खाद्य विभाग की जांच में खुलासा; नकली माणिकचंद व सितार गुटखा जानलेवा

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। मंदिरहसौद में अवैध फैक्ट्री में बनाया जा रहा नकली माणिकचंद और सितार गुटखा खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की जांच में अनसेफ यानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक निकला है। यही जानलेवा गुटखा पिछले एक साल से छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था।

31 मई की रात खाद्य विभाग की टीम ने फैक्ट्री में छापेमारी कर करीब एक करोड़ से ज्यादा का गुटखा और रॉ मटेरियल पकड़ा था। अगले दिन 1 जून को गुटखे और रॉ मटेरियल का सैंपल जांच के लिए लेबोरेटरी भेजा गया था। जांच के दौरान गुटखे के साथ-साथ रॉ मटेरियल यानी गुटखा बनाने में उपयोग की जा रही सुपारी, कत्था, एसेंस और मैग्नेशियम कार्बोनेट का मिक्चर तक स्वास्थ्य के लिए घातक निकला है।

फैक्ट्री संचालक छापे के बाद से फरार

लेबोरेटरी से रिपोर्ट आने के बाद अब खाद्य विभाग ने 31 मई के बाद से गायब फैक्ट्री संचालक गुरमुख जुमनानी की तलाश तेज कर दी है। खाद्य विभाग के अफसरों को एक संदिग्ध ट्रक का नंबर मिला है। उसी से गुटखा राज्यभर के अलावा दूसरे राज्यों में सप्लाई किया जाता था। ट्रक मालिक का पता लगाने आरटीओ को चिट्‌ठी लिखी गई है। इसके अलावा फैक्ट्री जिस जगह पर चल रही थी उसके मालिक का पता लगाने रजिस्ट्री विभाग से खसरा नंबर के आधार पर जानकारी मांगी गई है। रजिस्ट्री और गाड़ी नंबर के आधार पर जमीन के मालिक और ट्रक संचालक का पता चल जाएगा।

अब आगे क्या करेगा खाद्य विभाग

गुटखा फैक्ट्री चलाने वाले का पता लगाने के बाद उसे नोटिस भेजकर जवाब देने बुलाया जाएगा। अगर वह नहीं आया तो उसके बयान के बिना ही रिपोर्ट के आधार पर केस बनाया जाएगा। केस को अनुमति के लिए ड्रग कंट्रोलर को भेजा जाएगा। फिर एसडीएम के न्यायालय में केस पेश किया जाएगा। फूड अधिनियम के तहत अपराध साबित होने पर अधिकतम 2 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।

100 से अधिक केस पेंडिंग एक भी प्रकरण में सजा नहीं

रायपुर में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के करीब 100 से ज्यादा केस कोर्ट में चल रहे हैं। अब तक एक भी केस में सजा नहीं हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी प्रक्रिया बेहद लंबी है। इस वजह से निराकरण नहीं हुआ है। राज्य में 2006 में खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम बना है। 2012 में नियम बनाकर इसे लागू किया गया। उसके बाद से ही घटिया और खराब खाद्य सामग्री बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है।

15 दिन आधी-आधी रात की रेकी, फिर दबिश

खाद्य विभाग की टीम को जब अवैध फैक्ट्री का क्लू मिला तब अफसरों की टीम ने तहकीकात शुरू की। फैक्ट्री में केवल रात में काम चलता था। इस लिए आधी आधी रात 15 दिन तक रेकी की गई। उसके बाद 31 मई की रात छापेमारी की गई। उस समय वहां 70 मजदूर पैकिंग कर रहे थे।

फैक्ट्री का मैनेजर छापा पड़ते ही पीछे के दरवाजे से भाग निकला। मजदूरों से पूछताछ से पता चला सभी मप्र और झारखंड के हैं। उन्हें वहीं रखकर काम करवाया जाता था। भोजन की व्यवस्था वहीं की जाती थी ताकि वे बाहर जाकर किसी से मिल न सकें।

गुटखा तो वैसे भी सेहत के लिए हानिकारक होता है। अब अगर गुटखा अनसेफ है तो खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अनसेफ गुटखा या खाद्य सामग्री में हेवी मेटल बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के कई अंगों को इंजूरी यानी क्षति पहुंचाते हैं। इसका सीधा असर लीवर और किडनी पर पड़ता है। ये कभी भी फेल हो सकते हैं। इतना ही नहीं ऐसे अनसेफ गुटखे के लंबे समय तक उपयोग करने से कैंसर की पूरी संभावना रहती है।

– डॉ. अजीत मिश्रा, गैस्ट्रो सर्जन