इस बीच ये बात सामने आई थी कि अलग-अलग जिलों और विकासखंड के शिक्षक इस बात को लेकर नाराज हैं कि सीनियर और रिटायरमेंट के करीब शिक्षकों को दूर के स्कूलों में भेज दिया है। जबकि जूनियर शिक्षकों को उनकी पसंद की जगह पर पोस्टिंग दी गई है।
कई शिक्षकों ने इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से भी शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। अब प्रदेश में स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के मामलों में शिक्षकों की शिकायतों पर विचार करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने संभाग और राज्य स्तर पर समितियां बनाई हैं।
इस तरह का होगा समिति का ढांचा
संभाग स्तरीय समिति के निर्णयों को राज्य स्तरीय कमेटी में चुनौती दी जा सकेगी। कमेटी के अध्यक्ष शिक्षा संचालक होंगे। सदस्य सचिव वरिष्ठ उप संचालक और सदस्य वरिष्ठ सहायक संचालक को बनाया है। वहीं संचालनालय स्तरीय कमेटी के निर्णयों के विरूद्ध शिक्षकों के रिप्रेजेंटेशन पर शासन स्तर पर विचार करने विभाग के संयुक्त सचिव के समक्ष 15 दिनों में अपील की जा सकेगी।
इसी तरह शिक्षक जिला स्तरीय समिति के विरुद्ध कमिश्नर की अध्यक्षता वाली समिति को आवेदन कर सकेंगे। समिति के अध्यक्ष संभाग आयुक्त, सदस्य सचिव संभागीय संयुक्त संचालक और सदस्य डीपीआई के प्रतिनिधि सहायक संचालक स्तर के अधिकारी होंगे।
निर्देशों की अनदेखी के बाद वेतन रोकने को कहा था
दरअसल, युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) के तहत शिक्षक विहीन, एकल शिक्षक और छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार अतिशेष शिक्षकों का आवश्यकता के आधार पर ट्रांसफर किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य उन स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना था जहां शिक्षकों की कमी थी।
शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों को अलॉटेड स्कूलों में तत्काल ज्वॉइनिंग लेने के निर्देश दिए थे। हालांकि, इन स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कई शिक्षकों ने अभी तक अपने नए स्कूलों में पोस्टिंग नहीं ली है। इसे गंभीरता से लेते हुए लोक शिक्षण संचालक ने एक आदेश जारी कर इन शिक्षकों का आगामी आदेश तक वेतन रोकने का आदेश दिया था।
हालांकि, यह आदेश उन शिक्षकों पर लागू नहीं होगा। जिन्होंने हाईकोर्ट से अंतरिम राहत प्राप्त की हुई है।
युक्तियुक्तकरण के दौरान सामने आई थीं गड़बड़ियां
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के दौरान कई जिलों और विकासखंडों में अतिशेष शिक्षकों और रिक्त पदों की जानकारी देने में गड़बड़ियां सामने आई थीं। इसके बाद दर्जन भर से अधिक विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को निलंबित भी किया गया था। शिक्षकों का आरोप है कि पोस्टिंग के दौरान अधिकारियों ने जूनियर शिक्षकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनके साथ मिलीभगत की है।
इस मिलीभगत के तहत सीनियर और रिटायरमेंट के करीब शिक्षकों को दूर के स्कूलों में भेज दिया। इस मामले पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे शिक्षकों में नाराजगी है। कई शिक्षकों ने इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से भी शिकायत की है।
1200 स्कूल अब भी एकल शिक्षक वाले
युक्तियुक्तकरण के बाद कई स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति तो हुई है, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में अभी भी 1200 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक ही शिक्षक है। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था के लिए एक चुनौती बनी हुई है।
एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी
छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी आई है। इस प्रक्रिया से पहले प्रदेश में 453 स्कूल शिक्षक विहीन और 5936 स्कूलों में मात्र एक ही शिक्षक पदस्थ था। सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में यह समस्या अधिक थी।
इस विसंगति को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने जिला, संभाग और राज्य स्तर पर 3 चरणों में शिक्षकों की काउंसलिंग की प्रक्रिया चलाई। जिसके बाद प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है और सभी हाई स्कूलों में न्यूनतम आवश्यक शिक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं।
KCG में अब एक भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं
युक्तियुक्तकरण के बाद अबखैरागढ़ा-छुईखदान- गंडई जिले की कोई भी प्राथमिक, माध्यमिक या उच्चतर माध्यमिक शाला शिक्षक विहीन नहीं है। शिक्षक विहीन दो प्राथमिक शालाओं में जैसे ही शिक्षकों की नियुक्ति हुई, वहां के ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई।
गर्रापार गांव के प्राथमिक शाला में नियुक्त शिक्षक को देखकर पालक रामविलास पटेल ने खुशी जताते हुए कहा कि सरकार की इस योजना ने हमारे बच्चों की पढ़ाई को एक नई दिशा दी है। जिले में 98 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं और तीन एकल शिक्षकीय हाईस्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की पदस्थापना की गई है।