दरअसल, 10 अक्टूबर को मीडिया रिपोर्ट में तस्वीर आई थी, जिसमें रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में एक नवजात के पास तख्ती लगाई गई थी, जिस पर ‘HIV POSITIVE MOTHER’ लिखा हुआ था।’ यह नजारा देखकर मासूम बच्चे के पिता और परिजन रो पड़े। मीडिया रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की, जिसमें मुख्य सचिव को जांच कर व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।
मुख्य सचिव का जवाब- जांच के लिए बनी समिति मुख्य सचिव ने 14 अक्टूबर को कोर्ट में अपना शपथपत्र दिया है, जिसमें बताया गया कि चिकित्सा शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है। समिति ने जांच कर रिपोर्ट सौंपी है। वहीं, शासन की तरफ से कहा गया कि एचआईवी/एड्स (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) Act, 2017 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।
सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों को गोपनीयता बनाए रखने और भेदभाव रोकने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। स्वास्थ्यकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए नियमित प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
हाईकोर्ट बोला- निजता के अधिकार और अमानवीय कृत्य है हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी सरकारी अस्पताल द्वारा मरीज की पहचान और बीमारी सार्वजनिक करना निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। अदालत ने कहा कि इस तरह की हरकत न केवल असंवेदनशील है बल्कि असंवैधानिक भी। यह मरीज और उसके परिवार के जीवन को सामाजिक कलंक में धकेल सकती है।
बच्चे के माता-पिता को दो लाख मुआवजा देने का आदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि बच्चे के माता-पिता को दो लाख रुपए का मुआवजा चार सप्ताह में दिया जाए। साथ ही कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कड़े दिशा-निर्देश और संवेदनशीलता प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर 2025 को होगी, जिसमें अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी होगी।
जानिए क्या है पूरा मामला
मेकाहारा में 6 अक्टूबर को एक HIV पॉजिटिव महिला ने बच्चे को जन्म दिया। मेडिकल स्टाफ ने बच्चे को PICU में शिफ्ट किया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन इसके बाद मौजूद स्टाफ सफेद रंग का एक बड़ा चार्ट पेपर लाया। फिर कुछ कलर पेंसिल भी मंगाई गई।
इसके बाद लाल रंग के स्केच मंगाए गए। उस पर बड़े-बड़े बोल्ड अक्षरों में लिखा गया- HIV POSITIVE MOTHER (एचआईवी पॉजिटिव मदर)। ये इतना बड़ा और बोल्ड लिखा हुआ था कि 100 मीटर दूरी से भी गुजरने वाले इसे पढ़ जाए। ये चार्ट फिर उस बच्चे के नजदीक चस्पा कर दिया गया।
पीड़ित मां ने पति से कहा- बच्चे के पास एक चार्ट लगा हुआ है
चार्ट 3 दिनों तक ऐसे ही लगा रहा। मां जब-जब बच्चे को दूध पिलाने जाती, ये बोर्ड उसे दिखता। वो समझ नहीं पा रही थी कि किया क्या जाए। 2 दिन बाद उसने बातों ही बातों में ये बात अपने पति को बताई। पति को PICU के भीतर जाने की इजाजत नहीं थी।
वो बच्चे को सीधे नहीं देख सकते थे। लेकिन 9 अक्टूबर को 2 मुंहे दरवाजे के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया में कुछ सेकेंड के लिए बनने वाले स्पॉट से देखा तो आंखों से आंसू आ गए। उनके बच्चे के नजदीक ‘HIV POSITIVE MOTHER’ का चार्ट लगा हुआ था।
पिता बोले- मेडिकल स्टाफ तक दूरी बनाने लगा था
दैनिक भास्कर को पीड़ित पिता ने बताया कि वे भी HIV पॉजिटिव हैं। बीमारी का पता चल जाने पर बाकी सोसाइटी का तो छोड़िए मेडिकल स्टाफ के लोग भी सामान्य व्यवहार नहीं करते। ये बात तो सभी जानते हैं, इसके बाद भी गलती हुई। दुख इस बात है कि गलती को 3 दिनों तक नजरअंदाज किया गया।