खैरागढ़. छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में आबकारी नीति में बदलाव कर संबंधित कार्य को अपने नियंत्रण में ले लिया. शराब के वितरण और बिक्री कार्य सीधे सरकार के नियंत्रण में होने से सरकारी खजाने में वृद्धि होने के कयास लगाए जा रहे हैं. लेकिन इन कयासों का पलीता लगाने में भी अपराधी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. खैरागढ़ पुलिस की साइबर टीम ने ऐसे ही एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है जो की हुबहू सरकारी शराब जैसी दिखने वाली नकली शराब का निर्माण कर रहे थे और घड्डल्ले के साथ क्षेत्र में बिक्री भी कर रहे थे.
पूरा मामला खैरागढ़ जिले के गंडई थाना क्षेत्र का है, जहां पुलिस को नर्मदा गांव में नकली शराब बनाने की सूचना मिली. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मिर्जा वारिश बेग के घर में दबीस दी, जहां मौके पर समीर और सुखुराम को अवैध शराब के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किया गया. कड़ाई से पूछताछ करने पर आरोपियों ने जो खुलासे किये उससे पुलिस के भी होश उड़ गए.
खैरागढ़ एसपी त्रिलोक बंसल ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर मामले का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि आरोपी नरसिंह वर्मा और आशीष मंडावी की पहचान जेल में हुई. जेल से छूटने के बाद दोनों ने पैसे कमाने के लालच में नकली शराब की फैक्ट्री खोलने का निर्णय लिया. स्प्रिट पानी और कुछ केमिकल से शराब बनाने की जिम्मेदारी नरसिंह वर्मा ने ली और नकली स्टीकर नागपुर से आशीष लाया करता था.
एसपी बंसल से मिली जानकारी के अनुसार आरोपियों ने नकली शराब की फैक्ट्री दुर्ग जिले के धमधा के रौंदा गांव के एक फार्म हाउस में बनाया. वहीं से नकली शराब बनाने का खेल शुरू हुआ. नरसिंह नकली शराब को सरकारी शराब की तरह स्वाद देने के लिए खुद चख कर देखता था. वहीं गिरोह के बाकी सदस्य सरकारी शराब की खाली बोतलें जमा करते थे. नागपुर से आए नकली लेबल और ढक्कन से नकली शराब हुबहू असली जैसी बन कर तैयार हो जाती थी. जिसके बाद गिरोह के बाकी लोग नकली शराब लेकर आसपास के इलाके में बेच दिया करते थे.
खैरागढ़ एसपी ने बताया कि फिलहाल पुलिस ने नकली शराब बनाने वाले इस गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ विभिन धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया है. इसके अलावा पुलिस अब नकली लेबल और ढक्कन उपलब्ध कराने वाले अन्य आरोपियों की तलाश में भी जुट गई है.