मामला महासमुंद जिला के बुंदेली का
विशेष रिपोर्ट शिखादास / छत्तीसगढ़ क्राइम्स
महासमुंद/ पिथौरा
जिन कंधो पर वन विभाग ने वनों के सुरक्षा का पुरा दारोमदार सौप रखा हो अगर वही कंधे वन भूमि पर अवैधानिक कृत्यों में संलग्न हो जाए तो ऐसे में हमारे वन और वन जीव कैसे महफूज और सुरक्षित रह सकते हैं यह चिता और चितन का विषय है। महासमुंद ज़िला अंतर्गत पिथोरा विकासखंड बुंदेली ग्राम में एक ऐसा ही मामला सामने आया है।
वैसे इस गांव को शहीद ग्राम आदर्श ग्राम का दर्जा वर्षो पहले ही मिल चुका है, पर यह गांव कभी पंचायत में भ्रष्टाचार तो कभी अन्य विवादों , राजनीतिक रसूखदारी से इसकी छबि धूमिल होती नज़र आती हैं। एक फिर यह गांव वन समिति अध्यक्ष के कारनामे के चलते सुर्खियों मे हैं। एक बार फिर बुँदेली चर्चा मे इसलिए आ रहा कि 7 जुलाई 22 की दरमियांनि रात्रि को एक ट्रैक्टर वन भूमि मे अतिक्रमण वाली जगह पर मथाई करते हुए ग्रामीणों ने देखा तो टिकरापारा वन समिति को इसकी सूचना दिया साथ ही डीएफओ महासमुंद को भी ग्रामीणों ने शिकायत किया ।
ग्रामीणों की शिकायत पर डीएफओ ने तत्काल पिथौरा वन अमले को कार्यवाही करने का निर्देष जारी किया तब कुंभकर्णी नीद में सोता पिथौरा का अमला हरकत में आया और मौके मे पहुंच कर कक्ष क्रमांक 224 में अतिक्रमित वन भूमि पर अवैधानिक तरीके से मताई करते ट्रैक्टर को वन विभाग द्वारा वन अधिनियम 1927 की धारा 30 के तहत जप्ति की कार्यवाही किया गया। यहां पर यह बताना बेहद जरूरी है कि जो ट्रैक्टर वन अमले ने अवैधानिक कृत्यों के चलते जप्त किया है वह विमल मानिकपुरी का ट्रैक्टर हैं, जो कि बुँदेली वन प्रबँधन समिति का अध्यक्ष है साथ ही पहाड़ी के नीचे एक कक्ष का वेतनभोगी चौकीदार भी हैं ।
इस रिपोर्टर को ग्रामीणों ने बताया कि अगर हम लोग डीएफओ महासमुंद को शिकायत नहीं करते तो शायद ही इस प्रकार की कार्यवाही हो पाती, ग्रामीणों का कहना है कि डीएफओ महासमुंद के निर्देश पर ही कार्यवाई हुई वरना स्थानीय विभाग तो करता ही नहीँ । इस बात की पुष्टी स्वयं एसडीओ बसंत व रेँजर जे के गण्डेचा ने भी करते हुए कहा कि महासमुंद डीएफओ के निर्देश पर ही यह कार्यवाई हुईं हैं। रेँजर ने अपने विडियों बयान मे जो कहा वो भी प्रस्तुत है: रेँजर ने कहा कि वन अधिनियम 1927 की धारा 30के तहत एक हालैंड ट्रैक्टर जब्त की गई हैं ।
जो विमल दास महन्त की है जो कि वनभूमि मे अतिक्रमण वाली खेत मे मताई कर रहा था। रेँजर के मुताबिक POR क्रमांक 14326/18 कक्ष क्रमांक 224 मे मताई कार्य न्यू हालैण्ड ट्रैक्टर से किया जा रहा था। उस पर कार्यवाही करते हुए हॉलैंड ट्रैक्टर जब्ती की गई है जो कि विमलदास महंत बुँदेली वन समिति अध्यक्ष की है । इस रिपोर्टर ने जब वन विभाग के एसडीओ से सवाल किया कि क्या ग्रामीणों का भरोसा पिथौरा वनविभाग के अधिकारियों पर नही हैं ? तो अनुत्तरित ही रहे एसडीओ साहब। इस सवाल पर रेँजर का कहना था सबकी अपनी मर्जी कि कहाँ शिकायत करना है ? अविश्वास का सवाल इसलिए नहीं कि पिथौरा कार्यालय को जो भी शिकायत मिलती है हम कार्यवाही करते हैं । पर दोनों ही अधिकारी यह भुल गयें कि आखिरकार ग्रामीणों को डीएफओ के पास शिकायत आखिर क्यों करनी पड़ी ? जब यह महिला रिपोर्टर रेजर का बयान लेकर निकली तो बुंदेली वन समिति का अध्यक्ष विमलदास महंत परिसर में ही बैठे मिल गए। जब उनका पक्ष जानने का प्रयास किया तो बिना कुछ कहें रेंजर के कक्ष में जाकर बैठ गए और वहीं पर ब्यान शूट करने की बात पर अड़ गए पर महिला रिपोर्टर ने भी उनकी एक नहीं सुनी और कक्ष से बाहर निकल कर ब्यान देने कहा तो बाहर निकलकर अपने ब्यान में विमलदास महंत ने गरीब ड्रायवर दरबार यादव पर ही सारा आरोप मढ़ते हुए कहा कि वह मुझसे बिना पूछे ही ट्रैक्टर ले गया था उन्हे भी कुछ नहीं पता है। वनविभाग मे बरसों से अपनी राजनीतिक रसुखदारी से गहरी पैठ रखने वाले विमलदास महँत वनसमिति मे बरसो से अध्यक्ष के साथ साथ बुन्देली पहाड़ी के नीचें कक्ष के चौकीदार भी है जिसके लिए हर माह करीब 8000 रूपए का वेतन विभाग से मिलता है ।
विमलदास महँत का ट्रैक्टर ज़ब्त ही नही होता अगर ग्रामीणों ने डीएफओ को शिकायत नहीं किया होता,ऐसी चर्चाओं का दौर गाँव से पिथौरा तक जारी है। बहरहाल सवाल बहुत हैं कि वनसमिति अध्यक्ष जो चौकीदार भी है अगर उसका ट्रैक्टर ही अवैधानिक कारनामा करते पाया गया वन भूमि पर तो वनभूमि का रखवाला कौन ?
एक गँभीर हास्यास्पद चितन का पहलू यह कि एक ट्रैक्टर जब्ती के लिए डीएफओ को गुहार लगानी पडती है तो फिर बाकी साहेबानो की ऐसी कौन सी हरकत की उन पर भरोसा ही नहीं रहा ग्रामीणों का ? क्या जंगलराज चल रहा है जंगल में? इस घटना को डीएफओ सहित सीसीएफ और सरकार को भी बहुत ही गंभीरता से लेना होगा। हमारे रिपोर्टर ने वन विभाग के डीएफओ महासमुंद से कथन के लिए संपर्क करने का प्रयास किया पर संपर्क नही हो पाया।
12 वर्षो से काबिज है वनसमिति अध्यक्ष पद पर विमल
ग्रामीणों के बार बार गुहार के बावजूद आज तक वन समिति का चुनाव नहीं हुआ। कई रेँजर आए गए एसडीओ
भी आए गए पर मजाल की वन समिति भंग करें ?? इस बात का इसलिए उल्लेख करना बहुत जरुरी कि यहीं विमलदास मँहन्त विगत 12वर्षों से वन समिति के अध्यक्ष पद पर आसीन है। इन 12वर्षों मे कभी भी वनसमिति चुनाव बुँदेली मे नहीं हुआ बार बार ग्रामवासियो की गुहार के बावजुद पिथौरा वनविभाग आवेदन कुडेदान मे डालते ही रहा तो ग्रामीणों ने महासमुंद भी कई चक्कर काट लिए।
बरसों से आवेदन देते थक गए पर नहीं मिल रहा पट्टा
चेहरे पर बेचारगी का भाव लिए ड्राइवर दरबार यादव उनकी बेटी भी वन कार्यालय परिसर में ही थे । दोनों ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि वन विभाग की उस भूमि का पट्टा 40साल से नहीं मिला व। अन्य लोग भी बोनी कर रहे कई एकड जमीन पर वर्षो से पर उन पर कार्यवाही आज तक नही हुई होती ।