शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट ने शासन से मांगा जवाब, अगली सुनवाई 24 को

Chhattisgarh Crimes

बिलासपुर। सरगुजा-बस्तर में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियम 1994 के परिव 20 प्रतिशत के स्थान पर अनुसूचित जनजाति को 65 प्रतिशत से अधिक देने पर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने शासन को जवाब तलब किया है। साथ ही शिक्षक एवं सहायक शिक्षक के भर्ती प्रकिया के निर्णय के अधीन रखा गया है। अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी।

याचिकाकर्ता कामेश्वर कुमार यादव, योगेन्द्र मनी वन एवं अन्य उच्च न्यायालय में एक याचिका प्रस्तुत कर बताया कि शासन द्वारा शिक्षक टी-संवर्ग के 4659 पद एवं ई-संवर्ग के 1113 पदों की भर्ती हेतु 4 मई को विज्ञापन जारी किया गया है। जिसमें सहायक शिक्षक पद के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया। छग.म. लोक सेवा (अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एव अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) नियम 1994 के तहत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग पदों के लिए अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है।

किंतु अनुसूचित जनजाति को 65 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया गया है। जबकि राज्य शासन द्वारा 2011 में 50 से 58 प्रतिशत आरक्षण को बढाने की अधिसूचना को भी उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केवल लंबित विज्ञापनों को 58 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर किन्यान्वित करने का निर्देश दिया है। इस कारण नये विज्ञापन में पद पूर्व नियम से ही आरक्षित किये जायेंगे अर्थात अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत एवं अन्य पिछडा वर्ग को 14 प्रतिशत कुल 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है।

किंतु इस विज्ञापन में अनुसूचितः जाति को 85 प्रतिशत से अधिक आरक्षण शिक्षक एवं सहायक शिक्षक के पद पर दिया गया है। जिससे अन्य वर्गों का हित प्रभावित हो रहा है जिसे चुनौती देते हुए दायर याचिका की गयी। सुनवाई होने पर शासन की जोर से बताया गया कि कुछ बैकलाग पद जुड़े होने के कारण इस प्रकार का आरक्षण किया गया है जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से बताया बताया गया है कि विज्ञापन में कितने पद बैकलाग के है एवं किस वर्ग के है यह नहीं बताया गया। यदि बैकलाग पद है तो उसे विज्ञापन सूचित जाना आवश्यक है किंतु बिना किसी विवरण के शासन अनुसूचित जनजाति को नियम विरुद्ध आरक्षण नहीं दे सकते। सुनवाई पश्चात न्यायमूर्ति पी०सेम कोशी के एकलपीठ ने शासन से जवाब तलब करते हुए भर्ती प्रक्रिया को इस याचिका के निर्णय से बाधित रखा गया है।