अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी बोले- ये हमारे लिए शुभ : विपक्षी अलायंस पर कहा- यह I.N.D.I.A नहीं घमंडिया गठबंधन, इसमें सबको प्रधानमंत्री बनना है

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के तीसरे दिन (गुरुवार, 10 अगस्त) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दे रहे हैं। पीएम ने कहा कि ये I.N.D.I.A. गठबंधन घमंडिया गठबंधन है। यहां सभी को प्रधानमंत्री बनना है। 2018 में जब अविश्वास प्रस्ताव आया था, तब हम ज्यादा सीटें जीते थे। अब 2024 में रिकॉर्ड जीत होगी। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद वोटिंग होगी।

इधर, मोदी के भाषण शुरू होने के एक घंटे बाद विपक्षी दलों ने वी वॉन्ट मणिपुर के नारे लगाए। 90 मिनट बाद विपक्षी सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर 26 जुलाई को केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया था। अगले दिन यानी 27 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

यह सरकार का नहीं, विपक्ष का फ्लोर टेस्ट

मैं भगवान का आशीर्वाद मानता हूं कि उन्होंने विपक्ष को सुझाया और वे इसका प्रस्ताव लेकर आए। 2018 में भी वे अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। तब मैंने कहा था कि यह हमारी सरकार के लिए फ्लोर टेस्ट नहीं है। उन्हीं का फ्लोर टेस्ट है। हुआ भी वही। जब मतदान हुआ, तो विपक्ष के पास जितने वोट थे, उतने भी जमा नहीं कर पाए थे।

विपक्ष का अविश्वास हमारे लिए शुभ होता है

इतना ही नहीं, जब हम सब जनता के पास गए तो जनता ने भी पूरी ताकत के साथ इनके लिए नो कॉन्फिडेंस घोषित कर दिया। चुनाव में एनडीए को कहीं ज्यादा सीटें मिलीं। एक तरह से विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है। एनडीए और बीजेपी 2024 के चुनाव में पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़कर जनता के आशीर्वाद से वापस आएगी।

आपके लिए राजनीति प्राथमिकता

विपक्ष के प्रस्ताव पर 3 दिनों से यहां काफी चर्चा हुई है। अच्छा होता कि सत्र की शुरुआत के बाद से ही विपक्ष गंभीरता के साथ सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेता। बीते दिनों इसी सदन ने और दोनों सदनों ने जनविश्वास बिल, मेडिकल बिल, डेंटल कमीशन बिल जैसे कई महत्वपूर्ण बिल यहां पारित किए। लेकिन आपके लिए राजनीति प्राथमिकता है। देश की जनता ने जिस काम के लिए उन्हें यहां भेजा, उस जनता से भी विश्वासघात किया गया है।

आप लोग तैयारी करके नहीं आए

आप जुटे तो अविश्वास प्रस्ताव पर जुटे। कट्टर भ्रष्ट साथी की सलाह पर मजबूर होकर जुटे। इस अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसी चर्चा की। सोशल मीडिया पर आपके दरबारी भी बहुत दुखी हैं। मजा इस डिबेट का…फील्डिंग विपक्ष ने ऑर्गनाइज की, लेकिन चौके-छक्के यहीं से लगे। विपक्ष नो-कॉन्फिडेंस पर नो बॉल कर रहा है और इधर से सेंचुरी हो रही है। आप तैयारी करके क्यों नहीं आते जी।

देश के लिए यह समय बेहद अहम

हम सब ऐसे टाइम पीरियड में हैं, चाहे हम हों या आप… ये टाइम पीरियड बेहद अहम है। कालखंड जो गढ़ेगा, उसका प्रभाव इस देश पर आने वाले 1000 साल तक रहने वाला है। इस कालखंड में हम सबका दायित्व है, एक ही फोकस होना चाहिए कि देश का विकास, सपने पूरे करने का संकल्प, सिद्ध करने के लिए जी-जान से जुटना।

अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता का आत्मविश्वास तोड़ा

हमने युवाओं को घोटालों से रहित सरकार दी है। दुनिया में भारत की बिगड़ी हुई साख को संभाला है। अभी भी कुछ लोग कोशिश में हैं कि साख को दाग लग गए। विश्व का विश्वास भारत में बढ़ता चला जा रहा है। इस दौरान हमारे विपक्ष ने क्या किया। इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता के आत्मविश्वास को तोड़ने की विफल कोशिश की है।

भारत की उपलब्धियों पर विपक्ष को अविश्वास

पिछले 5 साल में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। IMF लिखता है कि भारत ने अति गरीबी को करीब-करीब खत्म कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है जल जीवन के जरिए 4 लाख लोगों की जान बच रही है। यूनीसेफ ने कहा कि स्वच्छ भारत के कारण हर साल गरीबों के 50 हजार रुपए बच रहे हैं। इन उपलब्धियों पर कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ दलों को अविश्वास है। जो सच्चाई दुनिया दूर से देख रही है, वो यहां रहकर नहीं देख पा रहे हैं।

देश के मंगल पर आपने काले कपड़े पहने, इसका धन्यवाद

अविश्वास और घमंड इनकी रगों में रच-बस गया है। वे जनता के विश्वास को कभी देख नहीं पाते। ये जो शुतुरमुर्ग एप्रोच है, इसके लिए देश क्या कर सकता है। जब शुभ, मंगल होता है, बच्चा साफ-सुथरा होता है तो काला टीका लगा देते हैं। आज जो देश का मंगल हो रहा है, वाहवाही हो रही है, आपका धन्यवाद करता हूं कि काले टीके के रूप में, काले कपड़े में सदन में आकर आपने इस मंगल को निश्चित करने का काम किया।

जिन चीजों की बुराई की, उनका भला हुआ

विपक्ष के लोगों को एक सीक्रेट वरदान मिला है। ये लोग जिसका बुरा चाहेंगे, उसका भला ही होगा। मैं 3 उदाहरण से सिद्ध कर सकता हूं।

पहला- इन लोगों ने कहा था कि बैंकिंग सेक्टर डूब जाएगा। पब्लिक सेक्टर बैंक का नेट प्रॉफिट दोगुने से ज्यादा हो गया। फोन बैंकिंग घोटाले की बात की। देश को एनपीए के गंभीर संकट में डुबो दिया था। आज जो एनपीए का अंबार लगाकर गए थे, हम उसके पार निकल चुके हैं। निर्मलाजी ने बताया कि कितना प्रॉफिट हुआ।

दूसरा- डिफेंस के हेलिकॉप्टर बनाने वाली सरकारी कंपनी एचएएल के लिए कितनी भली-बुरी बातें कही थीं। एचएएल तबाह हो गया है, खत्म हो गया है, भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री खत्म हो गई है। लेकिन आज एचएएल सफलता की नई बुलंदियां छू रहा है। हाईएस्ट एवर रेवेन्यू रजिस्टर किया है। वहां के कामगारों को उकसाने की कोशिशों के बावजूद एचएएल देश की आन-बान-शान बनकर उभरा।

तीसरा- एलआईसी के लिए कहा कि डूब रही है। दरबारियों ने इतने कागज पकड़ा दिए और नेता सारे बोल लेते थे। एलआईसी मजबूत हो रही है। शेयर मार्केट के लिए भी गुरुमंत्र है, जिस सरकारी कंपनियों को ये लोग गाली दें, उस पर पैसा लगा दीजिए अच्छा ही होगा।

तीसरी बार सरकार बनेगी तो हम दुनिया की तीसरी इकोनॉमी बनेंगे

ये वो लोग हैं, जिन्हें देश के सामर्थ्य पर विश्वास नहीं है। हमारी सरकार के अगले टर्म में यानी तीसरे टर्म में भारत दुनिया की तीसरी टॉप अर्थव्यवस्था होगा। ये जिम्मेदार विपक्ष ऐसे में पूछता कि मोदीजी, निर्मलाजी, ये कैसे करोगे। ये भी मुझे सिखाना पड़ रहा है। यहां वो कुछ सुझाव दे सकते थे या कहते हम चुनाव में जनता के बीच जाकर बताएंगे कि ये तीसरे की बात करते हैं और हम एक पर लेकर आएंगे।

दूसरे की बात को कैच कर लेते हैं, अपनी वैक्सीन पर भरोसा नहीं

कांग्रेस को हुर्रियत, अलगाववादियों पर भरोसा था। भारत ने आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक किया, एयर स्ट्राइक किया। इन्हें भारतीय सेना नहीं, दुश्मन के दांव पर भरोसा था। आज दुनिया में कोई भी भारत के लिए कोई भी अपशब्द बोलता है तो तुरंत विश्वास हो जाता है, तुरंत कैच कर लेते हैं। कोरोना की महामारी आई, भारत के वैज्ञानिकों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन बनाई, उस पर भरोसा नहीं था।

कई हिस्सों में कांग्रेस को जीतने में सालों लगे यानी कांग्रेस नो-कॉन्फिडेंस

देश के कई हिस्सों में कांग्रेस को जीत दर्ज करने में अनेक दशक लग गए हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस की आखिरी बार 1962 में जीत हुई थी, 61 साल से वहां के लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस नो-कॉन्फिडेंस। बंगाल में 1972, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार 1985 में। त्रिपुरा में 1988 में, ओडिशा में 1995 में और नगालैंड में 1998 में आखिरी जीत मिली। दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बंगाल में एक भी विधायक खाते में नहीं है। जनता ने कांग्रेस के प्रति लगातार नो-कॉन्फिडेंस घोषित किया है।

कांग्रेस वालों ने तो गांधी नाम भी चुरा लिया

खुद को जिंदा रखने के लिए इनको NDA का सहारा लेना पड़ा है। आदत के मुताबिक घमंड का जो I है ना वो इन्हें छोड़ता नहीं है। इसलिए NDA में घमंड का आई पिरो दिया। पहला आई 26 दलों का घमंड और दूसरा आई एक परिवार का घमंड। खुद बचने के लिए एनडीए चुरा लिया। इंडिया के टुकड़े कर दिए आई डॉट एन डॉट डी डॉट आई डॉट ए डॉट। यूपीए को लगता है कि देश के नाम का इस्तेमाल कर विश्वसनीयता बढ़ाई जा सकती है। ये इंडिया गठबंधन नहीं है। ये घमंडिया गठबंधन है। इसकी बारात में हर कोई दूल्हा बनना चाहता है। सबको प्रधानमंत्री बनना है। इस गठबंधन ने ये भी नहीं सोचा कि किस राज्य में आप किसके साथ कहां पहुंचे हैं। वोटरों को भुलाने के लिए गांधी नाम भी… हर बार वो भी चुरा लिया। चुनाव चिह्न देखिए दो बैल, गाय बछड़ा, फिर हाथ का पंजा। ये सारे उनके कारनामे हैं। हर मनोवृत्ति को दिखाते हैं। सबकुछ एक परिवार के हाथों में केंद्रित हो चुका है।

परिवार के बाहर का पीएम मंजूर नहीं

अंबेडकर कांग्रेस को जी-जान लगाकर 2 बार हटाया, ये उनके कपड़ों का मजाक उड़ाते थे। जगजीवन राम ने इमरजेंसी पर सवाल उठाया तो नहीं छोड़ा। कितने ही उदाहरण हैं। दरबारवाद के कारण इन्होंने कितने ही महान लोगों को तबाह कर दिया। जो दरबारी नहीं थे, उनके पोट्रेट तक पार्लियामेंट में लगाने से इन्हें झिझक थी। 1991 में उनके पोट्रेट सेंटर हॉल में तब लगी, जब भाजपा समर्थित गैर कांग्रेसी सरकार सामने आई। नेताजी की पोट्रेट 1978 में हॉल में लगी, जब जनता पार्टी की सरकार थी। शास्त्री और चरण सिंह का पोट्रेट 1993 में गैर परिवार की सरकार में लगा। सरदार पटेल को भी नकारा। उनकी सबसे बड़ी प्रतिमा बनाने का गौरव हमें मिला। हमने पीएम म्यूजियम बनाया, सभी प्रधानमंत्रियों को सम्मान दिया। उन्हें ये भी नहीं पच रहा है, क्योंकि उनके परिवार के बाहर का प्रधानमंत्री बना हो तो वो उन्हें मंजूर नहीं है।

फिल्म शराबी के गाने का जिक्र

मोदी अगर भाषण करते वक्त बीच में पानी पिए तो देखिए मोदी को पानी पिला दिया। अगर मैं गर्मी में कड़ी धूप में पसीना पोंछता हूं तो कहते हैं कि मोदी को पसीना ला दिया। एक गीत की पंक्ति है- डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत, दिल बहल जाए फकत इतना इशारा ही बहुत, इतने पर भी आसमां वाला गिरा दे बिजलियां, कोई बता दे जरा ये, डूबता फिर क्या करे। मैं कांग्रेस की मुसीबत समझता हूं, बरसों से एक ही प्रोडक्ट बार-बार लॉन्च करते हैं। लॉन्चिंग फेल हो जाती है।