आत्मनिर्भरता गांव: खरोरा का एक गांव केशला यहां कोई भी बेरोजगार नहीं

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रायपुर। खरोरा परिक्षेत्र में केशला गांव का एक भी परिवार रोजगार के नाम से परेशान नहीं रहता, क्योंकि पूरा गांव कपड़े के उद्योग से जुड़ा है, यहां कोई बेरोजगार नहीं है। यहां हर घर में लोग साया ( लहंगा) सिलने का काम करते हैं। जानकार ताज्जुब होगा कि पूरे गांव में दो हजार रोज और माह में 60 हजार पेटीकोट की सिलाई की जाती है। खरोरा के कपड़ा एसोसिएशन के अध्यक्ष शेखर देवांगन ने बताया कि इस तरह साल भर में गांव के लोग 7 लाख 20 हजार पेटीकोट सिलकर 2 करोड़ का टर्नओवर लेते हैं।

कोरोनाकाल में भी यहां 1 लाख 80 हजार पेटीकोट सिले गए, जो जून में बिक पाए। केशला के ग्रामीण जो कपड़े सिलते हैं, वह छत्तीसगढ़ की राजधानी के साथ ही देश की राजधानी और बड़े-बड़े शहरों में बिकने जाते हैं।

यहां के नरेंद्र देवांगन ने बताया कि कपड़े सिलाई करने के लिए अहमदाबाद, सूरत, मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता और नागपुर जैसे शहरों से आर्डर आते हैं। गांव में हर घर में आपको लोग कपड़ा सिलने के काम में व्यस्त नजर आएंगे। जहां एक तरफ पूरे छत्तीसगढ़ और देश भर में लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं वहीं आज ये पूरा गांव कपड़े सिलाई कर आत्मनिर्भरता का संदेश पूरे देशवासियों को दे रहा है।

परिवार की कमाई प्रतिमाह एक लाख तक

ग्रामीणों ने लहंगा सिलाई के काम को रोजगार का साधन बना लिया है। इनको एक साया सिलाई पर 5 से 12 रुपए तक मिल जाते हैं। एक व्यक्ति एक दिन में 40 से भी अधिक साया की सिलाई कर लेता है, इस सिलाई के काम से गांव के एक परिवार की मासिक आय लाख रुपए तक हो जाती है।

गांवों की 90% आबादी करती है यही काम

ग्राम केशला खरोरा नगर पंचायत से लगा एक बड़ा गांव है,जो आज पूरे इलाके में अपने इस काम से पहचाना जाता है। गांव में सबसे अधिक देवांगन समाज लोग रहते हैं, जिनकी जनसख्या गांव में एक तिहाई (90 फीसदी) है। खरोरा में कपड़ा दुकानें सबसे अधिक है जो देवांगन परिवारों की ही हैं।

अन्य जिलों से भी आ रहे प्रशिक्षण लेने

छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से भी केशला ग्राम लोगों की आत्मनिर्भरता का संदेश दूर तक जा रहा है। इस कारण दूर-दूर से लोग यहां इस काम का प्रशिक्षण लेने भी आते हैं। दूसरे जिलों के महिलाएं एवं महिलाओं के समूह समय-समय पर केशला पहुंचकर सिलाई का प्रशिक्षण लेते हैं ताकि वे रोजगार हासिल कर सकें।

बड़े व्यापारी कारीगर रखकर करते हैं ये काम

साया सिलने के लिए केशला के बड़े व्यापारी अपने यहां 15- 20 लोगों को काम पर रखते हैं। कापड़ा सिलने पर हर कामगार को पैसे कपड़े सिलने के हिसाब से दिए जाते हैं, जिससे काम करने वाला मजदूर भी खुश रहता है। उस पर किसी प्रकार का बंधन नहीं होता, वो चाहे तो एक दिन में हजारों भी कमा सकता है।

पीएम मोदी मन की बात में कर चुके हैं जिक्र

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 12 मई को मन की बात में कहा था कि देश के सभी नागरिकों को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। अपने संबोधन में उन्होंने केशला का जिक्र करते हुए कहा था कि रायपुर जिले में एक छोटा सा गांव केशला है जो पेटीकोट उद्योग बन चुका है और पूरे भारत में प्रसिद्ध है।