सालडबरी के आदिवासी किसानों के विरुद्ध तहसीलदार द्वारा किए गए बेदखली की कार्यवाही से आदिवासी समाज में आक्रोश

Chhattisgarh Crimes

महासमुन्द। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष मनोहर ठाकुर के नेतृत्व में आदिवासी समाज प्रमुखों ने आदिवासी कृषकों के विरुद्ध किये गये बेजा कब्जा से तहसीलदार द्वारा बेदखल किये गये सालडबरी स्थित भूमि स्थल पर जाकर स्थिति से रुबरु हुए तथा तहसीलदार के रवैया से आदिवासी समाज ने आक्रोश जताया है।साथ ही बागबाहरा जनपद अध्यक्ष श्रीमती स्मिता चन्द्राकार एवं भाजपा किसान नेता हितेश चन्द्राकार को आड़े हाथों लेते हुए मनोहर ठाकुर ने कहा है कि अखबार में दो सौ मठ को उखाड़ कर अतिक्रमण करने वाली बयान बाजी चन्द्राकार बंधु द्वारा उलूल-जूलूल बयान देकर अपनी आदिवासी विरोधी व आदिवासी को बदनाम करने की नियत व ओछी मानसिकता को उजागर करता है।

जिलाध्यक्ष मनोहर ठाकुर ने आगे बताया कि सालडबरी निवासी आदिवासी कृषकों कंवल सिंग,किशन,बहुरसिंग एवं आदिवासी महिला कृषक जुगबाई के विरुद्ध तहसीलदार के न्यायालय में बेजा कब्जा करने का प्रकरण लंबित था। उल्लेखनीय है कि इन आदिवासी किसानों के पूर्वजों द्वारा बेजा कब्जा कर काश्त करते आ रहे थे और अब उनके वारिसान उस जमीन पर काश्त कर रहे हैं। जिस पर लंबित प्रकरण की पेशी दिनांक 13/07/2023 को तहसील कार्यालय कोमाखान में आदिवासी कृषकों ने उपस्थिति दिया।तब तहसीलदार द्वारा लगभग दोपहर 4 बजे आदेश थमाया गया और कहा गया कि बेजा कब्जा का पट्टा बना देंगे हम जैसे कहेंगे वैसे मानते जावो।

जबकि दिनांक 13/07/2023 के आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि 24 घंटे में किये गये बेजा कब्जा को हटाकर न्यायालय के पालन प्रतिवेदन 14 जुलाई को प्रस्तुत किया जावे। यहां पर गौर किया जावे कि बेजा कब्जा हटाने के लिए किये गये आदेशानुसार 14जुलाई को 4 बजे दोपहर में 24 घंटे का समय पूर्ण होता है। परन्तु कोमाखान तहसीलदार द्वारा 14जुलाई को 24 घंटे के पूर्व ही प्रातः 9 बजे बेजा कब्जा हटाने दल बल के साथ सालडबरी पहूंच कर बेजा कब्जा हटाया जाना तहसीलदार स्वयं के आदेश को अवहेलना किया गया है। जिससे आदिवासी किसान लोग पीड़ित व भयभीत हैं।सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष मनोहर ठाकुर ने आगे विस्तार से बताया है कि उक्त आदिवासी कृषकों के पूर्वजों ने पचासों वर्ष से भूमि पर काबिज हैं और ऐसे काबिज भूमि को शासन द्वारा पट्टा दिए जाने का प्रावधान है परन्तु तहसीलदार द्वारा कब्जा हटाने की आदेश कर आदेश के बाद आदिवासी कृषकों को अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया जाना और कब्जा से बेदखल किये जाने की तहसीलदार के रवैया व दिलचस्पी समझ से परे है ।इतना ही नहीं बल्कि आदिवासी कृषक कंवल सिंग अपने पत्नी के साथ खपरैल झोपड़ीनुमा एक कमरा में गुजर-बसर कर रहे थे उस कमरा से पूरा समान बाहर आसमान के नीचे तहसीलदार द्वारा निकलवा दिया गया है तथा उस कमरा में तहसीलदार द्वारा ताला भी लगा दिया गया है।जिसके कारण से कंवल सिंग एवं उसकी पत्नी को निवास के लिए दिक्कतें बढ़ गयी है। जैसे -तैसे कर कंवल सिंग ने पूर्व में पटवारी से तीन-तीन बार नाप करवा कर अपने लगानी जमीन में घर बनवा रहा था डीपीसी तक बना हुआ है जिसे तहसीलदार ने आधे निर्माणाधीन मकान डीपीसी को शासकीय जमीन है कहकर जे सी बी से तोड़वा दिया गया है।

श्री ठाकुर ने आगे बताया कि सालडबरी के आदिवासी परिवारों को अन्य वर्गों द्वारा हुक्का पानी बंद कर गांव से बहिष्कृत कर दिए हैं जिससे आदिवासी परिवार प्रताड़ित हैं।यह सब तहसीलदार एवं भाजपा नेता स्मिता हितेश चन्द्राकार को नहीं दिखा और संयुक्त रुप से आदिवासियों के वर्षों से काबिज भूमि से बेदखल करने में मशगूल रहे। श्री ठाकुर ने भाजपा नेता श्रीमती स्मिता हितेश चन्द्राकार द्वारा अखबार में बयान जारी कर दो सौ मठ को उखाड़ कर अतिक्रमण करने की बात को गलत व तथ्यहीन बताया है। जबकि जिस जगह पर मठ है वह सलामत व स्वतंत्र है।इस तरह से भाजपा नेता द्वारा बयान देना ओछी मानसिकता को तो दर्शाता ही है साथ ही सर्वोच्च संस्कृति प्राप्त आदिवासियों की मान-सम्मान पर भी ठेस पहुंचाया गया है।श्री ठाकुर ने शासन से मांग किया है कि आदिवासी किसानों को उनके पूर्वजों से काबिज भूमि की पट्टा प्रदाय की जावे तथा आदिवासी परिवारों के हुक्का-पानी बंद करवाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध दंडनात्मक कार्यवाही की जावे। आदिवासी समाज प्रमुखों में महिला प्रकोष्ठ गोंड़ समाज के सर्कल अध्यक्ष एवं जनपद सदस्य श्रीमती डुमरौतीन ठाकुर, उपाध्यक्ष रेखा ठाकुर, सर्कल उपाध्यक्ष खेदूराम ठाकुर,संयोजक जगदेव ठाकुर,आडिटर राजू ठाकुर, कोषाध्यक्ष हेमसिंग ठाकुर, श्रीमती नीरा ठाकुर सहित समाज जनों ने सालडबरी पहुंच कर पीड़ित आदिवासियों के हाल चाल जाना तथा जमीन संबंधी जानकारी लिया।