रायपुर. छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन कर्मचारी संघ ने आज मंत्रालय के डी गेट के बाहर विशाल आमसभा का आयोजन किया, जिसमें मंत्रालय के संयुक्त सचिव, उपसचिव, अवर सचिव, अनुभाग अधिकारी से लेकर तृतीय-चतुर्थ संवर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. आमसभा में पांच सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया.
आमसभा में कर्मचारियों के लंबित मंहगाई भत्ता, केंद्रीय दरों पर गृह भाड़ा भत्ता, चार स्तरीय वेतनमान, वेतन विसंगति के लिए पिंगुवा कमेटी और सचिव जीएडी की रिपोर्ट और अधिवार्षिकी आयु 33 वर्ष की जगह 25 वर्ष करने जैसी पांच सूत्रीय मांगों के समर्थन में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा द्वारा आगामी 7 जुलाई को शासकीय कामकाज नहीं करने के निर्णय का सर्वसम्मति से समर्थन किया गया.
आमसभा को संबोधित करते हुए संघ के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह राजपूत ने कर्मचारियों को हड़ताल की स्थिति निर्मित होने के कारणों और संयुक्त मोर्चा की कार्ययोजना से अवगत कराया. उन्होंने सरकार से मांग की कि राज्य की अच्छी आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रदेश के 7 लाख कर्मचारियों एवं पेंशनरों को केन्द्र के समान देय तिथि से लंबित 9 प्रतिशत महंगाई भत्ता एरियर्स सहित एवं केन्द्र की दरों पर गृह भाड़ा भत्ता पुनरीक्षण सहित संयुक्त मोर्चा की अन्य सभी मांगों को तत्काल पूरा किया जाए.
राजपूत ने बताया कि मांगों के संबंध में चर्चा के लिए मुख्यमंत्री से भेंट के लिए समय माँगा गया था, लेकिन आहत कर्मचारियों की पीड़ा से अंजान बनी बैठी सरकार ने वार्ता करना भी उचित नहीं समझा. इसके बाद ही संयुक्त मोर्चा द्वारा पूरे प्रदेश का शासकीय कामकाज 7 जुलाई को ठप्प करने का निर्णय लिया गया. अभी भी हड़ताल के पूर्व शासन यदि मांगों को मानती है तो कर्मचारी अपने दायित्वों को सम्पूर्ण निष्ठा से निभाएंगे.