कोंडागाँव जिले में एक और किसान की आत्महत्या के लिए प्रदेश सरकार की तुगलकी सनकमिजाजी ही जिम्मेदार : भाजपा

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने प्रदेश सरकार को सख़्त लहजे में चेताया- किसानों को प्रताड़ित करने और उनकी हाय लेने से डरे

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने बस्तर संभाग के कोंडागाँव जिलें में एक और किसान द्वारा की गई आत्महत्या के लिए प्रदेश सरकार की तुगलकी सनकमिजाजी को जिम्मेदार ठहराते हुए तीखा हमला बोला और कहा है कि प्रदेश सरकार की बदनीयती, कुनीतियों और नेतृत्वहीनता के चलते अब लोग इतने हताश व संत्रस्त हो गए हैं कि वे अपनी जीवन लीला खत्म करने के लिए विवश हो रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार और कांग्रेस झूठ-पर-झूठ परोसने बाज नहीं आ रही है। श्री साय ने प्रदेश सरकार को सख़्त लहजे में चेताया है कि वह किसानों को प्रताड़ित करने और उनकी हाय लेने से डरे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कोंडागाँव जिले के बड़े राजपुर तहसील में ग्राम मारंगपुरी निवासी 40 वर्षीय आदिवासी किसान धनीराम द्वारा गुरुवार को आत्महत्या पर गहन दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना प्रदेश के लिए कलंक है लेकिन प्रदेश सरकार को अपने कामकाज के तौर-तरीकों पर अब भी शर्म महसूस नहीं हो रही है। श्री साय ने किसान धनीराम को भी डिप्रेशन में बताए जाने पर तल्ख होकर कहा कि प्रदेश सरकार और उसकी मशीनरी आत्महत्या के हर मामलों में मृतकों को मानसिक रोगी और अवसादग्रस्त बताकर अपनी चमड़ी बचाने का शर्मनाक आचरण करती है, जबकि सच्चाई तो यही प्रतीत हो रही है कि अपनी विफलताओं के बोझ और तुगलकी सनक के चलते प्रदेश सरकार खुद डिप्रेशन में है और अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है। श्री साय ने सवाल किया कि प्रदेश सरकार के चापलूस विशेषज्ञ नौकरशाह आत्महत्या या इसका प्रयास करने की हर घटना में पीड़ित युवा बेरोजगारों, गरीब मजदूरों, आदिवासियों, किसानों को मानसिक रोगी आखिर किस आधार पर बता रहे हैं? क्या वे राजनीतिक दबाव में प्रदेश सरकार के नाकारापन को ढँकने का काम कर रहे हैं या फिर अपनी लापरवाहियों पर पर्दा डाल रहे हैं? श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने दो साल के कार्यकाल में आदिवासियों और किसानों के नाम पर सियासी ढोंग तो खूब किए, लेकिन हकीकत यह सामने आ चुकी है कि इस संवेदनशून्य सरकार को न तो आदिवासियों की कोई फिक्र है और न ही वह किसानों की तकलीफों से कोई वास्ता रखती है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि किसानों का पूरा धान खरीदने से बचने के तमाम षड्यंत्रों को आजमा रही प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष भी किसानों को खून के आँसू रोने के लिए मजबूर किया था, लेकिन पिछले एक साल में किसानों के साथ इस सरकार ने जिस तरह छल-कपट किया है, उसके चलते हताश-निराश किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया है। श्री साय ने कहा कि पिछले वर्ष भी किसानों के रकबे को घटाया गया था लेकिन इस वर्ष तो प्रदेश सरकार की सनक के चलते गिरदावरी के नाम पर किसानों का रकबा 25 फीसदी तक घटा दिया गया है जिसके कारण किसान अपनी उपज के बिकने को लेकर संशय में हैं और बैंकों व साहूकारों के कर्ज के दबाव में आकर वे अपनी जान तक दाँव पर लगा रहे हैं। श्री साय ने कहा कि संबंधित अधिकारी अब तरह-तरह की बहानेबाजी तथा तकनीकी त्रुटि और गिरदावरी की जाँच की बात करके अपनी चमड़ी बचाने में लगे हैं, लेकिन सवाल यह है कि तमाम अत्याधुनिक तकनीकी प्रणाली के बावजूद ये त्रुटियाँ कैसे हो रही हैं? कहीं यह प्रदेश सरकार के षड्यंत्रों पर पर्दा डालने की कवायद तो नहीं है? श्री साय ने मांग की है कि प्रदेश सरकार या तो किसानों के मामले में न्यायसंगत रवैया अपनाकर संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करे, जिनकी त्रुटियों के चलते प्रदेश के किसान आत्महत्या तक करने पर मजबूर हुए हैं या फिर किसानों को अनावश्यक परेशानियों से बचाकर उनकी सीधे-सीधे ईमानदारी से उनकी पूरी उपज खरीदने के पुख़्ता इंतजाम करे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि किसानों का पूरा धान खरीदने के नाम पर सरकारी दावे कोरी लफ़्फाजी साबित हो रहे हैं, क्योंकि धान खरीदी शुरू हो चुकने के बाद भी किसानों को न तो टोकन मुहैया हो पा रहा है, न ही उनका धान समय पर बिक रहा है और अब कम रकबे वाले किसानों को भी अपनी बारी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है क्योंकि अधिकांश खरीदी केंद्रों में वर्णमाला के आधार पर टोकन देकर खरीदी की जा रही है जबकि शासन का आदेश है कि पहले छोटे किसानों का धान खरीदा जाए, लेकिन जमीनी सच्चाई पर सरकार की नजर ही नहीं है। श्री साय ने कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते गिरदावरी में रकबा घटने के बाद कई स्थानों पर मछली पालन के लिए खोदे गए तालाबों को खेत बताकर धान बेचे जाने की शिकायत सामने आई है। इस फजीर्वाड़े के लिए भी सरकार के गिरदावरी संबंधी आदेश को जिम्मेदार बताते हुए श्री साय ने कहा कि प्रदेशभर के किसान अपने रकबों पर चली सरकारी कैंची से हलाकान हैं। एक तरफ प्रदेश के किसान रोज तनाव और संशय में जी रहे हैं, उनके प्रति संवेदना रखने के बजाय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली में आंदोलित किसानों के मुद्दे पर बिन मांगी राय व्यक्त कर रहे हैं और उन किसानों की चिंता में दुबले होकर केंद्र सरकार के खिलाफ मिथ्या प्रलाप में सक्रिय हो रहे हैं, जिन किसानों के अपने राज्य पंजाब की सरकार ने केंद्र के कृषि कानूनों को सिरे से अमान्य कर दिया है। श्री साय ने मुख्यमंत्री बघेल को पहले छत्तीसगढ़ के किसानों की चिंता कर लेने की नसीहत दी है।