गरियाबंद जिले में इस वर्ष 8 हजार 533 संग्राहको से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 26 हजार 932 क्विंटल ,लघु वनोपजों की खरीदी

Chhattisgarh Crimes

गरियाबंद। ‘‘वन से जीवन’’ कहावत को चरितार्थ करते हुए राज्य शासन की महत्वाकांक्षी वन-धन योजना वनांचल में रहने वाले हजारों लोगों के जीवन में सम्पन्नता और खुशहाली भर रहा है। छत्तीसगढ़ शासन की अति महत्वाकांक्षी वन धन योजना के क्रियान्वयन हेतु गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत कुल 216 ग्राम स्तर एवं 28 हॉट बाजार स्तर में लघु वनोपज संग्रहण केन्द्र प्रारंभ किया गया है। जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत कुल 38 लघु वनोपजो का क्रय किया जा रहा है। संग्राहको को उनके संग्रहित किए गए वनोपज का उचित दाम मिले इसलिए वनमण्डल द्वारा विभिन्न ग्रामों में पूर्व में चयनित महिला स्व-सहायता समूह गांव के भीतर उत्पादन हो रहे लघु वनोपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीद रहे हैं।

वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने बताया कि शासन की महत्वाकांक्षी वनधन योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में 10 हजार 103 संग्राहको से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगभग 150 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 26 हजार 600 क्विंटल इमली, नागरमोथा, हर्रा, बहेड़ा, शहद, सालबीज आदि लघु वनोपज का क्रय कर उन्हें राशि 5.58 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। वर्ष 2021 -22 में पूरे वनमण्डल में कुल 26 हजार 932 क्विंटल वनोपज संग्रहण किया गया है जिसके अंतर्गत 8 हजार 533 संग्राहक लाभान्वित हुए है संग्राहको को 7 करोड़ 86 लाख 20 हजार 554 रूपये का भुगतान किया गया है। गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत वर्ष 2021 में कुल 22 हजार 11 क्विंटल सालबीज संग्रहण कर पूरे छत्तीसगढ़ स्थान में प्रथम रहा।

माहुल पत्ता प्रसंस्करण केन्द्र मैनपुर बना आजीविका का साधन वनमण्डल द्वारा स्थानीय स्व सहायता समूहों के लिए रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था कर उनके आर्थिक सुदृढ़ीकरण हेतु माहुल पत्ता प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना मैनपुर में की गई है। इस केन्द्र में वन क्षेत्रों से संग्रहित माहुल पत्ते का प्रसंस्करण कर दोना-पत्तल का निर्माण किया जाता है। इस हेतु वनों से माहुल पत्ते के संग्रहण का कार्य वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों द्वारा किया जाता है। जिसे वनधन योजना के अन्तर्गत स्वीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य 15 रूपये प्रतिकिलो की दर से सहायता समूहों के माध्यम से क्रय किया जाता है।

प्राथमिक प्रसंस्करण के उपरांत माहुल पत्ता प्रसंस्करण केन्द्र में लाया जाता है। इस केन्द्र से सम्बद्ध स्व-सहायता समूह के 10 से 15 महिलाओं द्वारा माहुल पत्ते के सिलाई कर दोना पत्तल का निर्माण किया जाता है। उच्च-गुणवत्ता के दोना-पत्ता निर्माण होने के कारण इनकी मांग बहुत अधिक है। वर्ष 2020 में 41.50 क्विंटल में से 14.10 क्विंटल माहुल पत्ते का उपयोग कर 71 हजार 665 पत्तल तथा 15 हजार 25 नग दोना का निर्माण प्रसंस्करण केन्द्र में किया गया है। जिसके विक्रय से 1 लाख 36 हजार 555 रूपये की शुद्ध आय प्रसंस्करण केन्द्र में दोना-पत्तल बनाने वाली महिलाओं में वितरित की गई है। इस प्रकार माहुल पत्ता प्रसंस्करण केन्द्र के संचालन से वनों से माहुल पत्ता संग्रहण करने वाले ग्रामीणों को राशि 62 हजार 250 रूपये की आय कोरोना काल के दौरान बीते वर्ष हुई है।

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