शादी को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, आर्य समाज का विवाह प्रमाण पत्र वैध नहीं

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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू शादी को लेकर बुधवार को एक बड़ा महत्वपूर्ण फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र मान्य नहीं होंगे. कोर्ट ने ये भी कहा कि विवाह प्रमाण पत्र का कोई विधिक महत्व नहीं है. केवल इसे साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा कि आर्य समाज का विवाह प्रमाण पत्र वैध नहीं है. आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र शादी की वैधानिकता का सुबूत नहीं है. हिंदू धर्म की शादी परंपरागत दोनों पक्षों की सहमति समारोह में होनी चाहिए, जिसमें सप्तपदी की रस्म पूरी हुई हो.

दरअसल, हाईकोर्ट ने परिवार अदालत सहारनपुर के धारा 9 की अर्जी खारिज करने के फैसले के खिलाफ प्रथम अपील खारिज कर दी है. कोर्ट का कहना है कि शादी के वैध सबूत के बगैर धारा 9 की अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती. यह आदेश जस्टिस एसपी केसरवानी एवं जस्टिस राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने आशीष मौर्य की अपील पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि जब शादी ही वैध नहीं तो हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत विवाह पुनर्स्थापन की अर्जी परिवार अदालत द्वारा स्वीकार न करना कानूनन सही है.

बता दें कि याची का कहना था कि अनामिका धीमान उसकी पत्नी है. विवाह पुनर्स्थापित करने की परिवार अदालत में अर्जी दी. बाद में समझौते के आधार पर वापस ले ली. लेकिन कुछ दिन बाद दोबार अर्जी दाखिल की. कथित पत्नी ने शादी होने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि झूठी शादी की गई है. उसे ब्लैक मेल करने के लिए आर्य समाज से विवाह प्रमाणपत्र लिया गया है.

मामले में थाना सदर बाजार, सहारनपुर में FIR दर्ज कराई गई है. पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी है. कोर्ट ने कहा सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 11 नियम 2 के तहत बिना शादी हुए पुनस्र्थापन अर्जी दाखिल की जा सकती है. ऐसी अर्जी प्रतिबंधित मानने के परिवार अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने सही माना. कहा कि आर्य समाज का शादी प्रमाणपत्र शादी की वैधता का प्रमाण नहीं है.