मैनपुर। ग्राम पंचायत गौरगाँव धवईभर्री में सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहने वाले कमार परिवार को बीते दिवस ग्राम पंचायत गौर गांव के तरफ से खाद्यान्न सहित राशन सामग्री का वितरण किया गया। झोपड़ी को ढकने के लिए झिल्ली वैकल्पिक व्यवस्था किया गया है। स्थायी समाधान पक्का आवास सहित तमाम सुविधाएं वर्षों से नहीं किया जाना कमार विकास अभिकरण सहित तमाम जिम्मेदारों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है।
विकासखंड मुख्यालय मैनपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ ग्राम पंचायत गौरगांव के धवईभर्री सड़क किनारे वर्षों से आदिम जनजाति कमार परिवार झोपड़ी बनाकर के रह रहे हैं।सर्दी गर्मी चाहे बरसात झोपड़ी में रहकर जीवन जी रहे हैं। इन परिवार के सुध कौन लेगा इनका झोपड़ी आवास में कब बदलेगा। जिम्मेदारी कौन लेगा आज तक पता नहीं चल पाया। कई बार इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के माध्यम से इन परिवारों के झोपड़ी में रहकर जीवन गुजारने का समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था।
ज्ञात हो कि इन लोगों के दशा और दिशा बदलने के लिए सरकार करोडो़ रुपए की बजट आवंटन करती है।उसके बावजूद भी झोपड़ी में रहकर जीवन गुजारना पड़े कैसी कमार विकास अभिकरण परियोजना समझ से परे लगता है। क्या इस बार के बारिश में भी झोपड़ी में रहकर आदिम जनजाति कमार परिवार जीवन गुजारने मजबूर होंगे।