चीन को उसके घर में ही घेरने की तैयारी में भारत, ब्रह्मोस मिसाइल बनेगी पड़ोसी ड्रैगन का ‘काल’

Chhattisgarh Crimes

हनोई। लद्दाख में जारी तनाव के बीच भारत ने चीन को उसके घर में ही घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। भारत की इस आक्रामक रणनीति में चीन के सताए उसके कई पड़ोसी देश सहयोगी बनने को तैयार हैं। वियतनामी नौसेना तो 26 और 27 दिसंबर को भारतीय नौसेना के साथ दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास करने जा रही है। इसके अलावा चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए वियतनाम सहित इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर और फिलीपींस भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को खरीदने के लिए भी बेकरार हैं।

चीनी आक्रामकता के खिलाफ भारत-वियतनाम आए साथ

इसी महीने 21 दिसंबर को भारत और वियतनाम के बीच प्रधानमंत्री स्तर का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। जिसमें दोनों देशों के बीच इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक नीतियों के खिलाफ आपसी सहयोग पर भी सहमति बनी। 2016 में पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में वियतनाम के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी का समझौता किया गया था। कल से शुरू होने वाला समुद्री युद्धाभ्यास इसी रणनीति का नतीजा बताया जा रहा है।

बाढ़ से जूझ रहे वियतनाम को भारत ने भेजी मदद

वियतनाम में आई भीषण बाढ़ के बीच भारत ने अपने नौसैनिक जहाज के जरिए 15 टन से ज्यादा राहत सामग्री हो ची मिन्ह शहर के ना रंग बंदरगाह भेजी है। इसे लेकर वियतनाम पहुंचा भारतीय नौसेना का पोत आईएनएस किल्टन लौटते समय वियतनाम की नौसेना के साथ युद्धाभ्यास करेगा। बताया जा रहा है कि इस अभ्यास का मकसद वियतनामी नौसेना के साथ संपर्क और सहयोग को बढ़ाना है।

ब्रह्मोस पर जल्द हो सकती है दोनों देशों में डील

भारत ने वियतनाम के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी करने के बावजूद अभी तक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल देने की हामी नहीं भरी है। माना जा रहा है कि भारत को डर है कि अगर चीन के पड़ोसी देशों को यह मिसाइल दी गई तो इससे ड्रैगन के साथ हमारे संबंध और खराब हो सकते हैं। 2018 में जब भारत ने वियतनाम एयरफोर्स के पायलटों को सुखोई एसयू 30 एमकेआई को उड़ाने की ट्रेनिंग दी थी, तब भी चीनी मीडिया में इसकी कड़ी प्रतिक्रिया देखी गई थी।

चीनी सेना का काल बनेगी ब्रह्मोस मिसाइल

दक्षिण चीन सागर में गश्त लगाने वाली चीनी नौसेना के लिए भारत की यह मिसाइल काल बन सकती है। यह दुनिया की एकमात्र ऐसी मिसाइल है जो समुद्र, पानी और हवा तीनों माध्यम से फायर की जा सकती है। यह मिसाइल 300 किलोग्राम तक पारंपरिक और परमाणु वारहेड ले जाने के साथ अपने निशाने को सटीकता के साथ भेदने में सक्षम है। इसकी स्पीड भी 2.8 मैक से ज्यादा है। इस कारण कोई भी चीनी मिसाइल रक्षा प्रणाली भारत के ब्रह्मोस को रोक नहीं सकती है।

वियतनाम को ब्रह्मोस मिलने से चीन को क्या नुकसान

चीन कभी नहीं चाहेगा कि वियतनाम के पास भारत की ब्रह्मोस मिसाइल आए। इस मिसाइल की रेंज में तब सीधे तौर पर चीनी युद्धपोत आ जाएंगे। वियतनाम अपने पड़ोसी चीन के साथ 1300 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जबकि दक्षिण चीन सागर के साथ वियतनाम की 1,650 किमी लंबी सीमा जुड़ी हुई है। ऐसे में दो तरफ से चीनी आक्रामकता का सामना कर रहे वियतनाम के लिए जमीन, पानी और हवा से दागा जाने वाला ब्रह्मोस उपयोगी हथियार साबित हो सकता है।

वियतनाम को अरबों का क्रेडिट

भारत ने वियतनाम को हथियार खरीदने के लिए पहले ही 36,78,54,50,000 रुपये का लाइन आॅफ क्रेडिट दिया है। माना जा रहा है कि इस सौदे में ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद भी शामिल है। भारत वर्तमान में क्रेडिट योजना के तहत वियतनाम को 100 मिलियन डॉलर की लागत वाली 12 हाई स्पीड पेट्रोल शिप दे रहा है। इन शिप्स को सीमा की रखवाली कर रहे वियतनाम बॉर्डर गार्ड के लिए बनाया जा रहा है।