दिवाली पर क्या रहेगा लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और पूजा विधि

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दिवाली का त्योहार हमाने जीवन में नई खुशियां लेकर आता है। इस पर्व पर प्रकाश ही प्रकाश दिखाई देता है। जहां नजर पड़े वहां रंग-बिरंगी लाइट और दीपक दिखाई देते हैं। दीपावली का त्योहार धन प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना गया है। हालांकि दिवाली का पर्व अकेले नहीं आता है। साथ आते हैं पांच महान त्योहार, जिन्हें हम पंचपर्व के रूप में मनाते हैं। इन पंच पर्वों का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इनमें सबसे पहले धनतेरस मनाया जाता है। इसके बाद रूपचतुर्दशी आती है। फिर दीपावली, उसके बाद गोवर्धन पूजा और आखिरी में भाई दूज। दिवाली की रात्रि में शुभ मुहूर्त में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसके लिए बहुत सी पूजन सामग्री की आवश्यकता पड़ती है। जिसकी व्यवस्था समय से पहले ही कर लेनी चाहिए। आइए जानते हैं इस साल दिवाली लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त

अमावस्या आरंभ 24 अक्टूबर को 05.27 PM बजे

अमावस्या तिथि समाप्त 25 अक्टूबर को 04.18 PM बजे

दीपाली पूजा का शुभ मुहूर्त 06.44 PM से 08.05 PM तक

दीपावली 24 अक्टूबर को है, जबकि अगले दिन होने वाली गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होने के कारण 26 अक्टूबर को होगी। 2007 के बाद दूसरी बार ऐसा होगा। जब दिवाली पर सुबह चतुर्दशी रहेगी और अमावस्या दोपहर में शुरू होगी।

दिवाली पूजन सामग्री

रोली, मौली, धूप, अगरबत्ती, कर्पूर, केसर, चंदन, अक्षत, जनेऊ 5, रुई, अबीर, गुलाल, बुक्का, सिंदूर, कोरे पान डन्ठल सहित 10, साबुत सुपारी 20, पुष्पमाना, दूर्वा, इत्र की शीशी, छोटी इलायची, लवंग, पेड़ा, फल, कमल, दुध, दही, घी, शहद, शक्कर, पांच पत्ते, हल्दी की गांठ, गुड़, सरसों, कमल गट्टा, चांदी का सिक्का, हवन सामग्री का छोटा पैकेट, गिरी गोला-2, नारियल 2, देवी लक्ष्मी की मूर्ति, भगवान गणेश की मूर्ति, सिंहासन, वस्त्र, कलम, बही खाते, ताम्र कलश या मिट्टी का कलश, पीला कपड़ा आधा मीटर, सफेद कपड़ा आधा मीटर, लाल कपड़ा आधा मीटर, सिक्के, लक्ष्मी पूजन का चित्र, श्री यंत्र का चित्र और कमल गट्टे की माला आदि।

कैसे करें पूजन की तैयारी

चौकी पर लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रहे। देवी लक्ष्मी, गणपति जी के दाहिनी ओर रहे। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को देवी के पास अक्षत पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटे कि अग्रभाग दिखाई देता रहे। फिर इसे कलश पर रखें। अब दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरे व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दायी ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा एक दीपक भगवान गणेश के पास रखें।

मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढ़ेरिया तीन लाईनों में बनाए। लंबोदन की ओर चावल की 16 ढ़ेरियां बनाए। नवग्रह और सोलह मातृका के बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाए। इसके बीच में सुपारी रखें और चारों कोनों पर अक्षत की ढेरी। सबसे ऊपर बीच में ऊँ लिखें।

देवी लक्ष्मी की ओर श्री का चिन्ह बनाए। गणेश जी की ओर त्रिशूल बनाए व चावल की ढेरी लगाए जो ब्रह्मा जी का प्रतीक है। सबसे नीचे अक्षत की 9 ढ़ेरियां बनाए जो मातृका की प्रतीका है। इसके अतिरिक्त बहीखाता, कलम-दवात और सिक्कों की थैली रखें। ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें।

दिवाली पूजन विधि
– पूर्व की ओर मुंह करके अपने और घरवालों पर जल के छींटे देकर पवित्रीकरण करें। तीन बार आचमन भी करें। कहें- ऊँ केशवाय नमः, ऊँ माधवाय नामः, ऊँ नारायणाय नमः।

– हाथ धोएं। सब पर जल के छींटे देकर पूजन सामग्री पर छिड़कें।

मंत्र- ऊँ अपवित्रः पवित्रो वासर्वांवस्था गतोपिवा। यः स्मरेत पुण्डरी काक्षं स बाह्माभ्यन्तरः शुचि।।

– आसन शुद्धि के बाद पृथ्वी माता को गंध, अक्षत देकर जल छोड़ें और फूल जमीन पर छोड़ें। कहें- ऊँ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवित्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरू चासनम्।।

– अब ऊँ दीपेभ्यो नमः बोलते हुए दीपक प्रज्वलित करें।

– गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, आचमनीयम समर्पयामी कहते हुए धूप जलाएं। अब घंटी पर गंध अक्षत लगाकर घंटी बजाएं।

– अब भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और सरस्वती पर गंधी के छींटे दें। हाथ में फूल लेकर कहें- सभी देवी देवताओं को सात्विक मन वचन से प्रणाम करता हूं। मेरी आराधना स्वीकार करें। अपने माता-पिता, गुरू-ब्राह्मण और पूर्वजों को भी नमन करता हूं। फूल चढ़ा दें।

– पूजा संकल्प के लिए जल, अक्षत, पुष्प, सुपारी और द्रव्य आदि लेकर संकल्प करें। कहें- हे देवी लक्ष्मी, नारायण और सम्मुख विराजित देव। आज संवत 2079, याम्यायन गोल, शरद ऋतु, कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की पुण्य तिथि अमावस्या, दिन सोमवार, चित्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग, लग्ने, बेला में अपने पिता व पूर्वजो के पुण्य प्रताप से गोत्र, नाम, स्थान, मनशोदिष्ट कामना सिद्धि प्राप्ति के लिए स्थिर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर का पूजन कर रहा हूं। आपकी कृपा से मेरी पूजा सफल हो।

– संकल्प भगवान गणपति, माता लक्ष्मी, देवता कुबेर आदि भगवान के पास छोड़ें।

– अब हाथ में फूल, दूर्वा आदि लेकर गणेशजी का पूजा करें। फल-फूल, दीप, धूप और गंध उन्हें अर्पित कर प्रणाम करें।

– पानी भरे कलश में सुपारी, दूर्वा, पुष्प डालें, आम के पत्ते लगाएं। ऊपर नारियल रख लाल कपड़ा लपेटें।

– लक्ष्मी प्राप्ति हेतु प्रसन्नचित्त कमलदल पर विराजित धन द्रव्य वर्षा करती महालक्ष्मी का ध्यान करें।

– पूजन सामग्री महालक्ष्मीजी को चढ़ाएं। उनकी पूजा करें।

– महालक्ष्मी को गंध और अक्षत अर्पित करें।

– अब देवी लक्ष्मी की आरती करें। गणेशजी व माता को पुष्प अर्पित करें। क्षमा प्रार्थना करते हुए प्रणाम करें।