लिडार तकनीक में हर जमीन का होगा यूनिक नंबर, प्रोजेक्ट के लिए केंद्र से 300 करोड़ की स्वीकृति

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। जमीन-जायदाद के वाद-विवाद, भूमि-अधिग्रहण,सीमांकन, बटांकन सहित भूमि सर्वेक्षण के अन्य मामलों के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेजिंग (लिडार) तकनीक कारगर साबित होने वाली है। राज्य में इस तकनीक के जरिए भूमि सर्वेक्षण किए जाने की तैयारी है। वर्तमान में इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जा चुका है। केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया रिकार्ड माडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआइएलआरएमपी) के अंतर्गत राज्य सरकार को सर्वेक्षण के लिए 300 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिली है। साथ ही राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए बजट में 50 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है।

अधिकारियों के मुताबिक इस अध्याधुनिक तकनीक से न सिर्फ भूमि सर्वेक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि आम आदमी के लिए यह बहुउपयोगी साबित होगा, जिसमें आम-आदमी अपनी जमीन के विशेष पहचान नंबर के जरिए लंबाई-चौड़ाई और कुल क्षेत्रफल की सटीक जानकारी प्राप्त करेगा। मकान, भवन, आस-पास पेड़ों की संख्या, ऊंचाई की भी जानकारी इससे प्राप्त हो सकेगी। यह आधुनिक तकनीक रिमोट सेसिंग से आधार पर कार्य करेगा। राज्य सरकार के भू-अभिलेख विभाग के मुताबिक प्रदेशभर में इस तकनीक को लागू करने के पहले हाइटेक मशीनों के जरिए हेलीकाप्टर और ड्रोन से सर्वे किया जाएगा। इसके बाद साफ्टवेयर में जानकारी एकत्रित की जाएगी। खसरे के मुताबिक हर जमीन को यूनिक नंबर मिलेगा।

लिडार तकनीक की कार्यप्रणाली

लिडार उपकरणों में लेज़र, स्कैनर और एक जीपीएस रिसीवर होता है। किसी बड़े क्षेत्र के आंकड़े प्राप्त करने के लिए विमान,ड्रोन, हेलीकाप्टर का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में पृथ्वी की सतह पर लेज़र प्रकाश डाला जाता है और प्रकाश के वापस लौटने के समय की गणना से वस्तु की दूरी,ऊंचाई, लंबाई, चौड़ाई सहित अन्य गणनाओं त्रि-आयामी (थ्रीडी) मानचित्र तैयार किया जाता है।

वन सर्वेक्षण के लिए 10 राज्यों का चयन

लिडार तकनीक से वन सर्वेक्षण के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दो वर्ष पहले दस राज्यों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जारी की थी। इन राज्यों में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा को शामिल किया गया था।

छत्तीसगढ़ बन सकता है पहला राज्य

वर्तमान में किसी भी राज्य में पूरी तरह जमीनों का सर्वेक्षण लिडार तकनीक से नहीं की गई है। छत्तीसगढ़ में भी यह प्रोजेक्ट अभी शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन प्रशासकीय स्वीकृति के बाद शीघ्र ही प्रोजेक्ट शुरू होने की उम्मीद है। अधिकारियों के मुताबिक प्रदेशभर में भूमि के सर्वेक्षण करने में कम से कम तीन वर्ष का समय लगेगा।

भू-अभिलेख विभाग आयुक्त रमेश शर्मा ने बताया कि लिडार तकनीक से संबंधित सर्वेक्षण के लिए कें द्र सरकार से 300 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। राज्य सरकार को सर्वेक्षण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।