केन्द्र सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में किसानों ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ, संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली से जुड़े किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादाखिलाफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों पर राज्यपाल छत्तीसगढ़ को राष्ट्रपति के ज्ञापन पत्र सौंपा है।

Chhattisgarh Crimes

26 नवम्बर को छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही, जनकलाल ठाकुर, पारसनाथ साहू, हेमंत कुमार टंडन, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, छत्तीसगढ़ किसान महासभा के संयोजक नरोत्तम शर्मा, जिला किसान संघ बालोद के अध्यक्ष गैंद सिंह ठाकुर, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के सदस्य नवाब जिलानी, भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ प्रभारी प्रवीण श्योकंड, कृष्णा नरवाल, राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन लाल चन्द्राकर, गिरधर पटेल, फुलेश बारले, ललित यादव, आदिवासी भारत महासभा के संयोजक सौरा, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के संयोजक तुहीन, जहुर राम साहू, मदन साहू, सिख संगठन रायपुर से पलविंदर सिंह पन्नू, हरिंदर सिंह संधू, मूलक सिंह, सतनाम सिंह, बिसहत कुर्रे, आदि के नेतृत्व में डॉ भीमराव अंबेडकर प्रतिमा में माल्यार्पण कर राजभवन तक पैदल मार्च कर ज्ञापन सौंपा जिसमें राष्ट्रपति को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज, संविधान दिवस के अवसर पर, देश भर के किसान अपने-अपने राज्यों के राज्यपाल महोदय के माध्यम से आपको केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वायदे याद दिला रहे हैं।

जैसा कि आपको ज्ञात होगा, संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार को लिखे चिट्ठी में अपने छह लंबित मुद्दों की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था। इसके जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम एक पत्र (सचिव/ ऐएफडब्लू/2021/मिस/1) लिखा। इस पत्र में उन्होंने कई मुद्दों पर सरकार की ओर से आश्वासन दिया और आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया था। सरकार की इस चिट्ठी पर भरोसा कर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमा पर लगे मोर्चा और तमाम धरना प्रदर्शनों को 11 दिसंबर 2021 को उठा लेने का निर्णय किया था। आज दस महीने बाद भी केंद्र सरकार ने किसानों से किए गए वायदे पूरे नहीं किए हैं।

हम आपसे एक बार पुनः अनुरोध करते हैं कि आप केन्द्र सरकार से लंबित मांगों को हल करने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने और किसानों की समस्याओं पर ध्यान देते हुए निम्नलिखित मांगों को पूरा करने का आग्रह करें।

  • स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सभी फसलों के लिए सी 2 धन 50 फीसदी के फार्मूला से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए। केन्द्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति व उसका घोषित ऐजेंडा किसानों द्वारा प्रस्तुत मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एमएसपी पर सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए, किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, केंद्र सरकार के वायदे के अनुसार एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल कर, एमएसपी पर एक नई समिति का पुनर्गठन किया जाए।
  • खेती में बढ़ रहे लागत के दाम और फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिलने के कारण 80 फीसदी से अधिक किसान भारी कर्ज में फंस गए हैं, और आत्महत्या करने को मजबूर हैं। ऐसे में, आपसे निवेदन है कि सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएं।
  • बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया था कि, “मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा।” इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने बिना कोई विमर्श के यह विधेयक संसद में पेश किया।
  • लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।
  • लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो निर्दाेष किसान जेल में कैद हैं, उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने का सरकार अपना वादा पूरा करे।
  • सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि, फसल संबंधी बीमारी, आदि तमाम कारणों से होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार सभी फसलों के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा लागू करे।
  • सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹ 5000 प्रति माह की किसान पेंशन की योजना लागू की जाए।
  • किसान आन्दोलन के दौरान भाजपा शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में किसानों के ऊपर जो फर्जी मुकदमे लादे गए हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए।
  • किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, और शहीद किसानों के लिए सिंघु मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाए।

इस ज्ञापन के जरिए देश का अन्नदाता सरकार तक अपना गुस्सा प्रेषित करना चाहता है। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप केंद्र सरकार को उसके लिखित वायदों की याद दिलाएं और देश के किसानों के संपूर्ण कर्ज मुक्ति, किसान बीमा, और किसान पेंशन की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करवाएं। हम आपके माध्यम से केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह किसानों के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे। यदि सरकार अपने वायदे और किसानों के प्रति जिम्मेदारी से मुकरना जारी रखती है, तो किसानों के पास आंदोलन को और तेज करने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं बचेगा।