अमेरिका में छत्तीसगढ़िया अंदाज में मनाया गया आजादी का जश्न

शिकागो की सड़कों पर दिखी बस्तरिया झांकी, लगे भारत माता की जय के नारे

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। स्वतंत्रता दिवस के दिन अमेरिका में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है और यह जश्न भी छत्तीसगढ़िया अंदाज में मनाया गया। छत्तीसगढ़ के रहने वाले NRI ग्रुप NACHA के सदस्य छत्तीसगढ़ी संस्कृति में अमेरिका की सड़कों पर भी निकले।

नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन के पुरुष सदस्यों ने गौर मुकुट पहना और मांदर बजाते नजर आए। इसके अलावा महिला सदस्यों ने भी नीले रंग की साड़ी बिल्कुल आदिवासी अंदाज में पहनी और भारता माता की जय के नारे लगाए।

सभी भारतीयों ने लगाया भारत माता की जय का नारा।

ग्रुप के अध्यक्ष गणेश कर ने बताया कि पहली बार युनाइटेड स्टेट अमेरिका में छत्तीसगढ़िया आदिम संस्कृति को इस तरह से पेश किया गया है। वहां हमने विदेशियों को बस्तर और यहां की संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में भी बताया।

अमेरिका के शिकागो में इंडिया डे परेड के दौरान भारत की समृद्ध आदिवासी संस्कृति का प्रदर्शन किया गया। भारतीय गीतों पर नाचते-गाते NRI ने स्वतंत्रता दिवस मनाया। अमेरिकी नागरिकों ने भी जब छत्तीसगढ़ के इन समुहों को रंग-बिरंगे परिधान, मांदर, छत्तीसगढ़ी लुगरा में महिलाओं को देखा तो वह भी उत्साहित दिखे।

क्रूजर बाइक इंडियन पर बैठे युवाओं ने आदिवासी अंदाज में धोती-कुर्ता और कोटी पहनी थी। रैली निकालते हुए शिकागो की सड़कें भारत माता की जय के नारों से गूंज उठी। कैलिफोर्निया, यूके, डेट्रॉइट और टोरंटो में भी 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस से जुड़े कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के लोग भाग ले रहे हैं।

अमेरिका के शिकागो में छत्तीसगढ़ी अंदाज में आजादी का जश्न मनाया गया।

क्या है NACHA?

नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन जिसको शॉर्ट फॉर्म में NACHA कहा जाता है। अब यह ऑर्गेनाइजेशन 19 देशों में सक्रिय है, जहां-जहां छत्तीसगढ़ के लोग रहते हैं। इन लोगों ने बताया कि विदेशों में छत्तीसगढ़ की कला और सांस्कृतिक विरासत का प्रचार करना हमारा मकसद है। विदेशों में छत्तीसगढ़िया अंदाज तैयार करने में दुर्ग जिले के लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय ने खास मदद भी की। इस संस्था का संचालन अमेरिका में रहने वाले छत्तीसगढ़ के लोग कर रहे हैं।

भारत के बाहर छत्तीसगढ़ की विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नाचा की शुरुआत 2017 में शिकागो में हुई थी। पिछले 5 सालों में यह एक अंतरराष्ट्रीय संस्था बन चुकी है। इस संस्था में करीब 5 हजार छत्तीसगढ़ के ऐसे युवा अपने परिवारों के साथ जुड़े हैं, जो कि विदेश में बस चुके हैं।