बच्चों में पीठ और पैर दर्द को ना करें नजरअंदाज, हो सकते हैं गठिया के शिकार

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जुवेनाइल अर्थराइटिस (Juvenile arthritis) या बच्चों में गठिया सुनने में ही थोड़ा अजीब लग रहा होगा। पर आपको यह जान कर हैरानी हो सकती है कि आज कल 14 साल की उम्र के बच्चों में भी यह समस्या आ रही है। ये हम नहीं हल्कि, उद्दान हेल्थ केयर, लखनऊ के एमडी और आर्थोपेडिक डॉक्टर विशाल भवानी का कहना है। इतना ही नहीं वो ये भी बताते हैं कि खराब लाइफस्टाइल आपके बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। सबसे ज्यादा नुकसान फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण होती है जो कि हड्डियों की सेहत को प्रभावित करती है। साथ ही डाइट की कमी भी इसके कई कारणों में से एक हो सकती है। तो, ऐसी स्थिति में जरूरी ये है कि आप बच्चों में गठिया के लक्षणों (Juvenile arthritis symptoms in hindi) को पहचानें और इससे बचें। पर उससे पहले जानते हैं इसका कारण।

च्चों में गठिया का कारण-Juvenile arthritis causes in hindi
बच्चों में गठिया के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन, इसका सबसे बड़ा कारण आपकी जीन्स से जुड़ा हुआ है। अगर आपकी फैमिली में जुवेनाइल अर्थराइटिस के मामले रहे हैं तो आगे के आने वाले बच्चों में भी यह हो सकता है। दरअसल, ये कुछ एंटीजन जीन्स की खराबियों के कारण होता है जिसमें क आपका इम्यून सिस्टम आप पर ही हमला कर देता है। पर इसके अलावा बात करें तो बीते कुछ सालों में बच्चों में

-फिजिकली एक्टिविटी की कमी
-डाइट में कैल्शिम, मैग्नीशियम और प्रोटीन की कमी
-एक्सरसाइज ना करना
-घर के बार ना खेलना
-धूप की कमी इनके बड़े कारणों में से एक है।

बच्चों में गठिया के कुछ शुरुआती लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें पहनना और नजरअंदाज ना करना आपके लिए जरूरी है। जैसे कि

-बच्चों के पैरों में दर्द रहना
-पीठ में दर्द की शिकायत करना
-सोकर उठने के बाद हाथों, पैरों, टखनों, कंधों और कोहनी में दर्द
-आंख के आस-पास सूजन
-थका हुआ और सुस्त लगना
-भूख ना लगना
-वजन बढ़ना
-तेज बुखार
-पूरे शरीर पर दाने या रैशेज

बच्चों में गठिया का उपाय-
बच्चों में गठिया के लिए आप कई प्रकार के उपाय कर सकते हैं। जैसे कि पहले तो आपको उनकी लाइफस्टाइल को सही करना चाहिए। उसके बाद उन्हें फिजिकली एक्टिव करें और घर से बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें। साथ ही उन्हें फैटी और प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से रोकें जो कि मोटापा बढ़ाता है और अर्थराइटिस का कारण हो सकता है। इसके अलावा जरूरी ये है कि आप अपने बच्चों की डाइट में हरी सब्जियां, साग, ड्राई फ्रूट्स, विटामिन सी से भरपूर खट्टे फूड्स, दूध और पनीर जैसी चीजों को शामिल करें।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)