उत्पन्ना एकादशी व्रत : मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को प्रकट हुई थी एकादशी, इसी लिए पड़ा ये नाम

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एकादशी एक देवी थी जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था. एकादशी मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को प्रकट हुई थी जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा. इसी दिन से एकादशी व्रत शुरु हुआ था. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व माना जाता है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी अर्थात उत्पन्ना एकादशी से वार्षिक एकादशी व्रत का आरंभ करना चाहिये क्योंकि सर्वप्रथम हेमंत ऋतु में इसी एकादशी से इस व्रत का प्रारंभ हुआ माना जाता है. 2022 में उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर को है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत व पूजा विधि

एकादशी के व्रत की तैयारी दशमी तिथि को ही आरंभ हो जाती है. उपवास का आरंभ दशमी की रात्रि से ही आरंभ हो जाता है. इसमें दशमी तिथि को सायंकाल भोजन करने के पश्चात दातुन करना चाहिए. रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें. एकादशी के दिन प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें. नित्य क्रियाओं से निपटने के बाद स्नानादि कर स्वच्छ हो लें.

भगवान का पूजन करें, व्रत कथा सुनें. दिन भर व्रती को बुरे कर्म करने वाले पापी, दुष्ट व्यक्तियों की संगत से बचना चाहिए. रात्रि में भजन-कीर्तन करें. जाने-अंजाने हुई गलतियों के लिए भगवान श्री हरि से क्षमा मांगे. द्वादशी के दिन प्रात:काल ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन करवाकर उचित दान दक्षिणा देकर फिर अपने व्रत का पारण करना चाहिए. इस विधि से किया गया उपवास बहुत ही पुण्य फलदायी होता है.