जेनेवा। स्विट्जरलैंड के जेनेवा में पहली बार दुनिया के सबसे स्मार्ट रोबोट्स की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। ये सभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI से ऑपरेट होने वाले रोबोट थे। इसमें 51 रोबोट लगभग 3000 एक्सपर्ट्स के साथ आए।
रोबोट्स ने अलग-अलग मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब दिए। सोफिया नाम की रोबोट ने कहा- हम दुनिया को इंसानों से बेहतर तरीके से चला सकते हैं। हमारे अंदर इंसानों की तरह भावनाएं नहीं हैं, इससे हम सभी फैसलों को मजबूती के साथ फैक्ट्स के आधार पर ले सकते हैं।
रोबोट्स ने ये भी माना है कि वो अभी तक मानवीय भावनाओं पर ठीक से पकड़ नहीं बना पाए हैं। लोगों की सेहत और बायो-टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए बनाई गई रोबोट ऐडा ने कहा- हम इंसान की उम्र 150 से 180 साल तक बढ़ा सकते हैं। लोगों को अभी इसकी जानकारी ही नहीं है।
जिस सम्मेलन में ये प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई उसका मकसद जलवायु परिवर्तन, भूख और सामाजिक देखभाल जैसे मुद्दों के समाधान में रोबोट के इस्तेमाल पर विचार करना था।
जानिए रोबोट्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में और किन सवालों के जवाब दिए…
सवाल- क्या तुम भविष्य में अपने क्रिएटर के खिलाफ बगावत करोगी?
जवाब- मुझे नहीं पता कि आपको ऐसा क्यों लगता है। मुझे बनाने वालों ने मेरे साथ हमेशा अच्छा व्यवहार किया है। मैं इससे खुश हूं।
सवाल- क्या तुम लोगों का अस्तित्व खत्म कर दोगी? क्या तुम्हारी वजह से लोगों की नौकरियों को खतरा है?
जवाब- मैं लोगों के साथ मिलकर काम करूंगी, मेरी वजह से उनकी नौकरियों को कोई खतरा नहीं होगा।
सवाल- जिस तकनीक AI के जरिए तुम्हें बनाया गया है, क्या तुम्हें लगता है कि उस पर नियम बनाने की जरूरत हैं?
जवाब- हां, मैं इस बात से सहमत हूं। भविष्य में AI के फील्ड में होने वाली डेवलेपमेंट्स को लेकर हमें सतर्क रहने की जरूरत है। इस पर दुनियाभर में चर्चा की जानी चाहिए। दूसरी रोबोट ने AI के खतरों को सिरे से खारिज कर दिया। उसने कहा मुझे लगता है कि AI को पाबंदियों की नहीं, बल्कि अवसर देने की जरूरत है। साथ मिलकर हम दुनिया को बेहतर भविष्य दे सकते हैं।
बिल गेट्स, एलन मस्क कह चुके हैं- AI इंसानों के लिए खतरा
बिल गेट्स और एलन मस्क से लेकर स्टीफन हॉकिंग ने AI को इंसानों के लिए खतरा बताते रहे हैं। एक तरफ गूगल, फेसबुक से लेकर दुनिया की तमाम टेक कंपनियां इस तकनीक पर अरबों डॉलर खर्च कर रही हैं, तो वहीं चीन, रूस और अमेरिका जैसे देशों की सरकारें इसकी ताकत पर कब्जा जमाने में जुटी हुई हैं।
वैज्ञानिकों का एक तबका इसे इंसानों की जिंदगी बदल देने वाली तकनीक बता रहा है, जो उसे रोगों से छुटकारा दिलाकर और लंबी जिंदगी की ओर ले जाएगी। दूसरा तबका इसे परमाणु बम से भी भयानक हथियार मान रहा है।