जिम्मेदार विभाग के लापरवाही के चलते सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पाने कोसुममुड़ा के ग्रामीण परेशान

Chhattisgarh Crimes

पूरन मेश्राम।

मैनपुर। वन अधिकार कानून अंतर्गत व्यक्तिगत अधिकारों के लिए दोनों तरफ से रुचि दिखाई दी है परंतु सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के मामले में बहुत ही पीछे रह गए हैं इस प्रक्रिया में गति लाने छत्तीसगढ़ शासन भूपेश बघेल सरकार ने 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के दिन कैलेन्डर तैयार करवाते हुए जन जागरूकता अभियान चलाने की भी बात कही थी जो बहुत ही उपयोगी और शासन के वन वासियों को जल जंगल जमीन पर नैसर्गिक अधिकार दिलाने सराहनीय कदम है। लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक सुदूर वनांचल क्षेत्र के गांव तक नहीं पहुंच पाई है और बहुत जनप्रतिनिधि गण भी इससे वाकिफ नहीं है। मैदानी अमले के विभागीय कर्मचारियों को भी समुदायिक वन संसाधन अधिकार के बारे में कम ही जानकारी है। जिसके कारण से वन वासियों को अपना हक अधिकार लेने के लिए भारी मशक्कत करना पड़ रहा है।

ज्ञात हो कि विकासखंड मुख्यालय मैनपुर के ग्राम पंचायत अड़गड़ी के आश्रित ग्राम कोसुम मुड़ा ग्राम सभा सदस्यों के द्वारा विगत 5 महीना से सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। ग्राम वासियों के द्वारा प्रक्रिया बध्द जंगलों के नजरी नक्शा तैयार करते हुए विशेष ग्राम सभा का आयोजन भी किया गया सीमांकन के लिए विभागीय अधिकारियों को गांव में आने के लिए ज्ञापन भी दिया गया था। उसके बावजूद विभागीय टीम का गांव में नहीं आने से सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पाने के लिए ग्रामीणों को मुश्किल हो रहा है।

वर्तमान में कुछ जंगल क्षेत्रों का सामुदायिक अधिकार ग्रामसभा कोसुममुडा को मिला हुआ है। जिन्हें वन विभाग के मैदानी अमले के कर्मचारियों के द्वारा सामुदायिक वन संसाधन दिया गया है ऐसा बताया जाता है मतलब साफ है अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए वन विभाग ने या तो गुमराह कर रहे हैं या फिर इसके बाधक बन रहे हैं समझ से परे लगता है। ग्राम कोसुममुडा के ग्राम सभा सदस्यों के द्वारा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मिले ऐसा पहल के लिए जिला के कलेक्टर,एसडीएम से मांग किया है।