तवांग झड़प के बाद चीनी एयरबेस पर एक्टिविटी बढ़ी : अरुणाचल से सिर्फ 150 KM दूर ड्रोन-फाइटर जेट्स तैनात

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना के साथ झड़प में मात खाए चीन ने नॉर्थ-ईस्ट बॉर्डर के पास अपने एयरबेस पर एक्टिविटी बढ़ा दी है। यहां फाइटर जेट्स और ड्रोन की संख्या बढ़ गई है। मैक्सार टेक्नोलॉजी की सैटेलाइट इमेज में चीन की एक्टिविटीज साफ दिखाई पड़ रही हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने बांगदा एयरबेस पर सोरिंग ड्रैगन ड्रोन तैनात किया है। यह ड्रोन सैटेलाइट इमेज में दिखाई दे रहा है। बांगदा एयरबेस अरुणाचल सीमा से महज 150 किमी. दूर है। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने भी पिछले गुरुवार और शुक्रवार को युद्धाभ्यास किया था।

इससे पहले 11 दिसंबर को अमेरिकी रक्षा वेबसाइट वॉर जोन ने सैटेलाइट इमेज जारी किए थे, जिसमें तिब्बत के शिगात्से पीस एयरपोर्ट पर चीन के 10 एयरक्राफ्ट और 7 ड्रोन दिखे थे। तिब्‍बत में न्यिंगची, शीगत्‍से और नागरी में चीन के 5 एयरपोर्ट हैं और ये भारत-नेपाल बॉर्डर के करीब हैं। चीन ने पिछले साल ल्‍हासा से न्यिंगची तक बुलेट ट्रेन की शुरुआत की थी। यह अरुणाचल के पास है।

ड्रैगन ड्रोन निगरानी और अटैक में सक्षम

इमेज में सोरिंग ड्रैगन ड्रोन के अलावा टेम्पररी एयरक्राफ्ट शेल्टर भी नजर आ रहे हैं। सोरिंग ड्रैगन ड्रोन 2021 में लाया गया था। इसका इस्तेमाल निगरानी, जासूसी और आक्रमण के लिए किया जाता है। ये करीब 10 घंटे लगातार उड़ान भर सकता है। बताया जा रहा है कि ये ड्रोन क्रूज मिसाइल अटैक के लिए डेटा भी ट्रांसफर कर सकता है ताकि वह जमीन पर टारगेट को हिट कर सके। भारत के पास अभी इस श्रेणी का कोई ड्रोन नहीं है।

चीन का नेटवर्क तैयार और एक्टिव भी हुआ

एक पूर्व फाइटर पायलट समीर जोशी ने कहा कि ड्रोन की क्षमताओं को देखकर लगता है कि चीन ने नॉर्थ-ईस्ट में मैकमोहन लाइन के करीब एक नेटवर्क खड़ा कर लिया है, जो पूरी तरह एक्टिव है। ये ड्रोन चीन के इस सिस्टम का हिस्सा है, जिनमें उनकी एयरफोर्स रियल टाइम में भारत की ग्राउंड पोजिशंस को मॉनिटर कर सकती है। इन पोजिशंस को दूसरे ड्रोन और फाइटर एयरक्राफ्ट से मिसाइल के जरिए निशाना बनाया जा सकता है। समीर हिंदुस्तान एयरोनॉिटक्स के साथ मिलकर भारतीय सेनाओं के लिए नई जेनरेशन के ड्रोन बनाने पर काम कर रहे हैं।

तवांग के बाद बांगदा पर दिखे थे फाइटर जेट्स

तवांग में 9 दिसंबर को झड़प के 5 दिन बाद 14 दिसंबर को बांगदा एयरबेस पर फाइटर जेट्स भी नजर आए थे। ये फ्लैंकर टाइप फाइटर जेट्स थे यानी सुखोई-30 का चीनी वर्जन। फोर्स एनालिसिस के सिम टैक का कहना है कि तिब्बत रीजन में चीन की हवाई लड़ाकू क्षमता में इजाफा भारतीय एयरफोर्स पर बड़ा असर डाल सकती है।

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