आदिवासी बालक आश्रम बड़े गोबरा को लेकर पालक हुए दो गुट, स्कूल को भाठीगढ़ में संचालित करने पालको ने सौंपा कलेक्टर के नाम ज्ञापन

सहायक आयुक्त ने आश्रम को गोबरा में 1 जुलाई से संचालित करने दिया है आश्वासन

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पूरन मेश्राम/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

मैनपुर । आदिवासी बालक आश्रम शाला बड़े गोबरा को लेकर अब शाला विकास समिति के सदस्यों ने कलेक्टर के नाम अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मैनपुर को एक ज्ञापन सौंपते हुए आदिवासी बालक आश्रम को भाठीगढ़ में यथावत संचालित करने मांग किया है।

कलेक्टर के नाम सौंपे ज्ञापन में शाला प्रबंधन एवं विकास समिति के सदस्यों ने बताया कि आदिवासी छात्रों की शैक्षणिक व आवासीय सुविधा के दृष्टिकोण से आदिवासी बालक आश्रम शाला विकासखंड मुख्यालय मैनपुर से महज 2 किमी दूर ग्राम पंचायत भाठीगढ़ स्थित अपने स्वयं के भवन में वर्ष 2013-14 से आज पर्यन्त तक निर्विवाद रूप से संचालित हो रहा है जहां विकासखंड मुख्यालय से दूर मुख्यधारा से वंचित गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी परिवार के नव निहाल अध्ययन करते है।

इस आश्रम शाला मे 99 प्रतिशत बच्चे राजापडा़व क्षेत्र शोभा, गोना, कोचेंगा,गरीबा, गौरगाँव, क्षेत्र से है। जहां आश्रम शाला के मांग करते करते थक चुके पालकों ने अपने बच्चों को इसी आश्रम शाला में भर्ती कराया गया है।

क्षेत्र के पालको ने बताया कि ग्राम बड़े गोबरा के ग्रामीण भाठीगढ़ में संचालित बालक आश्रम शाला को ग्राम बड़े गोबरा में स्थांनातरित करने का प्रयत्न कर रहे है जो सुविधा के दृष्टिकोण से न्यायोचित नही है । ग्राम बड़े गोबरा में आवासीय शाला हेतु भवन, बिजली, पेयजल, सड़क सुविधा तथा शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है तो वहीं विकासखंड मुख्यालय से 12 किमी दूर घने जंगलो मे ग्राम बड़े गोबरा के 7-8 किमी के दायरे मे कोई भी आश्रित ग्राम नही है, तथा अति संवेदनशील क्षेत्र के चलते वहां आश्रम का संचालन में बुनियादी एवं व्यवहारिक दिक्कते होंगी एवं घने जंगल होने के नाते अध्ययनरत विद्यार्थी दहशत मे रहेंगें ।

अगर वहां ग्राम बड़े गोबरा में आश्रम शाला संचालित किया जाता है तो हम सभी पालकगण अपने बच्चों को वहां भेजना नही चाहेंगे जिसके लिये हम सभी पालक गण उग्र आंदोलन करेंगें। इस दौरान ज्ञापन सौपने वालो में अध्यक्ष शाला प्रबंधन एवं विकास समिति आदिवासी बालक आश्रम बड़े गोबरा के सदस्य मोहनलाल, दूल्लू राम, दुर्गेश कुमार, सुकड़ूराम, केेशरी बाई, रामसिंह, रामलाल, बिसुलाल, यशोदा, श्यामदेव, गोकुल, चेतन, बंसीराम, छेदीलाल, सोनाराम, मानकुराम, हरिराम, गोपालसिंह, हेमलाल नेताम, विजय कुमार, रामरतन, ईश्वर, जयसिंह सहित ग्रामीण उपस्थित थे।

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