प्लेसेंटा परक्रेटा के जटिल केस में आपरेशन कर महिला की बचाई जान

आपरेशन में महिला के गर्भाशय को बचाते हुए सुरक्षित किया जीवन

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। डॉक्टरों को उनकी समर्पित सेवा के लिये शुक्रिया अदा करने के लिये मनाये जाने वाले डॉक्टर्स डे के दिन ही पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय-डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के डॉक्टरों ने बलौदाबाजार जिले की 24 वर्षीय महिला के प्लेसेंटा परक्रेटा का जटिल आपरेशन कर महिला के जीवन को सुरक्षित बचा लिया और सेवा की मिसाल कायम की ।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. ज्योति जायसवाल के नेतृत्व में हुए इस आपरेशन के बाद महिला स्वस्थ है। बेहद जटिल तथा प्रसूति महिलाओं के लिये जानलेवा बनने वाले प्लेसेंटा परक्रेटा केस के बारे में जानकारी देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल ने बताया कि सामान्यत: आंवल या गर्भनाल या प्लेसेंटा बच्चेदानी या गर्भाशय की दीवार से हल्की सी चिपकी रहती है और जैसे ही बच्चे की डिलीवरी होती है, संकुचन के फलस्वरूप आंवल भी बाहर निकल कर आ जाता है लेकिन इस केस में आंवल का कुछ हिस्सा बच्चेदानी में ही धंसा हुआ था जिससे लगातार महिला को रक्तस्त्राव हो रहा था। प्लेसेंटा परक्रेटा एक जानलेवा स्थिति है जिसका समय पर उपचार नहीं मिलने से प्रसूताओं की जान भी जा सकती है। डॉ. ज्योति जायसवाल बताती हैं – बलौदाबाजार की महिला मरीज ने एक महीने पहले घर पर ही जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। जन्म के दौरान महिला को काफी रक्तस्त्राव हुआ था। इसके साथ ही गर्भाशय से आंवल (प्लेसेंटा/गर्भनाल) नहीं निकला था। महिला के घरवाले नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए जहां से उसे बलौदाबाजार जिला अस्पताल भेज दिया गया। जिला अस्पताल में अत्यधिक रक्तस्त्राव की स्थिति को देखते हुए महिला को खून चढ़ाकर आगे के उपचार के लिये अम्बेडकर अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग रेफर कर दिया गया। मरीज जब यहां भर्ती हुई तब भी उसका रक्तस्त्राव जारी था जिसके कारण यहां पर उसको तीन यूनिट रक्त चढ़ाया गया। उसके बाद स्थिति में सुधार होने के बाद एम. आर. आई. और बाकी जांचें कराई गई। एम. आर. आई. जांच में गर्भाशय में प्लेसेंटा परक्रेटा होना पाया गया।

चुनौतीपूर्ण रहा आपरेशन

डॉ. ज्योति जायसवाल के अनुसार, महिला को अत्यधिक रक्तस्त्राव पहले ही हो चुका था। यहां आने के बाद तीन यूनिट खून चढ़ाने के बाद आपरेशन के दौरान भी तीन यूनिट खून का इंतजाम किया गया था। महिला की उम्र काफी कम थी और ऐसे में हमारी टीम के पास चुनौती इस बात की थी कि गर्भाशय को बचाते हुए आंवल को कैसे बाहर निकालें। ऐसे में हमारी टीम ने बेहद ही सावधानीपूर्वक आॅपरेशन करते हुए आंवल को भी बाहर निकाल लिया और गर्भाशय को भी सुरक्षित बचा लिया। डॉ. ज्योति जायसवाल के साथ टीम में डॉ. रूचि किशोर गुप्ता, डॉ. स्मृति नाईक और डॉ. श्वेता ध्रुव शामिल रहीं।

क्या है प्लेसेंटा परक्रेटा

प्लेसेंटा गर्भाशय (गर्भ) में बढ़ता है और गर्भनाल के माध्यम से बच्चे को भोजन और आक्सीजन की आपूर्ति करता है। आमतौर पर, प्लेसेंटा गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में बढ़ता है और आपके बच्चे के जन्म तक वहीं रहता है। प्रसव के अंतिम चरण के दौरान, प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है, और संकुचन इसे योनि (बर्थ कैनाल) में धकेलने में मदद करते हैं जिससे ये शिशु जन्म के कुछ ही मिनटों में बाहर आ जाते है लेकिन कभी-कभी यह प्लेसेंटा खुद को गर्भाशय की दीवार से बहुत गहराई से जोड़ लेता है और प्लेसेंटा परक्रेटा की समस्या निर्मित होती है। इस स्थिति में प्लेसेंटा खुद को गर्भाशय से जोड़ता है और गर्भाशय के माध्यम से बढ़ता है और कभी-कभी मूत्राशय और उसके आस-पास के अंगों तक फैलता है। इन स्थितियों में, बच्चे को जन्म देने के बाद प्लेसेंटा गर्भाशय से पूरी तरह से अलग नहीं होता है। इससे खतरनाक रक्तस्राव हो सकता है।