बागबाहरा। जनपद पंचायत बागबाहरा के लगातार चार बार सदस्य एंव तीन बार उपाध्यक्ष निर्वाचित होने का ख्याति प्राप्त भाजपा नेता भेख लाल साहू ने कहा है कि
खल्लारी,विधनसभा क्षेत्र लगातार कमजोर नेतृत्व के कारण और शासन की उपेक्षा का दंश झेल रहे यहां के किसानों की खेती प्यासी है।यहां की खेती सिंचित हो सके किसानों को अकाल से राहत मिल सके ऐसी कोई योजना बांध जलाशय बनाने के लिए नहीं हो रहे प्रयास।
उपाध्यक्ष साहू ने कहा कि विकास खण्ड बागबाहरा के अंतिम छोर उडीसा सीमा से लगा हुआ गांव है सालडबरी नाला में चारभांठा जलाशय के नाम से पूर्व मुख्यमंत्री डाँ. रमनसिंह सरकार ने दो करोड रुपये स्वीकृति प्रदान किया था चारभांठा जलाशय बनने से क्षेत्र के दर्जनों गांव के हजारों एकड कृषि भूमि सिंचाई साधन से जुडता तो यहां के किसानों को अकाल से मुक्ति मिलता परंतु यह योजना राजनीतिक शिकार के चलते दम तोड दिया इस सिंचाई योजना का निर्माण करने सरकार ने अनुमति दे दिया था यहां तक किसानों के जमीन अधिग्रहण करने की सुनवाई हो चुका था सरकार ने भूअर्जन शाखा मे मुआवजा राशि भी जमा किया जा चुका था।
जलाशय निर्माण करने ठेका भी दिया जा चुका था ठेकेदार व्दारा अनुबंध भी किया जा चुका था। परंतु यहां के विकास विरोधी राजनीति करने वाले के इशारे पर सिंचाई विभाग के तमाम अधिकारियों ने सरकार को गलत जानकारी देकर काम को रोक लगवा दिये अधिकारियों ने सरकार को बताया कि किसानों की जमीन डुबान मे आ रहा है। जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों के जलाशय निर्माण का सर्वे किया था सर्वे आधार पर सरकार ने किसानों को मुआवजा देने कलेक्टर महासमुंद के खाता मे राशि जमा कर दी यदि सर्वे में किसानों की अधिक जमीन डुबान मे आ रहा था तो सिंचाई विभाग ने स्वीकृति के पहले सरकार को गलत जानकारी क्यों दिया क्या किसी के दबाव में गलत रिर्पोट सरकार को भेजा सिंचाई विभाग इसका जवाब क्षेत्र के जनता को दें।
उपाध्यक्ष साहू ने कहा कि सिंचाई विभाग के सर्वे में जब भूस्वामी हक की भूमि ज्यादा डूब रहा था तो सर्वे करते समय इस बात को क्यों नजर अंदाज किया गया इसका जवाब सिंचाई विभाग दें! किसी भी सिंचाई योजना निर्माण के पहले प्रभावित पक्ष और लाभ पक्ष को पहले देखा जाता है यदि लाभ कम और नुकसान ज्यादा हो तो सरकार खुद निर्माण करने स्वीकृति नहीं देती।सिंचाई विभाग के उदासीनता लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना हरकत से सरकारी खजाने को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा है क्यों न ही इस राशि की भरपाई तत्कालीन लापरवाह अधिकारी से किया जाना चाहिए।सिंचाई विभाग के गलत रिर्पोट देने के कारण प्रशासन का सालों का समय और सर्वे के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी क्यों क्या गया ? सिंचाई विभाग के इस लापरवाही की जांच अब तक सरकार ने क्यों नहीं कराई गई आखिर दोषी अधिकारी के खिलाफ अब तक कार्यवाही क्यों नहीं क्या गया?
इस जलाशय निर्माण में उन्हीं लोगों को आपत्ति है जिन्होंने सरकार की सैकड़ों एकड जमीन को अवैध कब्जा कर बैठे हुये है जब सरकारी जगह डुबान मे आ रहा है तो उस जमीन को किसानों का भूस्वामी हक की जमीन डूबने की गलत जानकारी किसके कहने पर गलत रिर्पोट सिंचाई विभाग ने सरकार को दी इसकी जांच कर विकास विरोधी उस जनप्रतिनिधि को बेनकाब किया जाना चाहिए।
भेखलाल साहू ने सरकार और कलेक्टर महासमुंद से आग्रह करते हुये कहा है कि इस सिंचाई योजना का फाइल को खोलकर पुनः परीक्षण करायें यदि जलाशय का निर्माण हो जाता है तो इस क्षेत्र के दर्जनों गांव के किसानों का भला होगा क्षेत्र के किसानों को अकाल से मुक्ति मिलेगी किसान आत्मनिर्भर बन सकते है।
उल्लेखनीय है कि हमेशा से यह क्षेत्र अकालग्रस्त पीडित रहा है यहां कभी अल्पवर्षा अतिवृष्टि ओला वृष्टि,सहित अनेकों प्रकार के प्राकृतिक आपदा के कारण यहां के किसान कर्ज से लदे हुये है किसान की हालत एकदम नाजुक और दयनीय है इस दयनीयता से छुटकारा दिलाने हेतु सरकार को चाहिए जहाँ पर खाली पडे सरकारी जमीन पर बांध जलाशय का निर्माण कराया जाए और बारिश की पानी जो व्यर्थ बहते हुये नाला मे चला जाता है उस पानी को जलाशय में भरकर किसानों के खेतों तक आसानी से पानी पहुंचाया जा सकता है बस उक्त काम को करने इच्छा शक्ति का होना जरुरी है तमाम क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि प्रशासनिक अमला ईमानदारी पूर्वक सिंचाई योजना निर्माण करने अपनी क्षमता के अनुरूप काम करते है तो क्षेत्र में सिंचाई का जाल बिछाया जा सकता है।
इस योजना को मनरेगा से जोडे मजदूरों का मजदूरी मनरेगा से करायें और चालीस प्रतिशत नगद राशि राज्य सरकार वहन करें जनप्रतिनिधियों को जो करोडों रुपये निधि मिलता है उसमें का भी कुछ हिस्सा सिंचाई के क्षेत्र मे खर्च कर दे तो क्षेत्र को हरितक्रांति में तब्दील किया जा सकता है परंतु दूर्भाग्य है इस क्षेत्र के किसी भी जनप्रतिनिधि ने खेतों तक पानी पहुंचाने की दिशा मे कभी चर्चा भी नहीं करते और न ही कभी सिंचाई योजना बनाने पहल किये, यदि पहल करते तो इस क्षेत्र के किसानों की हालत इतना कमजोर नहीं होता यदि खल्लारी के रहनुमाओं ने किसानों का उपेक्षा शुरु से करते आ रहे है किसानों के नाम पर वोट बटोरने वाले नेताओं ने सत्ता पाते ही अपना रंग बदलना शुरु करते रहे है!