तिरुवनंतपुरम। केरल के अलप्पुझा में दूषित पानी में रहने वाले फ्री लिविंग अमीबा के कारण एक 15 साल के लड़के की मौत हो गई। गुरुदत्त नाम का यह लड़का 10वीं का स्टूडेंट था। उसे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस इंफेक्शन हुआ था। इससे गुरुदत्त को बुखार और दौरे पड़े थे। जांच में इंफेक्शन का पता चला था।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शुक्रवार को बच्चे की मौत के बारे में जानकारी दी। साथ ही लोगों को चेतावनी दी है कि वे दूषित पानी में नहाने से बचें, क्योंकि ये अमीबा नाक के जरिए शरीर में घुस जाता है।
गुरुदत्त 1 जुलाई से अलप्पुझा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एडमिट था। बाद में पता चला था कि पनावली में एक झरने में नहाने के बाद वह इसकी चपेट में आ गया था।
केरल में पिछले सालों में मिले 5 मामले
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि अमीबा रुके हुए पानी में होता है और नाक की पतली त्वचा से घुस जाता है। यह कोई संक्रामक बीमारी नहीं है। ऐसा बहुत ही कम होता है, घबराने की जरूरत नहीं है। इससे पहले ऐसे 5 मामले सामने आए थे।
सबसे पहला केस 2016 में आया था। इसके बाद 2019, 2020 और 2022 में एक-एक केस मिला था। इन सभी संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी। इस बीमारी के लक्षण बुखार, सिरदर्द, उल्टी और दौरे हैं।
दिमाग खाने वाला अमीबा नाम से मशहूर
अमेरिका के सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल के मुताबिक पीएएम एक ब्रेन इंफेक्शन है जो अमीबा या नेगलेरिया फाउलेरी नामक एकल-कोशिका वाले जीव से होता है। यह अमीबा मिट्टी और गर्म ताजे पानी, जैसे झीलों, नदियों और गर्म झरनों में रहता है।
इसे आमतौर पर ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कहा जाता है क्योंकि जब अमीबा युक्त पानी नाक में जाता है तो यह ब्रेन को इंफेक्टेड कर देता है। हालांकि दूषित पानी पीने से संक्रमण नहीं होता। अमेरिका में हर साल औसतन तीन लोग इससे संक्रमित होते हैं।
‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM बीमारी में ब्रेन-ईटिंग अमीबा इंसान के दिमाग को संक्रमित कर मांस खा जाता है। ये कोई आम अमीबा नहीं हैं, जिसके संक्रमण को एंटीबायोटिक दवाओं से खत्म किया जा सके। ये इतना घातक है कि समय रहते संक्रमण को नहीं रोका जाए तो 5 से 10 दिन में इंसान की मौत हो सकती है। पढ़ें