पहली बार मालवाहक ड्रोन ने भरी उड़ान

 

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हैम्बर्ग। जर्मन कंपनी वोलोकॉप्टर ने पहली बार खुद बनाया एक विशाल ड्रोन उड़ाकर देखा. हैम्बर्ग में मंगलवार को यह परीक्षण हुआ. टेस्ट फ्लाइट लगभग तीन मिनट तक चली. परीक्षण शहर के उत्तरी इलाके में हार्बर के पास हुआ, जहां अंतरराष्ट्रीय परिवहन कांग्रेस चल रही है.

वोलोकॉप्टर का मकसद ऐसे विशालकाय ड्रोन के जरिए सामान लाने ले जाने की एक चेन स्थापित करना है. इसके लिए वह डीबी शेनकर कंपनी के साथ मिलकर काम कर रही है. डीबी शेनकर जर्मनी में ट्रेन भी चलाने वाली कंपनी की सहभागी है. पिछले साल दोनों कंपनियां ऐसे मालवाहक ड्रोन बनाने के लिए साथ आई थीं.

परीक्षण के लिए ड्रोन में एक लोडिंग बक्सा लगाया गया था ताकि सही सही पता चल सके कि भार लाने ले जाने में ड्रोन कैसा काम करता है.

माल ढुलाई में क्रांति

वोलोकॉप्टर के सीईओ फ्लोरियान रॉयटर इस परीक्षण को उड़ने वाले वाहनों की दौड़ में सबसे आगे खड़ा करने के मौके के तौर पर देखते हैं. उन्होंने कहा, “हम दुनिया की एकमात्र ऐसी कंपनी हैं जो यात्रियों और माल वाहन के लिए साधन बनाती है और उनका सार्वजनिक प्रदर्शन करती है.”

रॉयटर ने कहा कि यह कार्गो ड्रोन माल लाने-ले जाने की प्रक्रिया को और तेज, सक्षम और पर्यावरण के लिए सुरक्षित बनाएगा. इस ड्रोन को वोलोड्रोन नाम दिया गया है. इसमें 18 पंखे लगे हैं. बैट्री से चलने वाला यह एक मानवरहित विमान है जो 40 किलोमीटर तक उड़ सकता है. इसका वजन 200 किलोग्राम है. ड्रोन का कुल व्यास 9.15 मीटर है और ऊंचाई 2.15 मीटर. यह ड्रोन 600 किलोग्राम तक वजन ढो सकता है.

वोलोकॉप्टर का कहना है कि इसका इस्तेमाल कई तरीके से किया जा सकता है. कंपनी ने बताया, “इसमें एक अटैचमेंट सिस्टम लगा है, जिससे वोलोड्रोन अलग-अलग तरह के बक्से, द्रव या मशीनें आदि ढो सकता है.”

भविष्य की ओर रुख

कंपनी को उम्मीद है कि इस ड्रोन का इस्तेमाल दूर-दराज इलाकों में भारी-भरकम सामान पहुंचाने से लेकर निर्माण स्थलों पर माल ढुलाई आदि तक विविध रूप से होगा. कंपनी ने कहा, “जहां भी सड़क परिवहन की सीमा खत्म हो जाती है, वोलोड्रोन वहां से एक नया आयाम दे सकता है. जर्मन सरकार के नजरिए से ऐसी उड़ने वाली मशीनों में बहुत तरह से इस्तेमाल की संभावनाएं हैं. जर्मन सरकार ने कुछ ही साल में ड्रोन को रोजमर्रा के परिवहन का साधन बनाने का लक्ष्य रखा है.

अनमैन्ड एरियल व्हीकल एसोसिएशन द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक 2025 तक जर्मनी में व्यवसायिक रूप से चलाए जा रहे ड्रोन तीन गुना बढ़कर एक लाख 32 हजार हो जाएंगे.