आम आदमी पार्टी हसदेव अरण्य मामले में बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी में, कल घेरेंगे मुख्यमंत्री निवास

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। आम आदमी पार्टी हसदेव अरण्य मामले में बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी में है। शुक्रवार को पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजीव झा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ली। संजीव ने हसदेव मामले का जिक्र करते हुए कहा कि कोयले के लिए यहां बड़े जंगल को उजाड़ने का काम हो रहा है। कांग्रेसी तो इससे पहले इसका विरोध करते थे। खुद को छत्तीसगढ़िया बताने वाले नेताओं को छत्तीसगढ़ के जल, जंगल और पेड़ों की चिंता नहीं है। इसे काटा जा रहा है।

झा ने बताया कि अब इस मामले में आम आदमी पार्टी बड़ा विरोध प्रदर्शन करेगी। प्रशासन से मांग की जाएगी कि हसदेव में जंगल को उजाड़ने का काम बंद किया जाए। शनिवार को इसे लेकर आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने जा रही है। प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में आम आदमी के ये विरोध प्रदर्शन छत्तीसगढ़ में सियासी एंट्री का ट्रेलर भी माना जा रहा है। प्रदेशभर से आप कार्यकर्ताओं की रायपुर के मोतीबाग के पास जुटने की संभावना है।

संजीव झा ने कहा कि आम आदमी पार्टी उन लोगों के साथ है जो हसदेव में पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, जंगलों को बचाने के लिए। खनन के नाम पर अगर छत्तीसगढ़ के जंगल उजाड़े गए और जंगल पेड़ काटे जाते हैं तो इससे यहां पर्यावरण संकट खड़ा होगा। झा ने कहा आम आदमी पार्टी अपने आंदोलनों के लिए पहचानी जाती है, अगर कटाई रोकी नहीं गई तो सड़कों पर उतरेंगे और तब तक डटे रहेंगे जब तक ये बंद न किया जाए।

हसदेव मामले पर क्या कहते हैं मुख्यमंत्री

दो दिन पहले हसदेव अरण्य के जंगलों में परसा कोयला खदान की मंजूरी को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान आया है। मुख्यमंत्री ने रायपुर में कहा, देश को बिजली चाहिए तो कोयले की जरूरत तो पड़ेगी। बस इसमें नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

परसा कोयला खदान के लिए बिना अनुमति पेड़ों की कटाई से जुड़े एक सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कोयला वहीं है जहां पहाड़ और जंगल हैं। जंगलों को बचाने के लिए नीतियां बनी हैं। वन विभाग उसे देखता है। उसके लिए वन अधिनियम है, पर्यावरण कानून है। उन नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। वहां प्रभावित लोगों को मुआवजा बराबर मिलना चाहिए।

पेड़ों की कटाई विवादों में

हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित परसा कोल ब्लाक के लिए 26 अप्रैल की रात सैकड़ों पेड़ काट दिए गए। इसके लिए बकायदा पुलिस का इंतजाम हुआ था। अब वन विभाग ने केंद्र सरकार की एजेंसी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को लिखित रूप से बताया है कि उस क्षेत्र में अभी पेड़ों की गिनती चल रही है। किसी को पेड़ काटने की अनुमति तो दी ही नहीं गई है!

परसा कोल ब्लॉक से प्रभावित गांवों में लोग पिछले 75 दिनों से धरने पर बैठे हैं। गांव के लोग पेड़ों की रखवाली कर रहे हैं। 29 अप्रैल को NTCA ने छत्तीसगढ़ में मुख्य वन्य जीव संरक्षक को पत्र भेजकर जवाब मांगा था। इसका जवाब देते हुए मुख्य वन संरक्षक की ओर से कहा गया है, परसा ओपन कास्ट कोल माइनिंग क्षेत्र के 841.538 हेक्टेयर क्षेत्र में से पहले साल यानी 2022-23 में 43.18 हेक्टेयर क्षेत्र में ही पेड़ों की कटाई होनी है। अब सवाल उठ रहा है कि वन विभाग ने अनुमति नहीं दी तो वे कौन से लोग थे, जिन्होंने पुलिस की मौजूदगी में सैकड़ों पेड़ काट डाले।

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