कोरोना: घंटों चक्कर लगाने के बाद भी नहीं मिला अस्पतालों में बेड, महिला का दम निकला

Chhattisgarh Crimes

भिलाई। कोरोना संक्रमण किस कदर प्रदेश में फैल गया है आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि भिलाई की एक महिला को सांस लेने की तकलीफ आने के बाद परिजन उसे लेकर एक शहर से दूसरे अस्पताल में भर्ती करा कर इलाज करवाना चाहते थे, पर कहीं भी किसी भी अस्पताल में बेड खाली नहीं होने के कारण महिला ने उपचार के अभाव में अपने परिजनों के सामने ही दमतोड़ दिया। उस समय परिजनों पर क्या बीती होगी इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। सब कुछ होते हुए भी कुछ ना क पाने का दुख यह परिवार ही समझ सकता है…। इस समाचार के प्रकाशन के पीछे हमारा मकसद उन लोगों को अगाह करना सावधान करना है जो वैश्विक महामारी कोरोना को हल्के में लेते हुए बेपरवाह होकर सड़कों पर बेवजह मौज-मस्ती के लिए घूम रहे हैं और इस महामारी को दावत दे रहे हैं। ऐसे लोग समझें कि अगर कोरोना संक्रमण ने उन्हें जकड़ लिया तो उपचार के लिए कहां जाएंगे। क्योंकि अस्पतालों में बेड खचाखच कोरोना मरीजों से भर चुके हैं और अगर सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा तो फिर बेड़ खाली होने का इंतजार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बच रहा है। इसलिए सावधान रहें सुरक्षित रहें और अनावश्यक रूप से घर से बाहर ना निकलें और निकलना जरुरी हो तो सावधानी बरते हुए घर से बाहर निकलें।

मां के दर्द की कहानी बेटी माधुरी निषाद की जुबानी

मां को सांस लेने में परेशानी हो रही थी, बुखार भी धीरे-धीरे बढ़ रहा था। तबीयत अधिक न बिगड़ जाए, यह सोचकर पिता से कहा, एंबुलेंस बुला लो। एंबुलेंस आते ही मां का सिर अपने गोद में रखकर पास के आईएमआई हॉस्पिटल, खुसीर्पार के लिए करीब 3.45 बजे निकले। रास्ते में मां सांस आसानी से नहीं ले पा रही थी। वहां पहुंचते ही डॉक्टर ने कहा कोरोना टेस्ट करवाए हो, हमने कहा-नहीं। वहां जांच किए और 1000 रुपए ले लिए। इसके बाद कहा, यहां बेड और आॅक्सीजन दोनों नहीं है। शंकरा हॉस्पिटल, जुनवानी लेकर चले जाओ। मां की हालत खराब होती देख वे बिना किसी तरह से जिराह किए एंबुलेस को जुनवानी की ओर घुमवा दिया।

शंकरा से एम्स, मेकाहारा और फिर भिलाई

शंकरा में पहुंचे तो केजुअल्टी में मरीज का टेंप्रेचर देखा गया और कहा कि यहां बेड खाली नहीं है। एम्स, रायपुर लेकर चले जाओ। मां की तकलीफ बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे न मैं, न पापा, इस वजह से एंबुलेंस को लेकर रायपुर की ओर बढ़ गए। एम्स, रायपुर पहुंचे तो वहां भीतर जाकर बताते ही कह दिया गया कि बेड खाली नहीं है। मेकाहारा, रायपुर लेकर चले जाओ। मेकाहारा लेकर गए। तब वहां पर्चा बनाया और बताया गया कि बेड खाली नहीं है। भिलाई लेकर चले जाओ।

कुम्हारी के हॉस्पिटल में नहीं मिला कोई जिम्मेदार

रायपुर से लौटते वक्त कुम्हारी में एक निजी हॉस्पिटल नजर आया। मां को सांस लेने में पहले से अब अधिक तकलीफ हो रही थी। भिलाई की ओर चालक ने एंबुलेंस को बढ़ा दिया। रास्ते में पुराने चिकित्सक जो जामुल में रहते हैं, पिता ने उनसे बात किया। उन्होंने कहा, हाईटेक हॉस्पिटल लेकर जाओ, वहां फोन कर जिम्मेदार को बता देते हैं। तब सीधे एंबुलेंस को लेकर हाई टेक पहुंचे। तब करीब रात के 10 बज रहे थे। वहां चिकित्सक आॅक्सीजन लगाकर कुछ दवा का लिस्ट दिए, दवा लेकर आने से पहले ही सबकुछ खत्म हो चुका था। मां तड़पते-तड़पते दुनिया से चली गई, किसी हॉस्पिटल ने आॅक्सीजन लगाकर थोड़ी राहत नहीं दी।