पोराबाई प्रकरण: 12 साल बाद आया फैसला, उत्तर पुस्तिका बदली के सभी आरोपी दोषमुक्त

Chhattisgarh Crimes

जांजगीर चांपा। बहुचर्चित पोराबाई प्रकरण वर्ष 2008 के बारहवीं की परीक्षा में फजीर्वाड़े के सभी नौ आरोपितों को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सुबोध मिश्रा ने बाइज्जत बरी कर दिया है। अभियोजन के अनुसार 2008 में माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित बारहवीं की परीक्षा में जांजगीर-चांपा जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल बिर्रा की छात्रा पोरा बाई सरस्वती शिशुमन्दिर केंद्र से शामिल हुई थी।

पोरा बाई के मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर जब जांच शुरू हुई तो उनकी उत्तरपुस्तिका बदली हुई मिली जिसमे उसकी हैंडराइटिंग नही थी। इस आधार पर जांच हुई और अपराध दर्ज किया गया। जबकि आरोपितों ने इसी को ढाल बनाया कि उसकी उत्तर पुस्तिका को आखिर किसने बदला इसके लिए पोरा बाई जिम्मेदार नहीं है क्योंकि उसने अपनी उत्तरपुस्तिका केंद में जमा कर दी थी। इस आधार पर उसे और अन्य आरोपितों को बरी किया गया।

26 मई को परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। जिसमें वह मेरिट की सूची में प्रथम स्थान पर रही। माशिम के सचिव को संदेह होने पर उन्होंने उपसचिव पीके पांडेय से मामले की जांच कराई जांच में उसका प्रवेश गलत ढंग से पाया गया।

वहीं जांच प्रतिवेदन के आधार पर पोरा बाई सहित नौ लोगों प्राचार्य एसएल जाटव, केंद्राध्यक्ष फुलसाय, सहायक केंद्राध्यक्ष बालचंद भारती, सहित नौ लोगों के खिलाफ भादवि की धारा 420 ,467,468 471,120 बी व परीक्षा अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया और अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया मामले की सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट चाम्पा में हुई 12 साल बाद इसका फैसला आया। जिसमे सभी आरोपितों को बाइज्जत बरी किया गया।