किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी की। प्रदेश में ‘‘रिकॉर्ड’’ 145 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई। किसानों को समर्थन मूल्य की 32 हजार करोड़ रुपए की राशि के साथ ही कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत प्रदेश के 24 लाख 75 हजार किसानों को अंतर की राशि 13 हजार 320 करोड़ रुपए अंतरित किए गए। इस प्रकार हमारे अन्नदाताओं के खाते में सरकार ने धान खरीदी और बकाया बोनस मिलाकर लगभग 49 हजार करोड़ रुपए अंतरित किए।
भूमिहीन किसानों को हमने दीनदयाल उपाध्याय कृषि मजदूर कल्याण योजना के अंतर्गत 10 हजार रुपए वार्षिक सहायता राशि देने का निर्णय लिया है। प्रदेश में कृषि हितैषी नीतियों की वजह से खेती-किसानी में रौनक लौट आई है और किसानों के चेहरों पर मुस्कान नजर आ रही है। आज हमारे गांव आर्थिक रूप से संपन्न नजर आते हैं। एक लोककल्याणकारी सरकार के लिए इससे बढ़कर संतोष की बात और कुछ नहीं हो सकती।
छत्तीसगढ़ को गढ़ने और सँवारने में मातृशक्ति की अहम भूमिका है। हम उनके योगदान का वंदन करते हैं। हमारे छत्तीसगढ़ में तीज त्योहार की परंपरा है। तीजा के मौके पर भाई अपनी बहनों को भेंट देते हैं। प्रदेश की माताओं-बहनों को ‘’महतारी वंदन योजना’’ के रूप में यही भेंट हम प्रदान कर रहे हैं। 10 मार्च, 2024 के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्चुअल समारोह में 70 लाख माताओं-बहनों के खाते में महतारी वंदन योजना की पहली किश्त के रूप में एक-एक हजार रुपए की राशि अंतरित की। अब तक इस योजना की छह किश्त जारी की जा चुकी है।
हमारी माताएं-बहनें इससे आर्थिक रूप से सक्षम व आत्मनिर्भर हुई हैं। वे इस राशि का उपयोग अपनी इच्छा अनुसार बच्चों की पढ़ाई एवं घर के बजट को व्यवस्थित करने में कर रही हैं, जिससे उन्हें आर्थिक संबल मिल रहा है। जब हम बेटियों को मजबूत करते हैं तो पूरा परिवार मजबूत होता है और मजबूत परिवार से ही मजबूत समाज और मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है। महिलाओं केे आर्थिक सामाजिक सशक्तीकरण से निश्चित ही विकसित छत्तीसगढ़ की आधारशिला मजबूत हो रही है।
एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने हमारे समक्ष अंत्योदय के लिए कार्य करने का आदर्श रखा है। समाज के सबसे आखिरी व्यक्ति के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करने के इसी लक्ष्य के अनुरूप हम अनथक कार्य कर रहे हैं। अंत्योदय एवं प्राथमिकता राशनकार्डधारी 68 लाख परिवारों को अगले पांच सालों तक निःशुल्क खाद्यान्न वितरण का निर्णय हमारी सरकार द्वारा लिया गया है।
आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसमें सबसे पहले सबको आवास सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी है। मैं पिछले तीन दशकों से विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के निकट संपर्क में रहा हूँ, उनके करीब रहकर मैंने देखा है घास-फूस के आवास में रहने वालों का दर्द क्या होता है।
जब हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री पीएम आवास योजना लेकर आए तो प्रदेश के लाखों परिवारों को उम्मीदें जगी लेकिन पिछले 5 सालों में प्रदेश के 18 लाख जरूरतमंद परिवारों के आवास का सपना पूरा नहीं हो सका। हमने संकल्प लिया कि हम इन 18 लाख परिवारों की पीड़ा दूर करेंगे। शपथ लेने के अगले दिन ही हमारी सरकार ने इनके आवास के सपने को पूरा करने की राह खोल दी। इसके साथ ही सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण में चिन्हांकित 47 हजार 90 आवासहीन परिवारों को आवास स्वीकृत करने का निर्णय भी हमने ‘‘मुख्यमंत्री आवास योजना’’ के तहत लिया है।
सबको आवास के साथ ही सबको शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने जलजीवन मिशन भी आरंभ किया है। प्रदेश में इसके क्रियान्वयन की दिशा में हम तेजी से काम कर रहे हैं। इसके लिए हमने 4500 करोड़ रुपए का बजट रखा है। प्रदेश में भू जल की समस्या वाले गांवों में जलजीवन मिशन के अंतर्गत मल्टी विलेज स्कीम के माध्यम से पेयजल आपूर्ति का काम शुरू हो गया है। फिलहाल राज्य के 18 जिलों में 70 मल्टी विलेज योजनाओं का काम आरंभ हो गया है। हमने छत्तीसगढ़ में 50 लाख ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य रखा था। मुझे खुशी है कि इसमें से 39 लाख 31 हजार परिवारों में हम नल कनेक्शन उपलब्ध करा चुके हैं।
हमारे ग्रंथों में ‘‘सर्वे संतु निरामया’’ की कामना की गई है। किसी तरह की बीमारी हो जाने पर सबसे ज्यादा चिंता आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उठानी पड़ती है। इसे देखते हुए प्रदेश में ‘’आयुष्मान भारत’’-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’’ के साथ ही ‘‘शहीद वीरनारायण सिंह स्वास्थ्य योजना’’ लागू करने का निर्णय लिया गया है। इन दोनों योजनाओं से छत्तीसगढ़ के 77 लाख 20 हजार परिवारों को 5 लाख रूपए तक निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है।
वन अधिकार पत्र धारकों की मृत्यु हो जाने के पश्चात उनके वारिसों को वन अधिकार पत्र हस्तांतरित करने की प्रक्रिया का उल्लेख वन अधिकार नियमों में नहीं था। इस वजह से नामांतरण, सीमांकन, खाता विभाजन जैसे राजस्व संबंधी कार्य संभव नहीं थे। हमने अपने जनजाति और वनवासी भाइयों की पीड़ा को समझा। हमारी सरकार द्वारा उनके वारिसों को वन अधिकार पत्र हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया है। अब वन अधिकार पत्र धारण करने वाले हमारे जनजाति और वनवासी भाइयों के लिए सीमांकन, नामांतरण, खाता विभाजन जैसे कार्य सहज हो गये हैं। इन वन अधिकार पत्रों को डिजिटलाइज्ड भी किया गया है।
जनजातीय क्षेत्रों में वनधन केंद्रों के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी ने वनोपज संग्राहकों की आर्थिक तरक्की की नई राह खोली है। हमारी सरकार ने राज्य के तेंदूपत्ता संग्राहकों की पारिश्रमिक दर को 4000 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रुपए कर दिया है। साथ ही तेंदूपत्ता संग्रहण समय सीमा में भी वृद्धि की गई, जिससे हमारे भाई-बहन अधिक समय तक तेंदूपत्ता संग्रहण कर बढ़ी हुई आय अर्जित कर पा रहे हैं। इस साल 13 लाख 5 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 855 करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। इनकी संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 1 लाख 72 हजार अधिक है।
युवा हमारे भविष्य हैं। युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिले, उनकी उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त वातावरण हो, इसके लिए हम प्राथमिकता से कार्य कर रहे हैं। हमारी सरकार यह मानती है कि भर्ती प्रक्रियाओं में की गई अनियमिततायें होनहार युवकों को रोजगार के अवसरों से वंचित तो करती ही हैं, साथ ही इससे सिविल सेवा की गुणवत्ता पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
हमारी सरकार द्वारा राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2021 में हुई अनियमितता की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया गया। हम युवाओं के लिए समान अवसर और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली प्रदान करने के लिए कृत संकल्पित हैं। यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में हमारे युवाओं की सफलता दर बढ़े, इसके लिए आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग द्वारा नई दिल्ली में संचालित यूथ हॉस्टल में यूपीएससी की तैयारी के लिए अभ्यर्थियों के लिए सीटों की संख्या 50 से बढ़ाकर हमने 185 कर दी है।
अब सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के चयनित युवा पूर्णतः निःशुल्क कोचिंग प्राप्त कर सकेंगे एवं दिल्ली में कहीं भी निवास करने पर उनको निर्धारित स्टाइपेंड भी प्राप्त होगा जिससे उन्हें किराये के लिए भी प्रतिपूर्ति प्राप्त होती रहेगी। हमने शासकीय सेवाओं हेतु आयोजित परीक्षा में सम्मिलित होने की अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट प्रदान की है। इससे प्रदेश के लाखों युवाओं को प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ है। राजधानी के नालंदा परिसर की तरह ही 13 और नगरीय निकायों में सर्वसुविधायुक्त लाइब्रेरी भी तैयार की जाएगी।
युवाओं के लिए खेल की सर्वाेत्तम अधोसंरचना तैयार करने की दिशा में हमारी सरकार द्वारा गहन प्रयास किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश के पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए हमने ‘‘छत्तीसगढ़ क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना‘‘ आरंभ करने का निर्णय लिया है।
रायगढ़ जिले में इंडोर स्टेडियम काम्प्लेक्स, हॉकी एस्ट्रोटर्फ मैदान एवं सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक 31 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत से बनाया जाएगा, वहीं बलौदाबाजार जिले में 14 करोड़ रुपए की लागत से इंडोर स्टेडियम काम्प्लेक्स का निर्माण किया जाएगा। जशपुर जिले के कुनकुरी में 33 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से आधुनिक खेल स्टेडियम का निर्माण किया जाएगा। निश्चित रूप से हमारी सरकार युवाओं को उन्नति के लिए हर अवसर प्रदान करेगी, यह हमारा संकल्प है।
रोजगार के बेहतर अवसर अच्छी शिक्षा से उत्पन्न होते हैं। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की नींव को ठोस करने का काम हमने शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया गया है। छत्तीसगढ़ अपनी बोली-भाषा की विविधता से समृद्ध है। हमारे यहां कहावत प्रचलित है कि ‘‘कोस-कोस मा पानी बदलय, चार कोस मा बानी।‘‘ प्रारंभिक आयु में बच्चे सबसे ज्यादा अपनी मातृभाषा में सीखते हैं, इसके चलते ही हमने नई शिक्षा नीति के तहत 18 स्थानीय भाषाओं में प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई कराने का निर्णय लिया है। इससे बच्चों का अपनी भाषा से अनुराग भी बढ़ेगा तथा हमारी नई पीढ़ी अपनी जड़ों से भी जुड़ी रहेगी।
स्कूलों की अधोसंरचना को बेहतर करने एवं यहां शैक्षणिक सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रथम चरण में प्रदेश के 211 स्कूलों में पीएमश्री योजना आरंभ की गई है। इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। तीसरे चरण में हमें 52 स्कूलों की स्वीकृति मिली है। हम ग्रीन स्कूल तैयार कर रहे हैं।
स्कूलों में स्थानीय भाषाओं के साथ रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे विषय भी पढ़ाये जा रहे हैं, ताकि विद्यार्थी नये समय के अनुरूप स्वयं को तैयार कर सकें। प्रदेश के स्कूलों में न्यौता भोज का आयोजन भी शुरू किया गया है। इसमें जन्मदिन जैसे विशेष अवसरों पर स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने समाज की सहभागिता सुनिश्चित की गई है। इससे बच्चों का पोषण विकास तो होता ही है, सामुदायिक भावना का भी विकास होता है। पैरेंट्स-टीचर मीटिंग के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में हम काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हमने उच्च शिक्षा में भी अपनाया है। इसके चलते हमारे पाठ्यक्रम रचनात्मक होने के साथ ही रोजगारमूलक भी होंगे ताकि नये समय की जरूरतों के अनुरूप मानव संसाधन उपलब्ध कराये जा सकें और युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सके। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने एवं नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए हमने ‘‘छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन‘‘ का गठन किया है। हम आईआईटी की तर्ज पर प्रदेश के हर लोकसभा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी संस्थान आरंभ करने जा रहे हैं। इसके लिए पहले चरण में रायपुर, रायगढ़, बस्तर, कबीरधाम और जशपुर में इनकी स्थापना की जाएगी।
प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को मजबूत करने मेडिकल शिक्षा का लगातार विस्तार जरूरी है। हमने संभाग स्तर पर एम्स की तर्ज पर छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (CIMS) आरंभ करने का निर्णय लिया है। रायपुर में मेकाहारा तथा बिलासपुर में सिम्स के भवन विस्तार तथा अन्य सुविधाओं पर काम प्रारंभ कर दिया है।
युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करते हुए अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार देने हेतु हम प्रदेश की नई उद्योग नीति तैयार कर रहे हैं। इसके लिए हम देश की जानी-मानी विशेषज्ञ संस्थाओं तथा उद्योग संगठनों की सलाह लेकर कार्य कर रहे हैं। औद्योगिक अवसरों को आगे बढ़ाने देश-दुनिया में जो नवाचार प्रारंभ किये गये हैं, उन्हें राज्य की परिस्थिति के अनुरूप लागू करने छत्तीसगढ़ आर्थिक सलाहकार परिषद के गठन का निर्णय भी हमने लिया है।
राज्य में निवेश का बेहतर माहौल हो, इसके लिए हमने सिंगल विंडो सिस्टम को नवीनीकृत किया है। इससे उद्यमियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा अन्य क्लियरेंस के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में जिस तरह से छत्तीसगढ़ में नेशनल हाइवे, एयरपोर्ट और रेलवे कनेक्टिविटी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं, उससे छत्तीसगढ़ अब निवेश के लिए सबसे आदर्श जगह बन गया है। यहां प्रचुर खनिज संसाधन, कानून-व्यवस्था की बेहतर स्थिति और कुशल मानव संसाधन के बूते उद्योगों के फलने-फूलने की प्रचुर संभावनाएं हैं।
प्रदेश की भौगोलिक विविधता को देखते हुए हमने सभी क्षेत्रों के आर्थिक विकास के लिए रणनीति तैयार की है। बस्तर और सरगुजा में हम वनोपज प्रसंस्करण केंद्रों, इको टूरिज्म, नैचुरोपैथी आदि पर जोर दे रहे हैं। नवा रायपुर को हम आईटी हब तथा इनोवेशन हब के रूप में विकसित कर रहे हैं। राजधानी के समुचित विकास के लिए और यहां उद्यम के अवसरों को बढ़ावा देने हम नेशनल कैपिटल रीजन( एनसीआर) की तरह ही स्टेट कैपिटल रीजन विकसित करने जा रहे हैं। कोरबा-बिलासपुर इंडस्ट्रियल कारिडोर बनाने का निर्णय हमने लिया है। इसके अस्तित्व में आने पर इन क्षेत्रों में औद्योगिक विस्तार और भी तेज हो जाएगा। उद्यमी युवाओं को ‘‘छत्तीसगढ़ उद्यम क्रांति योजना‘‘ के माध्यम से 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ हम ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करेंगे।
हमारी सरकार पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिखाई गयी सुशासन की राह पर चलकर छत्तीसगढ़ को संवार रही है। सुशासन के मूल्यों को क्रियान्वित करने हमने ‘‘सुशासन एवं अभिसरण विभाग‘‘ का गठन किया है। यह विभाग शासन-प्रशासन के हर स्तर पर पारदर्शिता, नवाचार और सुशासन का कार्यान्वयन सुनिश्चित कर रहा है। योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन की प्रभावी मानिटरिंग के लिए हमने ‘‘अटल मॉनिटरिंग ऐप‘‘ भी तैयार किया है।
प्रशासन के हर स्तर पर पारदर्शिता लाने के लिए हम विभागों में 266 करोड़ रुपए की लागत से आईटी टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हें अपनाने से मानवीय त्रुटि एवं कूटरचना की आशंका समाप्त हो जाएगी। यह पारदर्शिता की ओर सरकार द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की हमारी नीति को कार्यान्वित करने में इससे बड़ी मदद मिल रही है।
गवर्नेंस के हर हिस्से में हम पारदर्शिता सुनिश्चित कर रहे हैं। खनिजों के परिवहन में हमने मैनुअल पद्धति को समाप्त कर दिया है और ई-ट्रांजिट पास जारी करने की व्यवस्था पुनः शुरू की है। इसी तरह सरकारी खरीदी में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हमने जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी का निर्णय लिया। आबकारी नीति में पारदर्शिता लाने तथा भ्रष्टाचार को समाप्त करने, पुरानी व्यवस्था के स्थान पर सीधे कंपनियों से खरीदी का निर्णय लिया है।
राजस्व संबंधी प्रकरणों के त्वरित और समय-सीमा में निराकरण के लिए हमने तहसीलदारों के अधिकारों का विस्तार किया है। नाम, जाति, पता की त्रुटि, सिंचिंत-असिंचित रकबा, कैफियत त्रुटि, एक फसली-बहु फसली त्रुटि को सुधारने का अधिकार तहसीलदार को दिया गया है, जिससे राजस्व संबंधी परेशानी झेल रहे लोगों की दिक्कत दूर हो रही है।
केन्द्र की तर्ज पर राज्य नीति आयोग का गठन किया गया है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आजादी के सौ बरस पूरे होने पर वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है और इसके लिए एक रोड मैप तैयार किया है। हमारी सरकार भी इससे कदमताल करते हुए ‘‘विकसित छत्तीसगढ‘‘़ का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही है। इसके लिए राज्य नीति आयोग द्वारा ‘‘अमृतकाल विजन@2047’’ तैयार किया जा रहा है। हमारी दिशा स्पष्ट है, नियत साफ है और हौसला पर्वत जैसा है। निश्चित ही आप सभी की भागीदारी के साथ ‘‘अमृतकाल विजन@2047’’ पर काम कर हम विकसित छत्तीसगढ़, विकसित भारत के निर्माण का संकल्प पूरा करेंगे।
छत्तीसगढ़िया लोगों की पहचान देश-दुनिया में सहज-सरल लोगों के रूप में है। यह हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। हम मेहनतकश लोग हैं। ईमानदारी से काम करते हैं। यह हमारे सांस्कृतिक मूल्य हैं। इन्हें सहेज कर रखना हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। अपनी बोली-भाषा, तीज त्यौहार, खान-पान को सहेजते हुए आने वाली पीढ़ी को इनसे परिचित कराते हुए हमें निरंतर आगे बढ़ना है।
जलवायु परिवर्तन के संकट को देखते हुए हम सबका कर्तव्य है कि पर्यावरण को बेहतर बनाने में अपनी भागीदारी दें। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ’‘एक पेड़ माँ के नाम’‘ अभियान आरंभ किया है। मैंने अपने गृह ग्राम बगिया में इस अभियान के अंतर्गत रुद्राक्ष का पौधा लगाया है। रायपुर में मुख्यमंत्री निवास में मैंने दहीमन का पौधा लगाया है। आप भी एक पौधा जरूर लगाएं, यह आग्रह है।
यह हमारी पुण्य भूमि का परम सौभाग्य है कि श्रीराम हमारे भांजे हैं और उनकी कर्मभूमि भी छत्तीसगढ़ है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के सीतामढ़ी हरचौका से लेकर सुकमा के इंजरम तक कण-कण श्रीराम के वनवास काल का साक्षी है। हमारी धरती, माता शबरी की पुण्य भूमि है। पवित्र शिवरीनारायण धाम में उन्होंने अपनी अगाध श्रद्धा से जूठे बेर प्रभु को खिलाए थे। वनवास के दौरान बिताए गए चौदह वर्षों में से दस वर्ष प्रभु श्री राम ने हमारे छत्तीसगढ़ में ही बिताए हैं। रामायण के प्रसंग जनजातीय लोगों से प्रभु श्रीराम के अद्भुत स्नेह तथा प्रभु श्रीराम के जनजातीय लोगों के प्रति गहन अनुराग और समर्पण से भरे पड़े हैं। हम जब भी इन प्रसंगों को सुनते हैं, भाव विभोर हो जाते हैं। हम धन्य हैं कि हमारा जन्म इस पुण्य भूमि में हुआ है। यह सौभाग्य हमें श्रीराम के आदर्शों पर चल कर निरंतर काम करने की प्रेरणा देता है।
पांच सौ वर्षों के अहिंसक संघर्ष की पूर्णाहुति अयोध्या धाम में श्रीरामलला के भव्य मंदिर के निर्माण के रूप में हुई। अपने भांचा राम के दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ का हर नागरिक उत्सुक है। ‘‘अयोध्या धाम श्रीरामलला दर्शन योजना‘‘ के माध्यम से हम हजारों रामभक्तों को उनके आराध्य के दर्शन के लिए पूर्णतः निःशुल्क भेजने का माध्यम बने हैं। यह पुण्य अवसर हमें श्रीरामलला ने दिया है।
तुलसीदास जी ने लिखा है- ‘‘दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज्य नहीं काहुहि ब्यापा।’’ भगवान श्रीराम ने एक आदर्श राज्य की स्थापना की। आप सभी के सहयोग से हम अपने पूरे सामर्थ्य के साथ काम करते हुए छत्तीसगढ़ को सुखी, समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में काम करेंगे।
बहनों एवं भाइयों,
लोकतंत्र में भरोसे का संकट सबसे बड़ा संकट होता है। यह तंत्र निश्चित ही जनता का अपने प्रतिनिधियों पर भरोसा कायम रखने से ही चलता है। कार्यभार संभालने के बाद हमारी सबसे बड़ी चुनौती इसी भरोसे को बहाल करने की थी। हमे इस अवसर पर यह कहते हुए संतोेष हो रहा है कि हमारी सरकार ने आपसे किये अधिकांश बड़े वायदों को पूरा कर इस विश्वास को फिर से स्थापित किया है। हमारे संविधान निर्माताओं का सपना ऐसे ही मजबूत लोकतंत्र का था, जहां जनता और उसकी चुनी सरकार भरोसे की ऐसी ही मजबूत डोर में बंधी रहे। वास्तव में यह लोकतंत्र का मजबूत रक्षासूत्र है, जिसे कभी भी किसी भी लोकसेवक को कमजोर नहीं करना चाहिए।
हमारे राज्य निर्माता भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय स्वर्गीय अटल जी ने छत्तीसगढ़ का निर्माण प्रदेश के व्यापक आर्थिक विकास एवं प्रदेश की सुंदर संस्कृति के संरक्षण के लिए किया। हमारा दायित्व है कि ‘हमने ही बनाया है, हम ही संवारेंगे’ के संकल्प के साथ प्रदेश के नवनिर्माण के महती कार्य में पूरी लगन से जुट कर अटल जी का सपना साकार करें।
स्वतंत्रता दिवस का यह दिन हमें स्मरण कराता है कि हमें मिली आजादी बहुमूल्य है। पूर्वजों ने कठिन संघर्ष और बलिदान देकर स्वतंत्रता की विरासत हमें सौंपी है। हमारे पूर्वजों ने भारत माता को परतंत्रता की बेड़ियों से आजाद कर देशभक्ति की अनुपम मिसाल प्रस्तुत की। विकसित भारत के निर्माण में अपनी सहभागिता प्रदान कर देश को संवारने के अनुकरणीय कार्य में अपना योगदान देकर हम पूर्वजों की इस परंपरा को आगे बढ़ाने का यश हासिल कर सकते हैं, यही हमारा कर्तव्य भी है।
आप सभी को पुनः स्वतंत्रता दिवस की बधाई। राम राम । जय जोहार
जय भारत, जय छत्तीसगढ़