परमा एकादशी पर बन रहा बहुत ही शुभ संयोग, नोट करें तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chhattisgarh Crimes

12 अगस्त को परमा एकादशी का व्रत किया जाएगा। श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पुरुषोत्तम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का खास महत्व है। परमा एकादशी इसलिए भी सबसे ज्यादा विशेष मानी जाती है क्योंकि ये बाकी सभी एकादशियों में सबसे ज्यादा फल देने वाली मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि पुरुषोत्तम एकादशी के दिन व्रत और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं परमा एकदशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

परमा एकादशी का शुभ मूहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ – 11 अगस्त, सुबह 7 बजकर 36 मिनट से
एकादशी तिथि समापन – 12 अगस्त – सुबह 8 बजकर 3 मिनट
परमा एकादशी पूजा मुहूर्त – 12 अगस्त, सुबह 7 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक।
पारण का समय – 12 अगस्त – सुबह 8 बजकर 50 मिनट से पहले

ऐसे करें पूजा

सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें
स्नान करने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनें
एक चौकी पर पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाएं
कपड़े पर लाल कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं
चावल और फूल कुमकुम पर रखें
इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें
भगवान की तस्वीर स्थापित करने के बाद दीप, धूप और अगरबत्ती जलाएं
अब तस्वीर पर फूलों की माला चढ़ाएं और तिलक भी लगाएं
भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता बहुत प्रिय है। अब तुलसी के पत्ते को भगवान पर अर्पित करें
भगवान विष्णु की चालीसा, विष्णु स्तुति, विष्णु स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम और परमा एकादशी व्रत की कथा का पाठ करें
भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें
आखिर में हाथ जोड़कर भगवान से खुशहाली की प्रार्थना करें

परमा एकादशी का महत्व

परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत जो भी जातक रखता है भगवान विष्णु की कृपा हमेशा उस पर बनी रहती है। मान्यता तो ये भी है कि अधिक मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली परमा एकादशी का व्रत जो करते हैं उन्हें भगवान विष्णु के धाम यानी कि बैकुंठ धाम को प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि ये व्रत इतना प्रभावशाली होता है कि इसके जरिए बैकुंठ धाम प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्त की जा सकती है।