रायपुर। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड और रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की जमीन और मकान खरीदने वाले लोगों को करीब एक दशक के बाद बड़ी राहत मिली है। दरअसल हाउसिंग बोर्ड की जमीन का नामांतरण नहीं होने की वजह से सैकड़ों लोगों के प्लाट फ्री-होल्ड नहीं हो पा रहे थे। रिकार्ड में लोगों का नाम नहीं चढ़ रहा था, इसलिए नक्शे भी रुके थे और बैंक लोन भी नहीं मिल रहा था।
बोर्ड अफसरों के अनुसार शंकरनगर के दो सेक्टर की जमीन के नामांतरण पूरा हो गया है। अब केवल एक ही सेक्टर का नामांतरण बाकी है। इसकी भी प्रक्रिया चालू है और महीने के आखिर तक नामांतरण का काम पूरा हो जाएगा। यही नहीं, आधा दर्जन और कालोनियों में जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। हाउसिंग बोर्ड और आरडीए ने 1974 के बाद से जो कालोनियां बनाईं थी सबसे ज्यादा परेशानी यही रहने वाले लोगों को हो रही थी। इन कॉलोनियों की जमीन सरकारी रिकार्ड में इस साल तक कृषि भूमि के तौर पर दर्ज थी। इन कॉलोनियों का टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से ले-आउट भी पास नहीं कराया गया था।
इस तकनीकी पेंच का खुलासा तब हुआ जब यहां के मकानों के रीसेल के बाद खरीदी-बिक्री करने वाले दोबारा रजिस्ट्री कराने पहुंचे। उनसे डायवर्सन और ले आउट के दस्तावेज मांगे गए। किसी के पास डायवर्सन और ले-आउट के दस्तावेज ही नहीं थे। दस्तावेजों की कमी के कारण अफसरों ने रजिस्ट्री ही रोक दी थी। इसके बाद ही दोनों सरकारी एजेंसियों ने जमीन नामांतरण के लिए एसडीएम दफ्तर में अर्जी लगाई थी। साल की शुरूआत में लगी इन अर्जियों में अब फैसला किया गया और कई सरकारी जमीन दोनों एजेंसियों के नाम पर की गई।