बिलासपुर। बिलासपुर में सिम्स प्रबंधन की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। सिम्स प्रबंधन ने VIP कल्चर और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बीमार वृद्धा उर्मिला दुबे को बेड नहीं दिया, जबकि बेड खाली थे। उर्मिला दुबे की जान अस्पताल में ही जा चुकी है। वह बीमार वृद्धा उर्मिला दुबे सिम्स में भृत्य जितेन्द्र दुबे की मां थी। भृत्य जितेंद्र दुबे ने बिलासपुर विधायक, सिम्स की अधिष्ठाता तृप्ति नागरिया, अधीक्षिका डॉ. आरती पांडेय से मदद की गुहार वाले व्हाट्सएप चैटिंग और खाली बेड की तस्वीर को सोशल मीडिया में सार्वजनिक किया है।
बीजेपी ने कहा- हत्या का मुकदमा दर्ज हाे
इस घटना को लेकर भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि यह बहुत ही दुखद और अक्रोशित करने वाली है। सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा अपने पद और पावर का गलत तरीके से कैसे इस्तेमाल किया जाता है, इस घटना ने जाहिर कर दिया। क्या मुख्यमंत्री ने अस्पतालों में 20% आरक्षण की बात इसलिये की है? ताकि कांग्रेस के विधायक और कार्यकर्ता अपनी मनमानी को ऐसे अंजाम दे सकें? एक ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ, गरीब कर्मचारी जो अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की सेवा सिम्स अस्पताल में कर रहा हो, उसी अस्पताल सिम्स में उसकी मां को बेड खाली होने के बावजूद नही देना, वो भी इसलिये क्योंकि विधायक शैलेष पान्डे और अधिकारियों ने उसे रिजर्व करके रखा था। ये विधायक शैलेष पान्डे और कांग्रेस सरकार की इस आपदा में भेदभावपूर्ण कार्य को उजागर करने के साथ-साथ इन लोगों के अमानवीय चेहरे को बेनकाब करती है। हमारी मांग है कि इस मामले में विधायक समेत अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदार लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाये तथा मृतक के परिवार को उचित मुआवजा मिले।