उसने तो पुलिस स्टेशन को अपने बाप का घर ही समझ लिया !

संदर्भ: पिथौरा थाने में दबंगों द्वारा युवक की हथकड़ी खोलकर पिटाई का मामला

Chhattisgarh Crimes

शिखादास/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

पिथौरा। आपको याद होगा फिल्म जंजीर का वह दृश्य जिसमें शेर खान पुलिस स्टेशन में दाखिल होते और बैठने के लिए जैसे ही कुर्सी खींचते हैं वैसे ही महानायक अभिताभ बच्चन पुलिस वाले का किरदार निभाते हुए कहते है की यह पुलिस स्टेशन है तुम्हारे बाप का घर नहीं हैं, फिल्म का यह डायलॉग काफी लोकप्रिय हुआ था।

इस डायलॉग का उल्लेख यहां इस लिया किया जा रहा है क्योंकि प्रदेश के महासमुंद जिले के पिथौरा थाने में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके चलते खाखी एक बार फिर दागदार होती नजर आई है। यहां पर पिथौरा थाने में रायगढ़ के दो दबंग आते हैं और एक युवक जिसे पिथौरा की पुलिस हथकड़ी लगा रखी है उनके बोलने पर पुलिस वाले तत्काल युवक की हथकड़ी ऐसा खोल देते हैं जैसे वें दबंग के मातहत कार्य कर रहे हों दबंग उस युवक की थाने में ही धुलाई ऐसे करते हैं जैसे मानो पिथौरा थाना पुलिस स्टेशन ना होकर दबंगों के बाप का घर हो।

पुलिस वाले हांथ पर हांथ बांधे दबंगों को युवक की पिटाई करते ऐसे देख रहे थे जैसे वें कानून के रक्षक नहीं दबंगों के मुलाजिम हों। मजेदार बात यह है की खाखी को शर्मसार कर देने वाली घटना को चार दिन बीतने को हैं और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आरोपी दबंगों के खिलाफ कार्यवाही की बात तो दूर हैं अब तक एक एफआईआर भी दर्ज नहीं किया जाने से समझा जा सकता है कि जिस घटना को लेकर पुलिस की इतनी छिछालेदरी हो रही है उसी मामले पर पुलिस कितनी तत्पर है। हमने जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों से बात किया तो उनका कहना था कि इस मामले में विभाग द्वारा पिथौरा के दो पुलिस कर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया है और इस मामले में किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। हजूर बख्शा नहीं जायेगा यहा तक तो ठीक है जिस प्रकार से दो पुलिस कर्मियों पर तत्परता दिखाते हुए लाइन अटैच की कार्यवाही की गई वहीं तत्परता दबंगों के खिलाफ कार्यवाही करने मैं क्यों नजर नहीं आ रही है या फिर कार्यवाही करने में राजनैतिक दबाव तो आड़े नहीं आ रहा है ऐसे कई सवाल चौक चौराहे पर चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे इस मामले ने एक बात की और हमारा ध्यान बरबस ही खींच दिया है की कमजोर और दलित लोगों के लिए ख़ैरखां बनने वाले कहा चले गए अब तक एक भी ऐसा खैरखां हमे नहीं दिखा शायद ऐसे मामले में उन लोगों को अधिक टीआरपी नहीं मिलेगी यह समझ गए होंगे शायद तभी तो एक दलित कानून के नाक के नीचे दबंगों के हाथों पिटता रहा और उसके जख्मों पर मरहम लगाने कोई नहीं आया।

जिस प्रकार का मामला पिथौरा थाने में सामने आया है उसके चलते पुलिस की कार्य प्रणाली पर उंगली उठना लाजमी है, पत्रकार को देश का चौथा स्तंभ कहा जरूर जाता हैं पर थानों में एक पत्रकार के साथ किस तरह का सलुख किया जाता हैं यह इसी बात से समझा जा सकता है कि जिस थाने में दबंगों के द्वारा हथकड़ी खोलकर एक दलित की पिटाई की जाने वाली घटना को अंजाम दिया गया है उसी थाने में देश के चौथे स्तंभ को रिसेप्शन से आगे जानें की इजाजत नहीं है समाचार कवरेज के लिए फ़ोटो अगर आप लेना चाहोगे तो इसी थाने में ऐसा बर्ताव किया जाएगा जैसे हम देश के चौथे स्तंभ ना होकर आरोपी हों।
बहरहाल इस मामले पर पुलिस को चारो तरफ से आरोपों का सामना करना पड़ रहा है अब देखते हैं की डीएसपी द्वारा की जा रही जांच कब तक पूरी होती और किन किन पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही की गाज गिरती हैं? क्या दबंगों के खिलाफ कोई कार्यवाही पुलिस कर पाएगी ऐसे अनेक सवाल तबतक सुलगते रहेंगे ।

पूरा मामला कुछ इस तरह से हैं

पीड़ित तरूण डहरिया रायगढ़ में राहुल सिंह के यहां झाडू़-पोछे का काम करता था। कुछ दिन पहले उसकी बुलेट को लेकर ये अपने गांव आ गया और पिथौरा के एक ढाबे में काम करने लगा। इस बात की सूचना राहुल सिंह को मिली तो अपने दोस्त सन्नी सरदार के साथ 30 जून को पिथौरा आया और तरुण को ढूंढने लगा। रात में तरुण की मुलाकात पिथौरा के पास एक ढाबे में हुई है। इसके बाद दोनों युवक अपने भाई को सूचना देकर पिथौरा पुलिस की मदद करने की बात कही। इसके बाद उसके भाई के पहचान वाले दोनों आरक्षक वहां आए। उसे लेकर पीटते हुए थाना ले गए। और वहां उक्त युवक को हथकड़ी लगा दिया गया फिर दबंगों के कहने पर पुलिस कर्मियों ने उसकी हथकड़ी खोल दिया और दबंगों ने उसकी पिटाई थाने में की।
पीड़ित के अनुसार पिथौरा में मारपीट कर अपनी कार में दोनों लाए और रास्तेभर मारपीट किए और रायगढ़ लाकर स्टेशन चौक के आसपास फिर घंटों मारपीट की। पीड़ित के अनुसार फिर आरोपी युवकों ने उसे सिटी कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया था। वहीं पीड़ित ने दोनों युवकों के खिलाफ पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की। पीड़ित ने बताया कि मैंने बुलेट चोरी नहीं की है। काम की मजदूरी नहीं देकर मुझसे कहा गया कि बुलेट लेकर घूमने जाओ कहा। मैं बुलेट लेकर अपने गांव आ गया था। बुलेट चोरी नहीं की है।

इस घटना को सोशल मीडिया में देखकर सिटी कोतवाली पुलिस के पास जब शहर की एक महिला आवेदन लेकर सोशल मीडिया के वीडियो साथ पहुंची, तब पुलिस ने पीड़ित दलित युवक तरुण को कोतवाली से यह कहकर छोड़ दिया कि, इसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है। इसके बाद यह वीडियो इंस्टाग्राम से डिलीट भी कर दिया गया। मामले ने जब तूल पकड़ा तब पीड़ित युवक के साथ कुछ लोग रायगढ़ पुलिस के अधिकारियों से मुलाकात की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें पिथौरा थाने में शिकायत करने की सलाह दी।

इधर मामला सामने आने के बाद पिथौरा थाना में पदस्थ आरक्षक शैलेष ठाकुर व गोपाल यादव को पुलिस अधीक्षक ने लाइट अटैच कर दिया है। वहीं इस मामले की जांच का जिम्मा एसडीओपी पिथौरा को सौंपा गया है। इस मामले में एसडीओपी श्री साहू ने थाने में मारपीट की घटना को इंकार करते हुए कहा है कि उन्हें जांच का जिम्मा दिया गया है और जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कानून के हिसाब से कार्यवाही किया जाएगा।