मलेरिया से पीड़ित जवान को एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा, 15 किमी का बनाया ग्रीन कॉरिडोर

Chhattisgarh Crimes

जगदलपुर। बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा गया है। जवान की हालत को देखते हुए डिमरापाल अस्पताल से जगदलपुर दंतेश्वरी एयरपोर्ट तक 15 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। मलेरिया से पीड़ित जवान बीजापुर जिले में CRPF 153वीं बटालियन में पदस्थ है। जवान का नाम अकन राव है। 26 जुलाई को उसकी अचानक तबीयत बिगड़ी थी। उसे तेज बुखार की शिकायत थी।

जगदलपुर दंतेश्वरी एयरपोर्ट पर एयर एंबुलेंस के जरिए मलेरिया से पीड़ित जवान को दिल्ली भेजा गया है। - Dainik Bhaskar

तबीयत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद 28 जुलाई को उसे जगदलपुर के डिमरापाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां उसका इलाज किया गया। मगर यहां भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ।

हैदराबाद से एयर एंबुलेंस को बुलाया गया

सोमवार को डॉक्टरों ने फैसला किया कि जवान को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली भेजा जाना चाहिए। इसलिए हैदराबाद से एयर एंबुलेंस को बुलाया गया और उसे करीब 12 बजे दिल्ली के एम्स अस्पताल भेजा गया है। बीमार जवान के साथ कुछ जवान और एक डॉक्टरों की टीम भी रवाना हुई है। जवान को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। इसके चलते उसे ऑक्सीजन सपोर्ट में रखकर ले जाया गया है।

सिर पर चढ़ गया है मलेरिया

अस्पताल के डॉक्टर नवीन दुलहानी ने बताया कि जवान के सिर पर मलेरिया चढ़ गया था। कंडीशन क्रिटिकल है। इसलिए बेहतर उपचार के लिए जवान को दिल्ली भेजा गया है।

ग्रीन कॉरिडोर क्यों बनाया जाता है

ग्रीन कॉरिडोर यानी एक निश्चित समय के लिए रास्ते को किसी मरीज के लिए खाली कराना या ट्रैफिक कंट्रोल करने को कहते हैं। इसे मेडिकल इमरजेंसी जैसे कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट या मरीज की क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए बनाया जाता है।

इसमें अस्पताल प्रबंधन और पुलिस मिलकर मरीज को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल तक तेज रफ्तार एंबुलेंस में ले जाते है। इसके तहत हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए रास्ते पर आने वाले ट्रैफिक को 60-70 प्रतिशत तक कम करने की कोशिश की जाती है, ताकि मरीज जल्द से जल्द पहुंच सके।