जीएनए पीजी कॉलेज भाटापारा में हुए घोटाले पर आखिर कब दर्ज होगा FIR ! दो दिनों से FIR दर्ज कराने थाने में डटे हैं लोग पर FIR अब तक दर्ज नहीं….

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। गजानंद अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटापारा में करोड़ों का घोटाला किए जाने का मामला अब दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है। जहां इस मामले की पहले ही उच्चशिक्षा विभाग में शिकायत और जनहित याचिका दायर करने हाईकोर्ट को पत्र लिखा जा चुका हैं वहीं अब पिछले दो दिनों से महाविद्यालय के जनभागीदारी समिति के सदस्य, पार्षदगण, कांग्रेस के पदाधिकारी थाने में जन भागीदारी समिति द्वारा दी गई शिकायत पर कालेज के पूर्व प्राचार्य के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने डटे हुए हैं पर समाचार लिखे जाने तक एफआईआर पुलिस प्रशासन द्वारा दर्ज नहीं किया गया है। यहां पर यह बताना लाजमी होगा कि छत्तीसगढ़ क्राइम्स समाचार पत्र इस ख़बर को लगातार प्रकाशित करते आ रहा है और यह ख़बर तब-तक हम पाठकों के सामने लाते रहेंगे जब तक इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी नहीं हो जाता हैं।

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शिकायतकर्ता का कहना है कि महाविद्यालय में पूर्व प्राचार्य के द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए किस तरह से करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया गया है उसके सारे दस्तावेज के साथ सचिव उच्य शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन, आयुक्त उच्य शिक्षा संचालक रायपुर को किया गया है पर अब तक किसी भी तरह की कार्यवाही नही किया गया है। महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान सदस्य नानू सोनी ने हमें बताया कि पूर्व प्राचार्य के खिलाफ़ पुलिस प्रशासन एफआईआर दर्ज करने में इतना टालमटोल क्यों कर रही है समझ से परे, श्रीं सोनी का कहना है हम लोग दो दिनों से पूर्व प्राचार्य के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने यहां डटे हुए पर हैरत की बात है कि थाने में एफआईआर दर्ज नहीं किया जा रहा है वहीं राजधानी में शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों द्वारा भी किसी प्रकार की अब तक कार्यवाही नहीं किया जाना अनेकों संदेह को जन्म दे रहा है। श्रीं सोनी का कहना है कि इस मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज कर इस घोटाले की जांच तत्काल किया जाना चाहिए क्योंकि यह मामला हजारों विद्यार्थियो के भविष्य से जुड़ा हुआ है।

यहां पर सोचनीय विषय यह हैं कि शिक्षा विभाग के आलाधिकारी सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों के साथ सौंपी गई शिकायत पर गंभीरता पूर्वक कोई कार्यवाही क्यू नही कर रही हैं? वहीं भाटापारा पुलिस को इस मामले के सारे दस्तावेज देने के बाद भी अब तक किसी प्रकार का मामला क्यो दर्ज नहीं किया जा रहा है ? सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिस पूर्व प्राचार्य के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने के लिए लोग थाने में डटे हुए हैं वह आज सेवानिवृत हो गई है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है ऊपरी दबाव के चलते कहीं इस कार्यवाही में इतना टालमटोल सिर्फ़ इसलिए तो नही किया जा रहा है की ताकि सेवानिवृति में कोई अड़चन ना आए और सेवानिवृति के बाद मिलने वाला पेंशन सुचारू रूप से मिलता रहें ।

गौरतलब हो कि शिकायतकर्ता भाटापारा निवासी लालबहादूर यादव ने पूर्व प्रभारी प्राचार्य एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. निशा शर्मा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भारतीय संविधान अनुच्छेद 226 के अंतर्गत शासकीय गजानंद अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटापारा में प्रभारी प्राचार्य के पद पर रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग एवं स्वेच्छाधारी निर्णय लेकर महाविद्यालय के विभिन्न मदों (स्व-वित्तीय, जनभागीदारी, पीड़ी एवं विश्वविद्यालयीन परीक्षा मद) में नियत विरुद्ध सेल्फ चेक से कैश विड्राल कर लगभग दो से ढ़ाई करोड़ रूपए अनियमित खर्च करते हुए शासकीय राशि का अनाधिकृत आहरण किया। जिससे की महाविद्यालय के 3586 नियमित छात्र एवं छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं से वंचित करने के विरुद्ध एवं उक्त अनाधिकृत आहरित राशि की राजस्व वसूली के लिए उन्होंने माननीय हाईकोर्ट में डाक से माध्यम से जनहित याचिका लगने हेतु पत्र भेजा है।

उन्होंने बताया कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत शासकीय गजानंद अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटापारा से दस्तावेज देने से इंकार किए जाने बाद अपर संचालक, उच्च शिक्षा विभाग नवा रायपुर से प्रथम अपील के तहत: पदत्त दस्तावेजों के अध्ययन से उन्हें जानकारी हुई कि महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. निशा शर्मा ने अपने दस माह के कार्यालय में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए स्वेच्छाधारी निणर्य लेकर जहां महाविद्यालय के विभिन्न मदो से भंडार एवं क्रय नियमों, निविदा नियमों का पूरी तरह से अवहेलना करते हुए नियम विरुद्ध सेल्फ चेक से नगद राशि आहरण कर अभिलेखीय औपचारिकता पूर्ण करने फर्जी भावपत्र (कोटेशन), फर्जी पावती, फर्जी बिलों की कूट रचना कर महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के मांग पत्र लिए बिना ही एवं संचानालय के सक्षम अधिकारियों के बजट आवंटन एवं विधिवत अनुमति लिए बिना ही कार्यों एवं क्रय वस्तुओं का महाविद्यालय के सक्षम अधिकारी, समिति के भौतिक सत्यापन किये बिना ही महाविद्यालय के विभिन्न मदो का दुरूपयोग किया है।

शिकायतकर्ता श्री यादव ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने इस मामले की लिखित शिकायत आयुक्त उच्च शिक्षा संचालनालय, सचिव उच्च शिक्षा विभाग को किया है पर अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं किया गया है।