नाबालिग को भगाकर दैहिक शोषण : चाची ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर की थी भगाने में की मदद, तीनो को उम्रकैद

Chhattisgarh Crimes

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के मरवाही गांव से एक नाबालिग लड़की को भगाने का मामला सामने आया है जिसपर अदालत ने दोषियों को कड़ी सजा सुनाई है। कोर्ट ने नाबालिग के प्रेमी, चाची और चाची के प्रेमी, तीनों को अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई है। दरअसल, यह घटना 26 नवंबर 2022 की है, जब नाबालिग छात्रा स्कूल से घर वापस नहीं पहुँची। इसके बाद परिजनों ने मरवाही थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। केस दर्ज होने के बाद पुलिस अज्ञात आरोपी की पतासाजी में लग गई। इस दौरान पुलिस ने मेरठ जिले के झिझोकर गांव से नाबालिग को बरामद करते हुए 3 अपराधियों को हिरासत में लिया। इनमें नाबालिग का प्रेमी, चाची और चाची का प्रेमी शामिल थे।

पुलिस की पूछताछ में नाबालिग ने बताया कि वह मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी दुर्गेश चंद्रा उर्फ पारस से प्रेम संबंध है। वह अपनी चाची के साथ अपनी मर्जी से भागी थी। नाबालिग ने बताया कि उसकी सगी चाची ने उसे स्कूल से भगाकर पहले पेंड्रा ले गयी जहां उनको आरोपी दुर्गेश चंद्रा मिला। इसके बाद वे तीनों गोंदिया गए जहां चाची ने अजय चंद्रा से अपने प्रेम संबंध का खुलासा किया। अजय चंद्रा मध्यप्रदेश के बिजुरी क्षेत्र का निवासी है। इसके बाद नाबालिग, प्रेमी, चाची और चाची का प्रेमी अजय चंद्रा चारों मिलकर पहले दिल्ली गए। लेकिन कमरा नहीं मिलने पर वे चारों मेरठ गए और एक साथ गन्ना खेत में काम करने लगे। इस दौरान नाबालिग के साथ प्रेमी ने लगातार शारीरिक संबध बनाए।

अदालत ने पॉक्सो एक्ट के तहत तीनों को सुनाई सजा

वहीं पुलिस इनकी पतासाजी करते हुए 5 जनवरी 2023 को वहां पहुँच गई और नाबालिग सहित तीनो दोषियों को गिरफ्तार कर ले आई थी। वहीं अब कोर्ट ने नाबालिग को भगाने के लिए प्रेमी दुर्गेश चंद्रा को पॉक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद और 5 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं इस अपराध में शामिल चाची और उसके प्रेमी अजय चंद्रा को 7-7 साल और 3 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।

मुआवजा देना न्यायोचित नहीं

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नाबालिग 16 साल से कम उम्र की लड़की है, लेकिन वह स्वेच्छा से अपने प्रेमी दुर्गेश के साथ गयी थी। इसके चलते नाबालिग को पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत मुआवजा दिलाना न्याय सम्मत प्रतीत नहीं होता है।